
17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट पर यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने एक बार फिर जीत दर्ज की है. निर्वाचन आयोग के मुताबिक सोनिया गांधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को एक लाख 67 हजार मतों से हराया. सोनिया गांधी को कुल 534918 मत मिले, वहीं दिनेश सिंह को 367740 वोट प्राप्त हुए. रायबरेली सीट से सोनिया गांधी की यह लगातार पांचवीं जीत है.
रायबरेली सीट पर वोटिंग पांचवें चरण में 6 मई को हुई थी, इस सीट पर 56.23 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस सीट पर कुल 1697902 मतदाता हैं, जिसमें से 954802 मतदाताओं ने अपने वोट डाले हैं.
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कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार
सामान्य वर्ग वाली इस सीट पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी चुनाव लड़ीं जिनका मुख्य मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से था. इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार चुनाव लड़े. सपा और बसपा ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे.
2014 का चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर 51.74 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें कांग्रेस की सोनिया गांधी को 63.80 फीसदी (5,26,434) वोट मिले थे और और उनके निकटतम बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल को 21.05 फीसदी (1,73,721) मिले थे. इसके अलावा बसपा के प्रवेश सिंह को महज 7.71 फीसदी (63,633) वोट मिले थे. सोनिया गांधी ने 3,52,713 मतों से जीत दर्ज की थी.
सामाजिक ताना-बाना
रायबरेली संसदीय सीट के तहत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं. इनमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार हैं. मौजूदा समय में बछरावां और सरेनी सीट पर बीजेपी का कब्जा है और हरचंदपुर और रायबरेली सीट कांग्रेस के पास है. वहीं ऊंचाहार सीट सपा के पास है
रायबरेली का इतिहास
रायबरेली लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 17वीं बार लोकसभा आम चुनाव और दो बार लोकसभा उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 15 बार कांग्रेस को जीत मिली है, जबकि एक बार भारतीय लोकदल और दो बार बीजेपी यहां से जीत चुकी है. 1957 में पहली बार हुए चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उतरे और जीतकर सांसद बने.
1962 की लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई तब यहां पर कांग्रेस के बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1967 के आम चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट फिर से सामान्य कर दी गई. हालांकि रायबरेली सुर्खियों में तब आई जब पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहां से चुनावी मैदान में उतरीं. 1967 में इंदिरा गांधी यहां से सांसद बनीं. इसके बाद वो लगातार 2 बार जीतीं, लेकिन 1977 में भारतीय लोक दल के उम्मीदवार राज नारायण के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा.
1980 में इंदिरा गांधी एक बार फिर उतरीं और रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कीं. इसके बाद 1984 और 1989 में जवाहर लाल नेहरू के भतीजे अरुण कुमार नेहरू यहां से सासंद चुने गए. 1989 और 1991 में कांग्रेस से शीला कौल ने जीत दर्ज की. 1996 और 1998 में बीजेपी से अशोक सिंह यहां कमल खिलाने में कामयाब रहे. लेकिन इसके बाद से बीजेपी अभी तक जीत नहीं सकी है. 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद बने और 2004 में सोनिया गांधी ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया. इसके बाद लगातार वो जीत दर्ज करती आ रही हैं. मोदी लहर में भी इस सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल सका है. दिलचस्प बात ये है कि सपा और बसपा इस सीट पर खाता नहीं खोल सकी हैं.
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