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MOTN: घट रही हैं एनडीए की सीटें, फायदे में रहेगा यूपीए

Mood Of The Nation survey on 2019 Lok Sabha election 2019 लोकसभा चुनाव का विगुल कभी भी बज सकता है. इसे देखते हुए पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. जनता में भी उत्सकुता है कि एनडीए दोबारा सत्ता में आएगी या कांग्रेस के दिन फिरेंगे. देश का मिजाज जानने के लिए आजतक और कार्वी इनसाइट्स ने किया सर्वे. 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो-रॉयटर्स) बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो-रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

आजतक कार्वी इनसाइट्स के सर्वे के मुताबिक 2014 में सत्ता में आए एनडीए का वोट शेयर घट रहा है तो यूपीए का वोट शेयर बढ़ रहा है. 2019 के चुनाव में एनडीए 99 सीटें घटकर 237 तक सिमट सकता है जबकि यूपीए को 106 सीटों का फायदा हो सकता है यानि उसे 166 सीटें मिल सकती हैं.

घट रहा है एनडीए का वोट शेयर

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2014 में एनडीए को 38 फीसदी वोट मिले थे जबकि यूपीए के हिस्से में महज 23 फीसदी वोट आए थे. अन्य दलों के हिस्से में तब 39 फीसदी वोट गए थे.  इसके बाद हर छह महीने बाद आजतक के सर्वे देश का मिजाज में ये वोट प्रतिशत बदलता रहा. इस महीने के लिए हुए सर्वे में एनडीए को 35 फीसदी तो यूपीए को 33 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अन्य दलों के हिस्से में बाकी के 32 फीसदी वोट जा रहे हैं.

2014 से लेकर जनवरी 2019 के बीच इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स ने आठ MOTN कराए. इस दौरान NDA, UPA और अन्य दलों के बीच सीट शेयर को लेकर भी उतार-चढ़ाव जारी रहा. आखिरी सर्वे जनवरी 2019 में कराया गया, जिसमें NDA सबसे आगे है, हालांकि उसकी सीटों में कमी आने का अनुमान है.  

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उत्तर भारत

उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को शामिल किया गया है. यहां एनडीए को 40 फीसदी वोट और 66 सीटें मिल सकती हैं जबकि यूपीए को 23 फीसदी वोट और 20 सीटें मिल सकती हैं.

पूर्वी भारत

एनडीए को देश के इस हिस्से से 69 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि अन्य दल 45 सीटें लेकर दूसरे स्थान पर रहेंगे. पूर्वी भारत में यूपीए के महज 28 सीटें जीतने का अनुमान है.

पश्चिमी भारत

पश्चिम भारत यानी गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी एनडीए वोट शेयर में पिछड़ता दिख रहा है. एनडीए को यहां 46 फीसदी वोट और 76 सीटें मिल सकती हैं वहीं यूपीए को 42 फीसदी वोट 40 सीटें मिलने की संभावना है.

दक्षिण भारत

दक्षिण भारत यानी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना का अनुमानित वोट शेयर देखें तो एनडीए पिछड़ता दिख रहा है. यहां एनडीए को 18 फीसदी वोट मिल सकते हैं वहीं यूपीए को 43 फीसदी वोट और 78 सीटें मिल सकती हैं अन्य दलों को 39 फीसदी वोट और 26 सीटें मिल सकती हैं.

यूपीए में अगर आ गए TMC,SP-BSP

अगर तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी UPA के साथ जुड़ जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान एनडीए को होगा. यूपीए का वोट शेयर जहां 44 फीसदी रहेगा तो वहीं एनडीए का वोट शेयर 39 फीसदी रहेगा. जबकि अन्य का वोट शेयर 21 फीसदी रहेगा. एनडीए को 219 सीटों तक सीमित रह जाएगा. यूपीए को 269 सीट मिलती दिख रही हैं.

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PDP, TMC, BSP, SP UPA में मिले तब क्या होगा

अगर पीडीपी, टीएमसी, बसपा और समाजवादी पार्टी यूपीए में शामिल होती हैं तो इसका नुकसान एनडीए को होगा. इन सभी दलों के साथ आने से यूपीए को 44 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. वहीं एनडीए को 40 फीसदी वोट मिल सकता है, जबकि अन्य को 16 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है.  2014 के लोकसभा चुनाव में 336 सीट हासिल करने वाले एनडीए को 102 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.

AIADMK, KCR और पटनायक भी नहीं कर पाएंगे मोदी का बेड़ा पार 

पीडीपी, टीएमसी, बसपा और सपा अगर यूपीए में शामिल हो जाती हैं और AIADMK, YSRCP, टीआरएस और बीजेडी जैसी पार्टियां एनडीए में शामिल हो जाती हैं तो दोनों ही गठबंधन का वोट शेयर बराबर रहेगा. सर्वे के नतीजे के मुताबिक एनडीए और यूपीए का वोट शेयर 44-44 फीसदी रहेगा. वहीं अन्य का वोट शेयर 12 फीसदी रहेगा.

जनता चाहती है फिर बने मोदी सरकार

सर्वे में 60 फीसदी लोग एकमत से एनडीए को 2019 में एक और मौका देना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि एक मौका देने से एनडीए सरकार से जो उनकी उम्मीदें हैं वो पूरी हो जाएंगी. सर्वे में 32 फीसदी लोग एनडीए को दोबारा सरकार बनाने के लिए मौका नहीं देना चाहते हैं. जबकि 8 फीसद लोगों ने कोई राय नहीं दी, उन्होंने अभी तक फैसला नहीं किया है कि चुनाव में वो किसे साथ देंगे.

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सर्वे में 60 फीसदी लोग एकमत से एनडीए को 2019 में एक और मौका देना चाहते हैं, यानी मोदी सरकार की वापसी चाहते हैं. उन्हें लगता है कि एक मौका देने से एनडीए सरकार से जो उनकी उम्मीदें हैं वो पूरी हो जाएंगी. सर्वे में 32 फीसदी लोग एनडीए को दोबारा सरकार बनाने के लिए मौका नहीं देना चाहते हैं, यानी ये लोग मोदी सरकार के कामकाज से नाखुश हैं. जबकि 8 फीसद लोगों ने कोई राय नहीं दी, उन्होंने अभी तक फैसला नहीं किया है कि चुनाव में वो किसे साथ देंगे.

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