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Nabarangpur Lok Sabha Chunav Result 2019: कांग्रेस के गढ़ पर फ‍िर बीजेडी का कब्जा

Lok Sabha Chunav Nabarangpur Result 2019 लोकसभा चुनाव 2019 के ल‍िए ओडिशा की नबरंगपुर लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना हुई. इस सीट पर बीजेडी के रमेश चंद्र माझी ने कांग्रेस के प्रदीप कुमार माझी को 41 हजार 634 मतों से पराज‍ित क‍िया. इस चुनाव की खास बात ये रही है क‍ि यहां नोटा को 44 हजार 582 वोट म‍िले.

Nabarangpur Lok Sabha Election Result 2019 Nabarangpur Lok Sabha Election Result 2019
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 के ल‍िए ओडिशा की नबरंगपुर लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना हुई. इस सीट पर बीजेडी के रमेश चंद्र माझी ने कांग्रेस के प्रदीप कुमार माझी को 41 हजार 634 मतों से पराज‍ित क‍िया. इस चुनाव की खास बात ये रही है क‍ि यहां नोटा को 44 हजार 582 वोट म‍िले.

O.S.N.CandidatePartyEVM VotesPostal VotesTotal Votes% of Votes
1CHANDRADHWAJ MAJHIBahujan Samaj Party28189716289052.49
2PRADEEP KUMAR MAJHIIndian National Congress349437143335087030.26
3BALABHADRA MAJHIBharatiya Janata Party34251032934283929.56
4RAMESH CHANDRA MAJHIBiju Janata Dal3924812339250433.85
5NOTANone of the Above445802445823.84

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यहां पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को मतदान हुआ था. इस सीट पर 78.89 फीसदी मतदान हुआ. इस तरह इस सीट पर बीजद, बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच मुकाबला था. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित नबरंगपुर लोकसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. नबरंगपुर संसदीय क्षेत्र में पैठ बनाने में ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को लंबा वक्त लग गया. 2014 में बीजेडी ने एक बेहद कड़े मुकाबले में मात्र 2000 वोट से ये सीट कांग्रेस से छीन ली. इस बार समीकरण अलग था, क्योंकि बीजद के नबरंगपुर के सांसद बलभद्र माझी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े.

कब और कितनी हुई वोटिंग

2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 78.80 प्रतिशत रहा था. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस संसदीय सीट पर मतदाताओं की संख्या 12 लाख 97 हजार 210 थी. इनमें से पुरुष मतदाता 6 लाख 45 हजार 875 थे, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 51 हजार 335 थी.

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Lok Sabha Election Results 2019 LIVE: देखें पल-पल का अपडेट

कौन-कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार

इस बार आम चुनाव में इस सीट पर समीकरण बदल गए क्योंकि बीजू जनता दल (बीजद) के नबरंगपुर के सांसद बलभद्र माझी ने हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए, जबकि बीजद ने रमेश चंद्र माझी को अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं कांग्रेस के प्रदीप कुमार माझी मैदान में थे. बसपा ने अपने उम्मीदवार के तौर पर चंद्रध्वज माझी को उतारा है. इस तरह इस सीट पर बीजद, बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच मुख्य मुकाबला हुआ.

2014 का चुनाव

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर रोमांचक मुकाबला हुआ था. बीजेडी ने मात्र 2042 वोटों के अंतर से ये सीट कांग्रेस के जबड़े से छीन ली थी. बीजेडी के बलभद्र मांझी को 3 लाख 73 हजार 887 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के प्रदीप कुमार मांझी को 3 लाख 71 हजार 845 वोट मिले. बीजेपी तीसरे स्थान पर रही थी. पार्टी कैंडिडेट परशुराम मांझी को 1 लाख 38 हजार 430 वोट मिले थे. 2014 में कांग्रेस को शिकस्त देने में नोटा वोटों की अहम भूमिका रही. इस सीट पर 44 हजार 408 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. नोटा वोटों का आंकड़ा बीजेपी को मिलने वाले वोटों के बाद चौथे नंबर पर था.  

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सामाजिक ताना-बाना

नबरंगपुर लोकसभा का विस्तार ओडिशा के कोरापुट, मल्कानगिरी और नबरंगपुर जिलों में है. आदिवासियों की बहुलता की वजह से यह सीट एसटी के लिए सुरक्षित है. अगर यहां की आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 21 लाख 24 हजार 995 थी. यहां की लगभग 93 फीसदी जनसंख्या गांवों में रहती है, जबकि 7 फीसदी आबादी का निवास शहरी इलाकों में है. इस सीट पर अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा 56.5 फीसदी है, जबकि 16.89 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जातियों की है.

दक्षिण-पश्चिम ओडिशा में स्थित नबरंगपुर की गिनती देश के पिछड़े जिलों में होती है. इसकी गवाही देते हैं यहां के साक्षरता आंकड़े 2011 की जनगणना के अनुसार नबरंगपुर की साक्षरता दर मात्र 46.43 प्रतिशत है जबकि उड़ीसा की साक्षरता दर 72.87 है. केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र के इलाके नक्सलवाद से प्रभावित हैं.

सीट का इतिहास

नबरंगपुर लोकसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ है. इस सीट पर अबतक 15 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, इनमें से 11 बार कांग्रेस जीती है. 1952 में इस सीट पर गणतंत्र परिषद ने जीत हासिल की थी. 1957 में ये सीट परिसीमन की वजह से वजूद में नहीं था. 1962 में हुए चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की. इसके बाद इस सीट से कांग्रेस की जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वो 36 साल तक यानी कि 1998 तक जारी रहा. 62 में यहां से जगन्नाथ राव चुनाव जीते. 1967 में कांग्रेस ने खगपति प्रधानी को मैदान में उतारा. प्रधानी इस सीट से चुनाव जीते. इसके बाद लगातार 1998 तक कांग्रेस उनपर भरोसा करती रही और वे जीतते रहे.

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1999 में यहां के मतदाताओं का कांग्रेस से मोहभंग हुआ. बीजेपी के परशुराम मांझी इस सीट से चुनाव जीते. 2004 में भी इस सीट से बीजेपी के टिकट पर परशुराम मांझी ने फतह हासिल की. 2009 में कांग्रेस ने एक बार फिर यहां वापसी की. प्रदीप कुमार मांझी इस सीट से चुनाव जीते. हालांकि 2014 में बीजेडी ने इस सीट पर पहली बार एंट्री दर्ज की और कांग्रेस के जबड़े से जीत छीन ली.

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