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पटना साहिब: शत्रुघ्न के टिकट पर सस्पेंस, सुशील मोदी के नाम पर दांव संभव

2014 के चुनाव में पटना साहिब सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा विजयी रहे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को हराया.

शत्रुघ्न सिन्हा (फेसबुक फोटो) शत्रुघ्न सिन्हा (फेसबुक फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:32 AM IST

पटना साहिब देश के 543 और बिहार के 40 संसदीय सीटों में एक है. 2008 तक पटना में एक ही संसदीय सीट हुआ करती थी लेकिन उसी साल परिसीमन के बाद यहां दो सीटें बनाई गईं. इनमें एक है पटना साहिब और दूसरा पाटलीपुत्र. इसे खास सीट माना जाता है क्योंकि सीने स्टार से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा यही से सांसद हैं. उन्हीं की तरह एक और फिल्म अभिनेता शेखर सुमन भी कभी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं.

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सीट का समग्र ब्योरा

पटना साहिब लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1,641,976 वोटर हैं जिनमें 732,059 महिला और 909,917 पुरुष हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तथा कांग्रेस के लिए पटना साहिब सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. इस सीट का महत्व हमेशा रहा है लेकिन पिछला चुनाव खास था क्योंकि यहां से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जहां अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में थे तो कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) गठबंधन ने भोजपुरी फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह को मैदान में उतारा. वर्ष 2008 से अस्तित्व में आई पटना साहिब सीट 2009 के चुनाव में भी शत्रुघ्न सिन्हा और टेलीविजन के मशहूर कलाकार शेखर सुमन के बीच मुकाबले की वजह से चर्चित हुई थी. सिन्हा ने 2014 में कुणाल सिंह को और 2009 में आरजेडी प्रत्याशी विजय कुमार को हराया था.

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सिन्हा के टिकट पर सस्पेंस

शत्रुघ्न सिन्हा अपनी ही पार्टी की केंद्रीय कमान से नाराज हैं. वे सार्वजनिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कामकाज के खिलाफ बोलते रहे हैं. इसे देखते हुए कयाज लगाए जा रहे हैं कि इस बार उन्हें पटना साहिब से टिकट नहीं मिलेगा. हालांकि सिन्हा इसे फेक न्यूज करार देकर अपने टि्वटर अकाउंट पर लोगों को जता चुके हैं कि अपनी सीट से वे ही चुनाव लड़ेंगे. खबरें ये भी आती रही हैं कि बीजेपी डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को टिकट दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो सिन्हा किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे या निर्दलीय उतरेंगे, इस पर सस्पेंस तब तक कायम रहेगा जबतक पार्टी कैंडिडेट के नाम न तय कर दे.

पटना साहिब के विधानसभा क्षेत्र

पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब और फतुहा विधानसभा क्षेत्र आते हैं. पटना साहिब नया संसदीय क्षेत्र बनने के बाद उसमें पुराने बाढ़ संसदीय क्षेत्र के दो इलाके फतुहा और बख्तियारपुर शामिल कर लिए गए. इसी के साथ फतुहा सुरक्षित से सामान्य विधानसभा क्षेत्र में बदल गया. परिसीमन के बाद पटना संसदीय क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्र-पटना पश्चिम, पटना केंद्रीय और पटना पूर्वी खत्म हो गए. इसकी जगह दीघा, बांकीपुर और कुम्हरार नए विधानसभा क्षेत्र बनाए गए.

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2014 और 2009 का चुनावी आंकड़ा

2014 के चुनाव में पटना साहिब सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा विजयी रहे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को हराया. सिन्हा को 485,905 वोट मिले जबकि कुणाल सिंह को 220,100 वोट. सिन्हा को 55.04 प्रतिशत वोट मिले थे और कुणाल सिंह को 24.93 प्रतिशत. हालांकि बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा को पिछले चुनाव की तुलना में 2014 में वोट शेयर 2.26 प्रतिशत तक घट गए लेकिन कांग्रेस का वोट शेयर 13.83 प्रतिशत बढ़ गया. यहां तीसरे स्थान पर जेडीयू के डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा रहे थे जिन्हें 91,024 वोट मिले. चौथे स्थान पर आम आदमी पार्टी की परवीन अमानुल्ला रहीं और पांचवें स्थान पर सपा के उमेश कुमार. इस चुनाव में नोटा के तहत 7,727 वोट दर्ज हुए. इस साल बीजेपी ने अपनी सीट बरकरार रखी.

2009 के चुनाव में भी शत्रुघ्न सिन्हा विजयी रहे. उन्होंने आरजेडी के विजय कुमार को हराया. इस साल सिन्हा को 316,549 (57.30 प्रतिशत) वोट मिले जबकि विजय कुमार को 149,779 (27.11 प्रतिशत) वोट हासिल हुए. तीसरे स्थान पर कांग्रेस के शेखर सुमन रहे जिन्हें 61,308 (11.10) वोट मिले. चौथे स्थान पर सीपीआईएमएल के राम नारायण राय रहे. पांचवें और छठे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार रहे थे.

शत्रुघ्न सिन्हा का संसद में प्रदर्शन

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पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की संसद में औसत हाजिरी 68 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 80 प्रतिशत का है. सिन्हा ने संसद की एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया. लिहाजा उन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा. प्राइवेट मेंबर बिल भी उनके खाते में शून्य है. 2018 के शीत सत्र में संसद में उनकी हाजिरी 63 प्रतिशत और मॉनसून सत्र में 76 प्रतिशत रही है. शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने कार्यकाल में 22.06 करोड़ रुपए खर्च किए. अपने मद का उन्होंने 98.06 प्रतिशत खर्च किया और 4.31 करोड़ रुपए बिना खर्च के बचे रह गए.

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