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पीएम का राहुल गांधी पर निशाना, कहा- वंशवाद पार्टी की कमान तो देगा लेकिन दूरदृष्टि नहीं देगा

पीएम मोदी ने पिछले लोकसभा चुनावों और मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान देश के मतदाताओं के मूड की तुलना करते हुए कहा कि साल 2014 का चुनाव सत्ताविरोधी लहर का था, जबकि 2019 का मौजूदा चुनाव सत्तासमर्थक लहर का है.

पिछले चुनावों में सत्ताविरोधी लहर थी, इस बार सत्तासमर्थक लहर: पीएम मोदी पिछले चुनावों में सत्ताविरोधी लहर थी, इस बार सत्तासमर्थक लहर: पीएम मोदी
aajtak.in
  • इंदौर,
  • 13 मई 2019,
  • अपडेटेड 12:23 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि इस बार सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के समर्थन में लहर चल रही है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वंशवाद के जरिए पार्टी की कमान तो मिल सकती है लेकिन दूरदृष्टि नहीं मिल सकती.

पीएम मोदी ने पिछले लोकसभा चुनावों और मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान देश के मतदाताओं के मूड की तुलना करते हुए कहा, 'साल 2014 का चुनाव एंटी इन्कम्बन्सी (सत्ताविरोधी लहर) का था, जबकि 2019 का मौजूदा चुनाव प्रो-इन्कम्बन्सी (सत्तासमर्थक लहर) का है. साल 2014 के चुनाव में भ्रष्टाचार, वंशवाद और नीतिगत लकवे के खिलाफ जनता का आक्रोश चरम पर था, जबकि 2019 के चुनाव में जनता का विश्वास चरम पर है.'

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मोदी ने कहा, '2014 के चुनाव में देश ने मेरे और मेरे काम के बारे में बस सुना था. 2019 के इस चुनाव में देश मेरे काम को जानने लगा है. लिहाजा इस बार भारतीय जनता पार्टी नहीं, बल्कि खुद भारतीय जनता लड़ रही है.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरी निष्ठा, नीयत और नीति का आकलन कम-ज्यादा हो सकता है. लेकिन मेरे इरादों में कोई भी खोट नहीं निकाल सकता.'

वंशवाद

साथ ही पीएम मोदी गांधी परिवार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नजरिए पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, 'वंशवाद की सीढ़ी पर चढ़कर उन्हें (राहुल) पार्टी की कमान तो मिल सकती है, लेकिन दूरदृष्टि नहीं मिल सकती.' पीएम मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर आक्रमण करते हुए कहा, 'हमने अक्सर देश में सत्तारूढ़ दल को हटाने के लिए जनता को खड़े होते देखा है.

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अक्सर यह भी बोला जाता है कि देश का मतदाता शांत होता है. लेकिन इस बार मतदाता मुखर है और वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक (एनडीए) सरकार को दोबारा चुनने के लिए खड़ा हो गया है. इस कारण कई नेताओं की नींद हराम हो गई है और उन्होंने बयानबाजी के मामले में अपना संतुलन खो दिया है.' साल 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के विवादास्पद बयान 'हुआ तो हुआ' को लेकर कांग्रेस पर हमले जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कथन कांग्रेस का अहंकार दिखाता है.

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