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मैनपुरी से आज मुलायम भरेंगे नामांकन, 23 साल पहले इसी सीट से केंद्र की सत्ता में पहुंचे थे

एक बार फिर मुलायम सिंह उस लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा रहे हैं जहां से विजय प्राप्त करते हुए उन्होंने अपनी संसदीय राजनीति का आगाज किया था. 23 साल पहले 1996 में मुलायम सिंह यादव अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव मैनपुरी सीट से जीतकर ही लोकसभा पहुंचे थे. इतना ही नहीं, इस चुनाव में विजय पताका लहराने वाले मुलायम सिंह यादव को केंद्र में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार में रक्षा मंत्रालय संभालने की अहम जिम्मेदारी भी मिली थी.

मुलायम सिंह यादव ने 1996, 2004, 2009 और 2014 में मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीता मुलायम सिंह यादव ने 1996, 2004, 2009 और 2014 में मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीता
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 10:25 AM IST

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर रहे हैं. यानी 2019 की चुनावी जंग में मुलायम सिंह उस लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा रहे हैं जहां से विजय प्राप्त करते हुए उन्होंने अपनी संसदीय राजनीति का आगाज किया था. 23 साल पहले 1996 में मुलायम सिंह यादव अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव मैनपुरी सीट से जीतकर ही लोकसभा पहुंचे थे. इतना ही नहीं, इस चुनाव में विजय पताका लहराने वाले मुलायम सिंह यादव को केंद्र में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार में रक्षा मंत्रालय संभालने की अहम जिम्मेदारी भी मिली थी. अब एक बार फिर मुलायम सिंह अपने गढ़ मैनपुरी से चुनाव मैदान में उतरे हैं.

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उम्र के आठ दशक पूरे कर रहे मुलायम सिंह यादव को सियासी अखाड़े का बड़ा पहलवान माना जाता है और उनके बेटे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सियासत को उसी राह पर ला दिया है, जिस पर कभी मुलायम सिंह यादव ने अपनी मंजिल पाई थी. पूरे देश में बाबरी मस्जिद ढांचा गिरने के बाद मंडल-कमंडल की जो राजनीति शुरू हुई, उसमें मुलायम सिंह यादव ने अपनी नवगठित पार्टी का बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ कर लिया और 1993 का यूपी विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लड़ा. मुलायम सिंह की यह तरकीब काम कर गई और वह यूपी के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, सपा-बसपा का साथ दो साल भी नहीं चल सका और इसी दौरान लखनऊ गेस्ट हाउस कांड भी देखने को मिला. यूपी की सत्ता हाथ से जाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और वह यहां से जीत दर्ज करने के बाद केंद्र की राजनीति की अहम धुरी बन गए.

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जब रक्षा मंत्री बने मुलायम सिंह

केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी और मुलायम सिंह यादव 1996-1998 के बीच रक्षा मंत्री रहे. हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और एक बार हालात ये पैदा हो गए कि मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री की रेस में भी आने लगा. कहा जाता है कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेरने का काम किया. इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह ने संभल सीट से बाजी लड़ी और जीत हासिल की. 1999 में फिर चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीते. बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, जहां हुए उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने. इसके बाद 2004, 2009 व 2014 का लोकसभा चुनाव भी मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से जीता, लेकिन दो-दो सीटों पर जीतने के चलते उन्होंने 2004 व 2014 में मैनपुरी सीट खाली कर दी. जिसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से जीते और 2014 में मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप सिंह यादव ने उपचुनाव में यहां से जीत दर्ज की. मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट अपने पास रखी.

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अब आजमगढ़ सीट से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लड़ रहे हैं और मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लौट आए हैं. एक और दिलचस्प बात ये है कि मुलायम सिंह यादव इस चुनाव में सिर्फ एक ही सीट से बाजी लड़ रहे हैं, जबकि वो हमेशा से दो सीटों पर एक साथ लड़ते रहे हैं. ऐसे में 1996 की तरह सिर्फ मैनपुरी के रूप में एक सीट से चुनावी रण में उतरे मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी के लिए क्या फिर केंद्र की सत्ता में भागीदारी मिलने वाले उस दौर जैसे सियासी हालात बन पाएंगे, ये देखना भी दिलचस्प होगा.

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