
पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में हैं. 1995 में यहां आसमान से हथियारों की बारिश हुई थी. पुरुलिया शहर कासल नदी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है. यह अपने लैंडस्केप के लिए जाना जाता है. पुरुलिया जिले का मुख्यालय पुरुलिया ही है. यहां की साक्षरता दर 65% है. यहां का सेक्स रेश्यो 955 है.
पुरुलिया को एक बड़े शहर के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां पर कई अच्छे कॉलेज और स्कूल हैं. सेंट जेवियर स्कूल पुरुलिया में ही है. यह शहर छाऊ नृत्य के लिए प्रसिद्ध है. इसे देखने के लिए बहुत से पर्यटक आते हैं. यहां के जलप्रपात और झरने भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. यहां की जमीन लोहे और अच्छी मिट्टी के लिए जानी जाती है. इस इलाके में स्टील, सीमेंट और ऊर्जा के कारखाने हैं. यह शहर रोड और रेल के माध्यम से पूरे देश से जुड़ा हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 32 और कई राज्य हाइवे इसे एक दूसरे से कनेक्ट करते हैं.
2019 में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. 2014 में यहां से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को विजय मिली थी, सीपीएम दूसरे स्थान पर रही थी लेकिन बीजेपी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की थी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट का मिजाज अलग रहा. यहां कांग्रेस और सीपीएम की लड़ाई नहीं रही बल्कि सीपीएम से अलग हुए धड़े ही यहां से लड़ते रहे. यहां से कांग्रेस को तो एकबार जीत मिल गई लेकिन सीपीएम को कभी नहीं मिली. यहां से फॉरवर्ड ब्लॉक और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक विजयी होते रहे. अब यह सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है. 1957 में पुरुलिया से आईएनडी के विभूति भूषण दास गुप्ता सांसद चुने गए उन्होंने कांग्रेस के महतो नागेंद्र नाथ सिंह देव को हराया. 1962 में लोकसेवक संघ (LSS) के भजाहारी महतो सांसद चुने गए. 1967 में आएनडी के बी महतो सांसद चुने गए. 1971 में पहली बार यहां से कांग्रेस को यहां सफलता मिली और देबेंद्र नाथ महतो यहां से सांसद चुने गए.
1977 में एफबीएल के चितरंजन महता को सफलता मिली. चितरंजन 1980, 1984 और 1989 तक पुरूलिया से लगातार सांसद चुने जाते रहे. 1991 में यहां पर उप चुनाव हुआ जिसमें फॉरवर्ड ब्लॉक (एफबीएल ) के बी महतो सांसद चुने गए. लेकिन 1991 में ही फॉरवर्ड ब्लॉक के चितरंजन मेहता को फिर से जीत मिल गई. 1996, 1998, 1999 में फॉरवर्ड ब्लॉक के बीर सिंह महतो यहां से सांसद चुने जाते रहे. इसके बाद फॉरवर्ड ब्लॉक में विभाजन हो गया और 2004 में बीर सिंह महतो ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) से ताल ठोंकी और सांसद चुन लिए गए. 2006 के उप चुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो विजयी हुए. 2009 में AIFB के नरहिर महतो ही सांसद चुने गए. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने यह सीट कम्युनिस्टों से छीन ली और AITC के डॉक्टर मृगांका महतो यहां से सांसद चुने गए.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां का आबादी 2244195 है. इसमें से 87.16 फीसदी आबादी ग्रामीण है जबकि 12.84 फीसदी आबादी शहरी. अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो यहां 19.82 फीसदी और 15.61 फीसदी है. 2017 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां पर मतादाताओं की कुल संख्या 1571323 है.
यहां विधानसभा की 7 सीटें हैं
1-बलरामपुर से AITC के शांतिराम महतो जीते हैं.
2-बाघमुंडी से कांग्रेस के नेपाल महता विधायक हैं.
3-जॉयपुर से AITC के शक्तिपदा महतो को विजय मिली है.
4-पुरुलिया से कांग्रेस के सुदीप कुमार मुखर्जी विधायक हैं.
5-मानबाजार से AITC की संध्या रानी विधायक हैं.
6-काशीपुर से AITC के स्वप्न कुमार बेल्थरिया जीते हैं.
7-पारा से AITC के उमा बोराई विधायक हैं.
कैसा रहा 2014 का चुनाव
पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों के कई धड़े थे. इन्हीं में से एक फॉरवर्ड ब्लॉक और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक थी. 2014 के चुनाव में यहां से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के डॉक्टर मृगांका महतो को विजय मिली. मृगांका ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो को हराया. मृगांका महतो को 468277 वोट मिले. वहीं नरहरि महतो को 314400 वोट मिले. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 81.98 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में 71.91 फीसदी. 2014 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 38.87 फीसदी, सीपीएम को 21.41 फीसदी और बीजेपी को 7.16 फीसदी वोट मिले थे. जबकि 2009 के चुनाव में सीपीएम को 42 फीसदी वोट मिले थे और सीपीएम का सांसद चुना गया था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
2014 में चुनाव के समय डॉक्टर मृगांका महतो की आयु 56 साल थी. इन्होंने एमबीबीएस की डिग्री ली है और नेत्र विशेषज्ञ के तौर पर काम करते हैं. संसद में इनकी हाजिरी 69.78 फीसदी रही है. इन्होंने कुल 8 सवाल पूछे हैं. कुल 5 डिबेट में हिस्सा लिया है. इनके नाम कोई प्राइवेट मेंबर बिल नहीं है. सांसद विकास निधि के तहत जो 25 करोड़ रुपये अलॉट हुए थे उसमें से इन्होंने 21.31 करोड़ यानि 85.24 फीसदी रकम खर्च कर दी है.
क्या है पुरूलिया कांड
17 दिसंबर 1995 को एक विमान से कई बक्से गिराए गए थे. ग्रामीणों ने जब इसे खोलकर देखा तो इसमें 300 एक 47 रायफलें और सैकड़ों एक 56 रायफलें मिलीं. कई हजार राउंड गोलियां भी बरामद हुईं. भनक लगते ही सुरक्षा एजेंसियों सघन तलाशी अभियान चलाकर अधिकतर हथियारों को अपने कब्जे में ले लिया. 4 दिन बाद एक रूसी विमान को मुंबई में जबरन उतारा गया जिसके तार इस घटना से जुड़े मिले. चालक दल और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन मुख्य आरोपी पीटर ब्लीच चकमा देकर भागने में सफल रहा और अपने मूल देश डेनमार्क पहुंच गया. आज भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है कि हथियार किसके लिए गिराए गए थे. कहा गया कि आनंदमार्गियों या लिट्टे के लिए ये हथियार गिराए गए थे. बाद में गिरफ्तार लोगों को माफी देकर उन्हें उनके देश जाने दिया गया.