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MOTN:GST से नुकसान में रहे कारोबारी, किसान और गृहिणी

छमाही आधार पर होने वाले मूड ऑफ द नेशन सर्वे नेशन के अगस्त 2018 के मुताबिक भी जहां 39 फीसदी लोग जीएसटी से नुकसान बता रहे थे वहीं 35 फीसदी लोगों ने दावा किया था कि इस आर्थिक सुधार से उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ा. वहीं इस सर्वे में भी 17 फीसदी लोगों ने जीएसटी से फायदा पहुंचने की बात कही थी.

जीएसटी का जश्न (फाइल फोटो) जीएसटी का जश्न (फाइल फोटो)
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी पड़ाव पर है और कुछ ही महीनों में नई लोकसभा के लिए आम चुनाव कराए जाने हैं. इससे पहले देश का मिजाज जानने के लिए इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे में पाया गया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक सुधार की दिशा में लिए गए बड़े कदम गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा और उन्हें इस सुधार से नुकसान उठाना पड़ा.

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सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2019 में कराए गए इस सर्वे में 40 फीसदी लोगों का मानना है कि जीएसटी से उन्हें नुकसान पहुंचा है. वहीं 37 फीसदी लोगों का कहना है कि जीएसटी लागू किए जाने से उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ा है जबकि 17 फीसदी लोगों का मानना है  कि जीएसटी से उन्हें फायदा पहुंचा है.

खास बात यह है कि छमाही आधार पर होने वाले मूड ऑफ द नेशन सर्वे के अगस्त 2018 के मुताबिक भी जहां 39 फीसदी लोग जीएसटी से नुकसान बता रहे थे वहीं 35 फीसदी लोगों ने दावा किया था कि इस आर्थिक सुधार से उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ा. वहीं इस सर्वे में भी 17 फीसदी लोगों ने जीएसटी से फायदा पहुंचने की बात कही थी.

वहीं अलग-अलग व्यवसाय के आधार पर देखें तो जनवरी 2019 के सर्वे के मुताबिक नौकरी पेशा 44 फीसदी लोगों को जीएसटी से नुकसान हुआ तो 22 फीसदी लोगों ने इस आर्थिक सुधार से फायदा पहुंचने का दावा किया. कारोबारियों में 43 फीसदी लोग नुकसान का दावा कर रहे हैं तो 21 फीसदी का मानना है कि उन्हें नए नियम से फायदा पहुंचा है. इनके अलावा स्वरोजगारी, किसान, बेरोजगार, छात्र और गृहिणी का दावा रहा है कि उन्हें भी जीएसटी से नुकसान अधिक और फायदा कम हुआ है.

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गौरतलब है कि इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट ने यह सर्वे देश के 97 संसदीय क्षेत्रों में कराया जिसके जरिए 197 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया. इस सर्वे में कुल 12,166 लोगों का इंटरव्यू लिया गया और इनमें 69 फीसदी लोग देश के ग्रामीण इलाकों और 31 फीसदी लोग शहरी इलाकों में थे. खासबात है कि सर्वाधिक लोग उत्तर प्रदेश राज्य से थे और यहां की कुल 20 संसदीय क्षेत्रों में यह सर्वे कराया गया.

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