Advertisement

...जब मोतिहारी में उपेंद्र कुशवाहा के सामने लगने लगे बाहरी भगाओ के नारे

रालोसपा समर्थक टिकट की मांग को लेकर मोतिहारी पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा के सामने बाहरी भगाओ, चंपारण बचाओ का नारा लगा रहे हैं. समर्थकों की मांग है कि इस सीट से किसी बाहरी प्रत्याशी को न उतारा जाए.

(फाइल फोटो- उपेंद्र कुशवाहा) (फाइल फोटो- उपेंद्र कुशवाहा)
सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

मोतिहारी में कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के सामने पार्टी के समर्थक टिकट की मांग को लेकर नारा लगाने लगे. टिकट की मांग करने उतरे समर्थक टिकट न मिलने की वजह से हंगामा कर रहे थे. समर्थक बाहरी भगाओ, चंपारण बचाओ का नारा लगा रहे थे. समर्थकों की मांग है कि यहां से किसी बाहरी प्रत्याशी को न उतारा जाए.

Advertisement

दरअसल पूर्वी चंपारण की सीट महागठबंधन के सीट बंटवारे में रालोसपा के हिस्से आई है. यहां से रालोसपा ने ऐसे संकेत दिए हैं कि यहां से किसी सवर्ण प्रत्याशी को उतारा जा सकता है लेकिन प्रत्याशी के नाम का अभी ऐलान नहीं हुआ है. कहा जा रहा है कि यहां कोई बाहरी उम्मीदवार को खड़ा किया जा सकता है.

उपेंद्र कुशवाहा बिहार में महागठबंधन का हिस्सा हैं. महागठबंधन से इस बार उन्हें पांच सीटें दी हैं. बिहार की जमुई, काराकाट, उजियारपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण संसदीय सीट राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को दी गई है. उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़ेंगे.

इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) की सहयोगी थी लेकिन सीट शेयरिंग से खड़े हुए विवाद के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ दिया था और महागठबंधन में शामिल हो गए. उपेंद्र कुशवाहा मोदी कैबिनेट में मंत्री भी थे.

Advertisement

बीजेपी से नाराजगी के तेवर उपेंद्र कुशवाहा पहले भी दिखा चुके हैं. उन्होंने पहले भी कहा था कि अगर उन्हें बिहार में पर्याप्त सीटें नहीं दी गईं तो वे एनडीए से अलग हो जाएंगे. रालोसपा के पास काराकाट के अलावा 2 अन्य सीटें भी हैं.

उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में मीडिया को बयान देते हुए कहा था-

'लोग कह रहे हैं कि चौकीदार हूं मैं. देश की जनता इतनी मूर्ख नहीं है कुछ भी कहेंगे मान लेंगे. देश में लाखों रुपए लेकर मल्या और नीरव मोदी चले गए. इनकी चौकीदारी कहां हैं. ये चौकीदार बड़े लोगों की रक्षा के लिए चौकीदार हैं. चौकीदार गरीब जनता के लिए नहीं हैं. बड़े लोगों की चौकीदारी और पिछड़ो, दलितों, शोषितों, वंचितों, गरीबों व अल्पसंख्यकों की हकमारी हो रही है.'

 चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement