
पश्चिम बंगाल के मालदा दक्षिण लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को मतदान है. पश्चिम बंगाल के इस मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट पर रोमांचक मुकाबला है. कांग्रेस ने इस सीट से मौजूदा सांसद अबू हसम खान चौधरी को टिकट दिया है. तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से मोइज्जम हुसैन को टिकट दिया है. इनके मुकाबले के लिए बीजेपी ने श्रीरुपा मित्र चौधरी को टिकट दिया है. इस सीट से सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया अंगशुधर मंडल को टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी के फूलचंद मंडल इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी फॉर डेमोक्रेटिक सोशलिज्म के नजमूल हक चुनाव लड़ रहे हैं.
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बीच मालदा दक्षिण लोकसभा सीट ऐसी थी, जिसने मुस्लिम प्रतिनिधि को चुनकर संसद में भेजा था. 2014 को इसलिए भी याद किया जाता है क्योंकि इस चुनाव में सबसे कम मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीत सके थे. लेकिन मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण लोकसभा सीटों से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. मालदा जिले की दोनों लोकसभा सीटों और 12 में से 8 विधानसभा सीटों पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. इसलिए यहां सेंधमारी के लिए लेफ्ट के साथ साथ बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस भी जोर लगा रही हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
साल 2009 में हुए परिसीमन में मालदा लोकसभा सीट दो हिस्सों में बंट गई. इनमें एक मालदा उत्तर लोकसभा सीट और दूसरी मालदा दक्षिण लोकसभा सीट बनीं. यह सीट ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है. पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक दो बार ही ऐसे मौके आए जब इस सीट पर माकपा के उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे. 1971 और 1977 के आम चुनावों माकपा के दिनेश चंद्र जोरदार लगातार चुनाव जीतते रहे.
पहले लोकसभा चुनाव 1951 में कांग्रेस के टिकट पर सुरेंद्र मोहन घोष चुनाव जीते थे. उनके बाद 1957 और 1962 के चुनावों में कांग्रेस से रेणुका राय चुनाव जीतीं. 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने यू. रॉय को मैदान में उतारा जिन्होंने जीत हासिल की. 1971 और 1977 में कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. इसके बाद ए.बी.ए. घनी खान चौधरी 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे. वह यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे. 2005 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अबु हसेम खान चौधरी ने जीत हासिल की थी.
2014 का जनादेश
बहरहाल, 2014 आम चुनावों में भी कांग्रेस के टिकट पर अबु हसम खान चौधरी 380,291 वोट यानी 34.81 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल करने में सफल रहे. आम तौर पर माना जाता है कि मुस्लिम मतदाता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को वोट नहीं देते हैं, लेकिन मुस्लिम बहुल वाले इस सीट पर वह पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी के उम्मीदवार विष्णुपाडा रॉय 216,181 वोट यानी 19.79 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वहीं माकपा के उम्मीदवार अबु हसनत खान तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 209,480 वोट मिले थे.
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