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उमर अब्दुल्ला, जो बने जम्मू-कश्मीर के सबसे युवा सीएम, तोड़ दिया श्रीनगर का ‘मिथ’

जम्मू कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने वाले उमर अब्दुल्ला को राजनीति अपने पिता फारूक अब्दुल्ला से विरासत में मिली है. उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश राज्य मंत्री और वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं.

Omar Abdullah, Former chief minister of Jammu and kashmir Omar Abdullah, Former chief minister of Jammu and kashmir
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला को राजनीति विरासत में मिली है. अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य उमर अब्दुल्ला के नाम कई रिकॉर्ड हैं. उमर के नाम जम्मू-कश्मीर के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड है. इसके अलावा उमर लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. इस बार उमर लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ रहे हैं. उनकी नजर कुछ ही समय बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर है, जिसमें उमर अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं.

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वाजपेयी सरकार में रह चुके हैं मंत्री

उमर अब्दुल्ला 2002 से 2009 तक पार्टी के अध्यक्ष भी रहे. वर्तमान में उमर पार्टी के उपाध्यक्ष हैं. मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने पार्टी की कमान फिर से पिता फारूक अब्दुल्ला को सौंप दी. उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश राज्य मंत्री और वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं.

लगातार तीन चुनाव श्रीनगर से जीता

उमर अब्दुल्ला सिर्फ रिकॉर्ड ही नहीं, बल्कि एक मिथ भी तोड़ चुके हैं. श्रीनगर संसदीय सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां से कोई भी सांसद लगातार दो बार संसद नहीं पहुंचा. इसी मिथ के चलते 1977 में उमर अब्दुल्ला की दादी अकबर जहां बेगम ने लगातार दूसरी बार चुनाव में श्रीनगर सीट की बजाए अनंतनाग का रुख किया था. इसीलिए उमर अब्दुल्ला 1998 के बाद 1999 के चुनाव में जब दोबारा श्रीनगर सीट से मैदान में उतरे तो उनकी जीत पर संशय हुआ. लेकिन उन्होंने न सिर्फ 1999 का, बल्कि 2004 का चुनाव भी यहीं से जीता. हालांकि जम्मू-कश्मीर में हैट्रिक बनाने का कमाल उमर से पहले 6 और नेता भी संसदीय चुनाव में हैट्रिक लगा चुके हैं.

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इंग्लैंड में हुआ जन्म, कश्मीर में हुई पढ़ाई

10 मार्च 1970 को इंग्लैंड में जन्मे उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल और लॉरेंस स्कूल सनवर से शुरुआती शिक्षा ली. इसके बाद उमर मुंबई स्थित सिडेनहैम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड में स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय से MBA किया. इसके बाद उमर मुंबई लौटे और यहां ITC के साथ कुछ समय तक काम किया.

पत्नी से हुआ अलगाव, दो बच्चों के हैं पिता

उन्होंने 1 सितंबर 1994 में पायल से निकाह किया. दोनों के दो बेटे हुए. उमर के दोनों बेटों का नाम जाहिर और जामिर है. साल 2007 में दोनों के रिश्तों में खटास आई. दोनों में तल्खी इस कदर बढ़ गई कि 2009 से दोनों अलग रहने लगे. बाद में तलाक तक नौबत आ गई.

2019 नहीं, 2024 की तैयारी की दी थी नसीहत

अपने तंज भरे ट्वीट से हर मुद्दे पर अपनी राय रखने वाले उमर अब्दुल्ला अक्सर पीएम मोदी पर निशाना साधते रहते हैं. उन्होंने एक बार विपक्ष को 2019 का चुनाव जीतने का ख्वाब देखने की बजाए 2024 की तैयारी करने तक की नसीहत दे दी थी. उन्होंने कहा था कि मौजूदा राजनीति में मोदी के कद का कोई दूसरा नेता नहीं है. विपक्ष इस कदर बिखरा हुआ है कि मोदी को 2019 में हराना मुमकिन नहीं है. लिहाजा विपक्ष को 2024 में जीतने के लिए तैयारी करनी चाहिए.

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370 और 35 ए पर मुखर उमर

उमर अब्दुल्ला कश्मीर के हक की आवाज पुरजोर तरीके से उठाते रहे हैं. पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती को बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले पर उन्होंने कश्मीर के लिए नुकसानदायक फैसला बताया था. कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 और 35 ए के पक्ष में उमर खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार पर 370 और 35 ए हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए इसे कश्मीरियत के खिलाफ बताया था. इसे बचाने के लिए उमर कश्मीर की सभी सियासी तंजीमों को एक साथ आने की अपील कर चुके हैं.

2009 में बने सबसे युवा सीएम

5 जनवरी 2009 को उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. 39 वर्ष की उम्र में उमर अब्दुल्ला राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बनने के साथ ही सबसे युवा सीएम भी बने. अगले विधानसभा चुनाव यानी 2014 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को हार का मुंह देखना पड़ा. उमर अब्दुल्ला दो जगह सोनवार और बीरवाह  से चुनाव लड़े. सोनवार से उमर खुद हार गए. बीरवाह से वे विधायक बने.

राज्य में पीडीपी ने विपरीत विचारधारा वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई. पीडीपी के इस फैसले की उमर खुलकर आलोचना करते रहे हैं. किसी भी दल को बहुमत न मिलने पर उन्होंने फिर से चुनाव कराने की मांग की थी.   

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विधानसभा चुनाव पर नजर, होंगे सीएम कैंडिडेट

2019 में उमर अब्दुल्ला चुनावी मैदान में नहीं उतर रहे. उनकी नजर लोकसभा चुनाव के ठीक बाद होने वाले जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधासभा चुनाव पर है. इस चुनाव में उमर नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. उनके पिता फारूक अब्दुल्ला भी साफ कर चुके हैं कि उमर अब्दुल्ला ही सीएम कैंडिडेट होंगे.

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