
देश में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान चढ़ा राजनीतिक पारा आम चुनावों तक बरकरार रहने वाला है. विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी में लोकसभा के लिए फीडबैक और बैठकों का दौर जारी है. तो वहीं कम अंतर से हारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी मिशन 2019 की तैयारियों में लगी है.
पिछले विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने वाली बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. लेकिन 2018 में हुए लोकसभा उपचुनाव में अलवर और अजमेर सीट कांग्रेस ने हथिया ली. राजस्थान की जालौर सीट शुरू से कांग्रेस का गढ़ रहा लेकिन 2009 के परिसीमन में इस सीट के सामान्य होने के बाद से लगातार 2 बार से बीजेपी के देवीजी पटेल यहां से सांसद है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
जालौर लोकसभा क्षेत्र आजादी के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी. यहां हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव में 8 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी, 1 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार भारतीय लोक दल और 1 बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. 1952 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भवानी सिंह जीते. इसके बाद 1957,1962, 1971, 1980, 1984, 1991, 1996, 1998, 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1967 में स्वतंत्र पार्टी, 1977 में बीएलडी जीती. तो वहीं 1989, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना झंडा गड़ा. इस लिहाज से पिछले 3 बार से जालौर सीट पर लगातार बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी के देवीजी पटेल यहां से लगातार दो बार के सांसद हैं.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के कारण यह सीट कांग्रेस का गढ़ रहा. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह जालौर लोकसभा का 4 बार प्रतिनिधित्व किया. बूटा सिंह के वर्चस्व को तोड़ने के लिए बीजेपी में उनके कद का कोई बड़ा दलित नेता नहीं था. लिहाजा 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दक्षिण भारत से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को दलित चेहरे के तौर पर बूटा सिंह के खिलाफ खड़ा किया. लेकिन बंगारू लक्ष्मण यह चुनाव हार गए. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में बंगारू लक्ष्मण की पत्नी सुशीला बंगारू को जालौर में बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया. इस चुनाव में सुशीला बंगारू, बूटासिंह को हराते हुए जालौर की पहली महिला सांसद बनीं
सामाजिक ताना-बाना
जालौर लोकसभा क्षेत्र संख्या-8 जालौर और सिरोही जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाई गई सामान्य सीट है. इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की 8 सीटों में से 6 सीटों पर पटेल-चौधरी जाति का खासा प्रभार रहता है. इसके बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोट भी निर्णायक माने जाते हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक जालौर की जनसंख्या 28,65,076 है जिसका 87.42 प्रतिशत हिस्सा शहरी और 12.58 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है. वहीं कुल आबादी का 19.51 फीसदी अनुसूचित जाति और 16.45 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ो के मुताबिक जालोर संसदीय सीट पर मतदाताओं की संख्या 18,24,968 है, जिसमें 9,64,047 पुरुष और 8,60,921 महिलाएं हैं.
जालौर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. जिसमें जालौर जिले की 5 और सिरोही जिले 3 विधानसभा शामिल हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन 8 विधानसभाओं में से 6 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि 1 सीट पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता. इस लिहाज से जालौर-सिरोही के मौजूदा सियासी समीकरण में बीजेपी का पलड़ा भारी है.
2014 का जनादेश
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए बीजेपी के देवीजी पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार उदयलाल आंजना को हराया. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस पूर्व दिग्गज नेता बूटा सिंह तीसरे स्थान पर रहें. इस चुनाव में बीजेपी के देवीजी पटेल को 5,80,508 , कांग्रेस के उदयलाल आंजना को 1,99,363 और बूटा सिंह को 1,75,344 वोट मिले थें.
गत लोकसभा चनाव में जालोर सीट पर 59.6 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी को 53.4 फीसदी और कांग्रेस को 18.3 फीसदी वोट मिले. जबकि बूटा सिंह को 16.1 फीसदी वोट मिले.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
42 वर्षीय जालोर सांसद देवीजी पटेल का जन्म 25 सितंबर 1976 में हुआ था. उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त की है और पेशे से किसान-व्यापारी हैं. 16वीं लोकसभा में देवीजी पटेल की मौजूदगी की बात की जाय तो संसद में उनकी उपस्थिति 81.62 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने 562 सवाल पूछें और 196 बहस में हिस्सा लिया. अपने दूसरे संसदीय कार्यकाल के दौरान देवीजी पटेल ने 9 प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किए. सांसद विकास निधि की बात की जाए तो पटेल ने कुल आवंटित धन का 60.8 फीसदी अपने संसदीय क्षेत्र के विकास पर खर्च किया.