
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच बात बनती हुई नजर आ रही है. राज्य में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के बाद बीजेपी अब किसी भी सूरत में शिवसेना को अपने से अलग रखना नहीं चाहती है. शिवसेना के तल्ख तेवर के आगे बीजेपी उसकी शर्तों पर गठबंधन करने को तैयार होती दिख रही है. सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है तो शिवसेना को पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं.
सूत्रों की मानें तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में साथ उतरना चाहते हैं. राज्य की 48 सीटों में से शिवसेना ने 24-24 सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बीजेपी के सामने रखा है. इसमें पालघर सीट पर भी शिवसेना ने दावा किया है, जिसे हाल ही में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
सूत्रों की मानें तो शिवसेना के लिए बीजेपी की ओर से दो अतरिक्त सीटों पर सहमति जताई है. इसके अलावा एक और सीट देने के लिए पार्टी तैयार है और साथ ही दोनों पार्टियों के बीच कुछ सीटें अदली-बदली जाएंगी. लेकिन बीजेपी किसी भी सूरत में पालघर सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. सूत्रों की मानी जाए तो दोनं पार्टियों के बीच 23-25 सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति बन सकती है.
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. राज्य की 48 संसदीय सीटों में से शिवसेना ने राज्य में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 सीटों में जीत हासिल की थी. वहीं, बीजेपी ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 23 पर जीत दर्ज की थी.
शिवसेना सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के साथ गठबंधन होता है तो ऐसी हालत में शिवसेना के खाते में सीटें बढ़ सकती हैं. शिवसेना अपने खाते से किसी भी अन्य के लिए कोई सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. वो चाहती है कि बीजेपी अपने कोटे से अन्य दलों को सीटें दे.
हाल ही मीडिया सर्वे में महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी को भारी बढ़त दिखाई गई है. जबकि बीजेपी और शिवसेना को तगड़ा झटका लग सकता है. इतना ही नहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में अपने किसी भी सहयोगी को नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि भाजपा महाराष्ट्र में अपनी अहम पार्टनर शिवसेना को अपने साथ ही रखना चाहती है.