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राफेल से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन डील के विवाद से परेशान हैं लोग

देश में राफेल का मुद्दा सबसे गर्म बना हुआ है. बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक एक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप कर रहे हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ के महासमुंद से करीब 135 किलोमीटर दूर 'राफेल' नाम का गांव है. इन दिनों इस गांव का राफेल नाम ही लोगों के लिए समस्या बन गया है.

राफेल गांव राफेल गांव
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 9:21 PM IST

राफेल शब्द सिर्फ बीजेपी के लिए आफत नहीं है बल्कि यह शब्द उन लोगों के लिए भी मुसीबत बन गया है, जिनका इस रक्षा सौदे से कोई लेना-देना ही नहीं है. चुनावी मौसम में कांग्रेस राफेल के मुद्दे को लेकर बीजेपी को घेरती रही है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कांग्रेस अपने घोषणापत्र में कह रही है कि अगर वह सत्ता में आई तो राफेल सौदे की जांच कराएगी, लेकिन देश के एक कोने में एक गांव ऐसा है जो राफेल के तंज से परेशान है.

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हालांकि इस गांव में कई लोग ऐसे हैं जो इस बात से ही खुश हैं कि कम से कम राफेल जहाज के बहाने उनके गांव का नाम भी पूरी दुनिया में मशहूर हो रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव के सफर में आज तक नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ के एक ऐसे गांव में पहुंचा, जिसका नाम ही राफेल है.

घोटाले से जोड़ा जाता है नाम, इसलिए अच्छा नहीं लगता

छत्तीसगढ़ के राफेल गांव में आज तक की टीम पहुंची तो वहां मौजूद सचिन और संदीप कैमरा देखकर रुक गए. वे उत्सुकता में पास आए तो टीम ने उनसे पूछा कि उन्हें कैसा लगता है जब उनके गांव के नाम की चर्चा होती है. सचिन ने कहा 'राफेल विमान के नाम की वजह से हमारे गांव का नाम लगातार टीवी पर आ रहा है. इस नाम को घोटाले से जोड़ा जाता है, जो हमें अच्छा नहीं लगता है ' वहीं, संदीप ने कहा कि राफेल की चर्चा के बाद मीडिया वाले हमारे गांव में आ रहे हैं. ये हमें अच्छा लगता है.

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छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में बसा है गांव

छोटा सा गांव राफेल छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में बसा हुआ है. इस गांव में राफेल बनाने की फैक्ट्री नहीं है, लेकिन यहां मजदूर ईंट बनाते जरूर दिखाई देंगे. राफेल सौदे से सियासत भले ही बदली हो पर इस गांव की तस्वीर नहीं बदली है. हालांकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांव को सिंगल लेन की पक्की सड़क मिल गई है. प्रवेश के पहले गांव में अनाज बेचने के लिए सरकारी दुकान भी है.

बेरोजगारी और पानी है बड़ा मुद्दा

यहां के बीजेपी कार्यकर्ता विवेकानंद का कहना है कि उनके गांव में विकास हुआ है. हालांकि पानी की समस्या और बेरोजगारी इस गांव के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है.  विवेकानंद का कहना है  'गांव में सड़क-बिजली है, लेकिन पीने का पानी अभी तक नहीं है और हम जैसे युवाओं के लिए रोजगार बड़ी समस्या है.' इस बीच गांव के नाम पर बोलते हुए धनेश्वर ने कहा कि इस गांव में ना तो बम बनता है ना राफेल बनता है बल्कि हमें अच्छा लग रहा है कि इसी बहाने भारत समेत अमेरिका और दूसरे देशों में हमारे गांव का नाम तो हो रहा है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि अब तो उन्हें इस बात पर फक्र है.

राफेल विवाद से पुराना है गांव का नाम

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पूर्व सैनिक सुरेश कुमार राफेल विवाद से नाराज हैं और उन्हें लगता है कि राफेल पर लगे आरोपों के चलते उनके गांव को नकारात्मक प्रचार मिल रहा है. सुरेश कुमार कहते हैं कि हमारे गांव का नाम तो पुराना है, लेकिन राफेल विमान को लेकर के जो चर्चा हो रही है उसकी वजह से नाम खराब हो रहा है. गांव के सरपंच का भी कहना है कि इस इलाके में होने वाली धान की फसल बारिश पर आश्रित है क्योंकि पानी की किल्लत है. धनीराम राफेल गांव के सरपंच है और उन्हें भी पता है कि अचानक उनके गांव में लोग क्यों आ रहे हैं. हालांकि गांव के सरपंच भी पानी की समस्या को लेकर चिंतित हैं.

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