
कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते वक्त मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर सफाई दी. आरोप लग रहे हैं कि राहुल गांधी ने एक ऐसी सीट को चुना है जहां हिंदू वोटर दूसरी सीटों की तुलना में कम है. राहुल ने कहा कि उनका वायनाड से चुनाव लड़ने पूरे दक्षिण भारत की मोदी सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा का जवाब है.
राहुल ने कहा कि दक्षिण भारत के लोगों में इस तरह की भावना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें विकास में हिस्सेदार नहीं बनाया. मैं उन्हें ये संदेश देना चाहता हूं कि मैं उनका ही हिस्सा हूं और हम उनके साथ खड़े हैं. राहुल ने पूछा गया था कि आखिर उन्होंने वायनाड का चुनाव क्यों किया क्योंकि विपक्षी खासकर बीजेपी इसे अल्पसंख्यक वोटों पर कांग्रेस के भरोसे से जोड़ रही है.
गौरतलब है कि राहुल गांधी इस बार केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. वे यूपी के अमेठी की अपनी परंपरागत सीट के अलावा इस बार दो सीटों से मैदान में होंगे. अमेठी में उन्हें बीजेपी की कद्दावर नेत्री और मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी टक्कर दे रही हैं. पिछले चुनाव में भी स्मृति ने राहुल को अच्छी टक्कर दी थी और इस बार माना जा रहा है कि वो और ज्यादा मजबूत प्रतिद्वंद्वी साबित होंगी.
यही वजह है कि जब राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने की खबर आई तो बीजेपी ने इसे अमेठी में हार के डर से पलायन बताया और राहुल को निशाने पर लिया. हालांकि कांग्रेस और उसके नेता लगातार ये संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि राहुल का वायनाड से लड़ना सिर्फ एक सीट पर जीत का मसला नहीं है बल्कि पूरे दक्षिण भारत में कांग्रेस को मजबूत करने के पार्टी के मिशन का हिस्सा है. राजनीतिक विश्लेषक भी इस पर मुहर लगाते हैं कि दक्षिण भारत की सीट से राहुल गांधी का लड़ना कांग्रेस के लिए अच्छे नतीजे ला सकता है.
अमेठी में राहुल गांधी की टक्कर सीधे तौर पर स्मृति ईरानी से होगी. वहीं, वायनाड में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का सामना लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) से है. दक्षिण भारत में एलडीएफ अन्य दलों को कड़ी चुनौती देता है. कांग्रेस केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने राहुल गांधी को वायनाड सीट से मैदान में उतारा है. 2008 में परिसीमन के बाद वायनाड लोकसभा सीट बनी. यहां 2009 में पहली बार चुनाव हुए. कांग्रेस के एमआई शनावास ने सीपीआई कैंडिडेट एडवोकेट एम. रहमतुल्ला को हराया था. 2014 में भी शनावास ही जीते. उन्होंने सीपीआई के पीआर सत्यन मुकरी को हराया था. वायनाड सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है.