
कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को चुनावी अभियान की शुरुआत की. प्रियंका प्रयागराज से बोट पर सवार होकर गंगा नदी पर काशी तक का सफर कर रही हैं. उनके दौरे का आज तीसरा दिन है. यूपी में गंगा नदी 1160 किलोमीटर लंबाई में बहती है. इसके 140 किलोमीटर हिस्से में प्रियंका गांधी सफर कर रही हैं. रास्ते में पड़ने वाली पांच लोकसभा सीटों के लोगों से प्रियंका सीधे संपर्क कर उन्हें साधने की कोशिश भी कर रही हैं. हालांकि, मौजूदा समय में प्रयागराज से लेकर वाराणसी तक कांग्रेस के पास न तो कोई सांसद है और न ही कोई विधायक है.
उत्तर प्रदेश में पिछले तीन दशक से वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में जान डालने के लिए प्रियंका गांधी चुनावी रणभूमि में उतर चुकी हैं. प्रियंका ने अपने चुनावी अभियान का आगाज अपने पैतृक शहर इलाहाबाद और निवास स्वराज भवन से किया, यहां से प्रियंका गांधी ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की. इसके बाद मां गंगा, कई मंदिरों और मिर्जापुर में इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर माथा टेकते हुए प्रियंका आज वाराणसी पहुंच रही हैं. उनके इस दौरे को धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक साधने की कवायद मानी जा रही है.
मां गंगा करोड़ों भारतीयों के लिए आध्यात्म और आस्था का स्रोत हैं. प्रियंका ने खुद को गंगा की बेटी कहकर प्रयागराज से काशी तक चुनावी प्रचार की शुरुआत की हैं. इस यात्रा की शुरुआत प्रियंका गांधी ने प्रयाग में हनुमान मंदिर का दर्शन करके की. फिर गंगा की पूजा की इसके बाद बोट पर सवार होकर काशी के लिए निकली थीं.
बीजेपी, सपा और बसपा ने छीना वोटबैंक
इलाहाबाद से वाराणसी के बीच कांग्रेस की राजनीतिक जमीन पूरी तरह से खिसकी हुई नजर आ रही है. कांग्रेस की इस परंपरागत सियासी भूमि पर बीजेपी, बसपा, सपा और अपना दल का कब्जा है. प्रियंका गांधी ने प्रयागराज से वाराणसी के बीच 140 किमी का जो सफर तय किया है. उसके के तहत इलाहाबाद, फूलपुर, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी लोकसभा सीटों पर सीधे असर करता है. इन पांच संसदीय सीटों के तहत करीब 25 विधानसभा सीटें आती हैं.
25 सीटों पर एक भी विधायक नहीं
मौजूदा समय में राजनीतिक तौर पर देखें तो पांच लोकसभा और 25 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट कांग्रेस के पास नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पांचों सीटें जीती थी, लेकिन बाद में हुए उपचुनाव में फुलपुर सीट बीजेपी ने गंवा दी है. इस तरह से मौजूदा समय में बीजेपी के पास चार और एक सपा के पास है. विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखें तो 25 में से कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है. जबकि बीजेपी के पास 16, बसपा के पास 2, अपना दल के पास तीन, सपा और निषाद पार्टी के पास एक-एक विधायक हैं.
कभी कांग्रेस का गढ़ था यह इलाका
हालांकि, एक दौर में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर रही है. इसी सीट से चुनकर वो देश के प्रधानमंत्री बन थे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी का गढ़ भी वाराणसी रहा है. बावजूद इसके कांग्रेस अपने इस दुर्ग को संभालकर नहीं रख सकी है. ऐसे में प्रियंका गांधी कांग्रेस के पुराने दुर्ग के सियासी किले को दुरुस्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
प्रियंका गांधी का प्रयागराज से वाराणसी दौरा कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम माना रहा है. प्रियंका गांधी ने इस यात्रा के जरिए अपने आपको वहां के लोगों से जोड़ने और विपक्ष के कब्जे में अपनी राजनीतिक जमीन को दोबारा से वापस पाने के कवायद में देखा जा रहा है. ऐसे में देखना होगा कि प्रियंका अपनी इस कोशिशों में कहां तक सफल होती हैं?