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पिछले 5 साल में क्या भारत असहिष्णु बनाः 41% बोले हां और 41% नहीं: MOTN

Mood Of The Nation (MOTN) आजतक और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे में यह बात सामने आई कि देश की 41 फीसदी जनता मानती है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी और भारत असहिष्णु देश बन गया. देशभर में 41 फीसदी लोग मानते हैं कि देश असहिष्णु हो गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 33 फीसदी लोगों का है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल-PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान इनटोलरेंस यानी असहिष्णुता शब्द काफी प्रचलित रहा. कई क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियों ने मोदी के कार्यकाल में असहिष्णुता बढ़ने की बात कही, जिसका मोदी सरकार की ओर से लगातार खंडन किया जाता रहा. अब लोकसभा चुनाव 2019 से पहले आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ सर्वे के जरिए यह जानने की कोशिश की क्या वाकई में भारत असहिष्णु देश बन गया है.

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आजतक और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे में यह बात सामने आई कि देश की 41 फीसदी जनता मानती है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी और भारत असहिष्णु देश बन गया. देशभर में 41 फीसदी लोग मानते हैं कि देश असहिष्णु हो गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 33 फीसदी लोगों का है. हालांकि इस मुद्दे पर सर्वे में शामिल 41 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में 38 फीसदी लोगों का कहना है कि देश असहिष्णु नहीं बना.

इस सर्वे में ऐसे लोगों की संख्या भी ज्यादा है जो इस मामले में स्पष्ट नहीं हैं. देशभर में 18 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 29 फीसदी लोग इस सवाल पर कुछ नहीं कहने की स्थिति में हैं. यह सर्वे 2,478 लोगों पर किया गया. 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच उत्तर प्रदेस के कुल 20 लोकसभा क्षेत्रों में यह सर्वे कराया गया.

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क्या आप मानते हैं कि पिछले 5 साल में देश ज्यादा असहिष्णु हो गया है, इस मामले में पुरुष और महिलाओं की सोच में 33 फीसदी का अंतर है. पुरुषों में यह अंतर 34 फीसदी का है जबकि महिलाओं में 31 फीसदी का अंतर है.

आजतक और कर्वी इनसाइट्स का सर्वे देश का मिजाज यानी मूड ऑफ द नेशन बताता है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन प्रदेश की 80 में से 58 सीटें जीत सकता है और पिछले लोकसभा चुनाव में 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी-अपना दल गठबंधन को 18 सीटों तक सीमित कर सकता है. हालांकि अगर मायावती और अखिलेश यादव अपने गठबंधन में आरएलडी के साथ कांग्रेस को भी शामिल कर लेते हैं तो यूपी बीजेपी के लिए वाटरलू साबित हो सकता है.

सर्वे के नतीजों के अनुसार ऐसा होने पर बीजेपी का वोट शेयर 2014 के 43.3 फीसदी से घटकर 36 फीसदी रह जाएगा, लेकिन उसे मिलने वाली सीटें 73 की बजाय महज 5 सीट तक सिमट जाएंगी. शेष 75 सीटें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और कांग्रेस के खाते में चली जाएंगी.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में उत्तर प्रदेश से मिली 73 (71+2) सीटों का अहम योगदान रहा था, लेकिन इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि प्रदेश में महागठबंधन बना तो बीजेपी को तगड़ा झटका लगेगा ही साथ में केंद्र में मोदी की विजय रथ भी रुक सकता है.

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