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सिंधी, कायस्थ वोट पर नजर, सपा ने लखनऊ से पूनम सिन्हा को उतारा

लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र खासकर शहरी इलाके में सिंधी और कायस्थ वोटों की अच्छी खासी संख्या है जिसे देखते हुए सपा ने पूनम सिन्हा को गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है. हालांकि उन पर बाहरी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जो वोटों पर असर डाल सकता है.       

डिंपल यादव और पूनम सिन्हा (फोटो-टि्वटर) डिंपल यादव और पूनम सिन्हा (फोटो-टि्वटर)
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 17 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए अभिनेता-सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली. थोड़ी देर बाद ही उन्हें लखनऊ संसदीय सीट से उतारने का फैसला भी कर लिया गया. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने पूनम सिन्हा को सपा की सदस्यता दिलाई.

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लखनऊ लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण को देखें तो बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की है. मुस्लिम 20 फीसदी, अनुसूचित जाति 14.5 फीसदी, ब्राह्मण 8 फीसदी, राजपूत 7 फीसदी और ओबीसी 28 फीसदी हैं. इसके अलावा 10 फीसदी वैश्य मतदाता हैं जिनमें सिंधी समाज का तकरीबन 4 फीसदी हिस्सा शामिल है. वहीं अन्य 12 फीसदी मतदाता हैं जिनमें 3 फीसदी कायस्थ हैं. लखनऊ संसदीय सीट पर पांच विधानसभा सीटें हैं और मौजूदा समय में सभी पर बीजेपी का कब्जा है.

69 वर्ष की पूनम सिन्हा पूर्व में मॉडल और हीरोइन रह चुकी हैं. इस चुनाव से पहले राजनीति में उनकी कोई भागीदारी नहीं रही है. इसी साल उन्होंने राजनीति में एंट्री की और सपा ने उन्हें अपने टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया. हालांकि उनके पति शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं और केंद्रीय मंत्री का कार्यभार भी संभाल चुके हैं. बीजेपी से मतभेदों के कारण उन्होंने अभी हाल में पार्टी छोड़ दी और अपने संसदीय इलाके पटना साहिब से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

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लखनऊ से पूनम सिन्हा को टिकट दिए जाने के पीछे सिंधी-कायस्थ वोटों की गोलबंदी को अहम कारण बताया जा रहा है. हैदराबाद में पैदा पूनम सिन्हा सिंधी समुदाय से आती हैं और जिनका नाम पूनम चंदिरामनी है. शत्रुघ्न सिन्हा से शादी के बाद इन्हें पूनम सिन्हा के नाम से पुकारा जाने लगा. लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र खासकर शहरी इलाके में सिंधी और कायस्थ वोटों की अच्छी खासी संख्या है जिसे देखते हुए सपा ने पूनम सिन्हा को गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है. हालांकि उन पर बाहरी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जो वोटों पर असर डाल सकता है.        

राजनाथ सिंह को लखनऊ में मुस्लिमों के अलावा कायस्थ और सिंधी जैसे समुदायों का भी पूरा समर्थन मिलता रहा है. हिंदू वोटों को लेकर कोई आशंका कभी नहीं रही मगर सपा ने इस बार सिंधी-कायस्थ का समीकरण लगाकर राजनाथ सिंह को सिर्फ और सिर्फ हिंदू वोटों पर निर्भर कराने की रणनीति आगे बढ़ाई है. सपा के साथ इस बार बीएसपी का गठबंधन है, इसलिए मुस्लिम वोटों का थोक में उधर शिफ्ट होना लाजिमी है. लिहाजा सपा ने पूनम सिन्हा को लखनऊ से उतार कर बीजेपी को एक हद तक सीमित वोटों में कैद करने की रणनीति बनाई है.

सूत्रों की मानें तो शत्रुघ्न सिन्हा ने पिछले दिनों सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान पूनम के लिए लोकसभा का टिकट मांगा था. सपा चाहती थी कि पहले शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो जाएं, ताकि लखनऊ सीट से विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार मैदान में हो. कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ने की बात कही थी. लखनऊ सीट उनमें से एक थी. विपक्ष लखनऊ सीट पर राजनाथ सिंह को कड़ी चुनौती देना चाहता था. इसलिए वह संयुक्त रूप से उम्मीदवार उतारकर राजनाथ सिंह को घेरना चाहता था.

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65 साल की पूनम सिन्हा ने शुरुआती दिनों में कुछ बॉलीवुड फिल्मों में काम किया था लेकिन साल 1980 में शत्रुघ्न से शादी करने के बाद उन्होंने रुपहले पर्दे से पूरी तरह किनारा कर लिया. उनके दो बेटे लव और कुश हैं. पूनम ने कोमल नाम से हिंदी फिल्मों में कदम रखा था. फिल्मों में आने से पहले वह मिस यंग इंडिया प्रतियोगिता की विजेता भी रह चुकीं हैं. इसी के बाद उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री की थी. कुछ साल पहले आशुतोष गोवारिकर की फिल्म जोधा अकबर से उन्होंने बॉलीवुड में वापसी की थी.

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