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पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के बाद देश में लोकसभा चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इन विधानसभा चुनावों में राजस्थान की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस में आम चुनावों के लिए फीडबैक और बैठकों का दौर जारी है. तो वहीं कम अंतर से हारी भारतीय जनता पार्टी भी लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर सक्रीय हो गई है.
गत लोकसभा चुनाव में विधानसभा में मिली ऐतिहासिक जीत को बरकरार रखते हुए बीजेपी ने राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया. लेकिन 2018 में हुए लोकसभा उपचुनाव में अलवर और अजमेर सीट कांग्रेस ने अपने कब्जे में ले लिया. बीजेपी को विधानसभा चुनाव से पहले एक झटका और लगा जब दौसा से बीजेपी सांसद हरीश चंद्र मीणा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
दौसा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें हैं. आजादी के बाद दौसा में हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव और 1 उपचुनाव में 11 बार कांग्रेस का कब्जा रहा, जबकि 2 बार बीजेपी, 2 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और 1 बार निर्दलीय उम्मीदवार का कब्जा रहा. 1957 में इस सीट से कांग्रेस को कामयाबी मिली तो 1962, 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने अपना परचम लहराया. 1971 में कांग्रेस, 1977 में भारतीय लोकदल, 1980, 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की. 1989 में बीजेपी की जीत के बाद 1991 से 2004 तक लगातार 5 बार यह सीट कांग्रेस के पास रही.
कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट 1984, 1991, 1996, 1998 में यहां से सांसद रहे. राजेश पायलट के निधन के बाद साल 2000 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी रमा पायलट विजयी हुईं. जबकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट विजयी हुए. 2009 के परिसीमन में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई, 2009 के आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार किरोणी लाल मीणा यहां से चुनाव जीतकर सांसद बने. जबकि 2014 में बीजेपी के टिकट पर हरीश चंद्र मीणा यहां से विजयी हुए. फिलहाल बीजेपी सांसद हरीश चंद्र मीणा कांग्रेस में हैं और टोंक की देवली-उनियारा सीट से विधायक हैं.
दौसा संसदीय सीट में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में दौसा जिले की बांदिकुई, महुआ, सिकराय, दौसा, लालसोट विधानसभा, जयपुर जिले की बस्सी, चाकसू विधानसभा और अलवर जिले की थानागाजी विधानसभा शामिल हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बांदिकुई, सिकराय, दौसा, लालसोट और चाकसू सीट पर कांग्रेस जीती. जबकि थानागाजी, बस्सी और महुआ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया. इस लिहाज से दौसा की 8 सीटों में 5 पर कांग्रेस का कब्जा है.
सामाजिक ताना-बाना
दौसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 11 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. यह लोकसभा अलवर, दौसा और जयपुर जिले के कुछ हिस्सों को मिला कर बनाया गया है. 1991 में जिला बना दौसा राजस्थान के सबसे छोटे जिलों में से एक है. सामाजिक तौर पर दौसा राज्य की दो मार्शल कौम गुर्जर और मीणा के बीच राजनीतिक वर्चस्व का केंद्र रहा है.
राजस्थान की सियासत में एक आम धारणा है कि अगर किसी गुर्जर को महत्व दिया जाता है, तो मीणा समुदाय के नाराज होने का खतरा रहता है. वहीं किसी मीणा को महत्व मिलता है, तो गुर्जर नाराज हो जाते हैं. इन दोनों समुदायों के बीच आरक्षण का विवाद भी है. पिछली वसुंधरा सरकार के समय गुर्जरों ने आदिवासी का दर्जा हासिल करने के लिए आंदोलन किया था, जिसमें पुलिस की गोली से कई गुर्जर आंदोलनकारियों की मौत हुई थी. तभी से दोनों समुदायों के बीच रिश्ता तनावों से भरा रहा है.
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक की जनसंख्या 25,20, 397 है, जिसका 88.75 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 11.25 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. जबकि कुल आबादी का 21.08 फीसदी अनुसूचित जाति और 25.96 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.
2014 का जनादेश
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में दौसा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था. जब कांग्रेस के सांसद और मंत्री नमोनारायण मीणा के खिलाफ उन्हीं के भाई हरीशचंद्र मीणा भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे. वहीं इस सीट पर तीसरा कोण मीणा समुदाय के कद्दावर नेता किरोणीलाल मीणा थे. बीजेपी के टिकट पर हरीशचंद्र मीणा ने किरोड़ी लाल मीणा को 45,404 वोट से पराजित किया. जबकि कांग्रेस के नमोनारायण मीणा तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में हरीशचंद्र मीणा को 3,15,059, किरोणी लाल को 2,69,655, जबकि नमोनारायण मीणा को 1,81,272 वोट मिले थे.
लेकिन आम चुनावों के बाद किरोणी लाल मीणा के बीजेपी में शामिल होकर राज्यसभा चले जाने से, हरीश चंद्र मीणा की पार्टी में अहमियत कम हो गई. और कांग्रेस पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी सांसद हरीशचंद्र मीणा ने विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
64 वर्षीय दौसा सांसद हरीश चंद्र मीणा आईपीएस रह चुके हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा के बाद 1976 के बैच में आईपीएस अफसर बने. इस दौरान मीणा 2009-13 तक राजस्थान के डीजीपी भी रहे. उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा सम्मानित भी किया गया.
पूर्व आईपीएस हरीश चंद्र मीणा का अनुशासन उनकी राजनीतिक पारी में भी बरकरार रही. 16वीं लोकसभा में संसद में उनकी 96.79 फीसदी उपस्थिति रही. इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर कुल 304 सवाल पूछे, 90 बहस में हिस्सा लिया और 1 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. उन्होंने कुल आवंटित सांसद विकास निधि का 37.68 फीसदी अपने क्षेत्र के विकास पर खर्च किया.