
लोकसभा चुनाव का मतदान खत्म हो चुका और अब इंतजार नतीजों का है. इसी बीच मध्य प्रदेश में तेजी से सियासत से जुड़ी कई खबरें सामने आ रही हैं. बीजेपी ने कमलनाथ सरकार के पास बहुमत न होने का आरोप लगाया .वहीं अब कमलनाथ सरकार ने बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
कमलनाथ सरकार के कानूनी विभाग ने देवास के जिला कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है. इस रिपोर्ट में पूछा गया कि आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ केस क्यों नहीं दर्ज किया गया? जबकि पीड़िता ने इसकी शिकायत की थी. जोशी की हत्या दिसंबर 2007 में देवास में हुई थी.
फिर से खोली जाएगी जोशी हत्याकांड की फाइल
इससे पहले कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा था कि सुनील जोशी हत्याकांड की फाइल फिर से खोली जाएगी. इसमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भूमिका की जांच होगी. उन्होंने कहा था कि मैं प्रज्ञा को साध्वी भी नहीं कहूंगा, क्योंकि उन्होंने गांधीजी के हत्यारे को देशभक्त और शहीद हेमंत करकरे को देशद्रोही कहा है.
2007 में हुई थी हत्या, 2009 में केस हुआ था बंद
आरएसएस के प्रचारक रहे सुनील जोशी 29 दिसंबर, 2007 को देवास में मारे गए थे. उनका नाम मक्का मस्जिद, समझौता और मालेगांव विस्फोट मामलों में लिया गया था. इस केस में देवास पुलिस ने प्रज्ञा ठाकुर और दूसरे लोगों को 23 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया था. बाद में देवास एसपी के आदेश पर 25 मार्च, 2009 को ये केस बंद कर दिया गया.
समझौता ब्लास्ट केस में शामिल होने का आरोप
सुनील जोशी पर समझौता ब्लास्ट केस में शामिल होने के आरोप थे. नई दिल्ली से लाहौर जाने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में पानीपत के पास 18 फरवरी, 2007 को बम धमाका हुआ था. इसमें 68 लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे. इस केस में सुनील जोशी आरोपी थे. उनका नाम एनआईए की चार्जशीट में था. सुनील जोशी की हत्या देवास के चूना खदान इलाके में उस वक्त हुई थी, जब वो अपने घर वापस जा रहे थे.