
2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश की सियासत का केंद्र यूपी के अलावा पूर्वी भारत में भी शिफ्ट होता दिखाई दे रहा है. खासकर ओडिशा ज्यादा चर्चा में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने यहां पूरी ताकत झोंकी हुई है, जबकि अतीत में अच्छे नतीजे पाती रही कांग्रेस के एजेंडे में हाशिये पर चल रहे इस प्रदेश पर अब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की भी नजर है. बीते पंद्रह दिनों में राहुल दूसरी बार यहां की यात्रा पर हैं.
ओडिशा में फिलहाल बीजू जनता दल (BJD) के नवीन पटनायक का एकछत्र राज है. साल 2000 से वह लगातार बतौर मुख्यमंत्री सूबे की सत्ता संभाल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी एकतरफा समर्थन पाती रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में मोदी लहर के बावजूद ओडिशा की 21 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी महज एक सीट जीत पाई, जबकि बीजेडी ने 20 सीटों पर अपना परचम लहराया. हालांकि, कांग्रेस को यहां कोई सीट नहीं मिल सकी, लेकिन उसका वोट शेयर बीजेपी से भी ज्यादा रहा.
2014 लोकसभा चुनाव का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में ओडिशा में बीजेडी को 44.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 21 में 20 सीटें मिलीं. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 21.9 फीसदी वोटर पाकर महज एक सीट जीती. वहीं, कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा यानी कुल 26.4 फीसदी वोट प्राप्त हुआ, लेकिन उसका एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका.
इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर और भी ज्यादा था और पार्टी के 6 सांसद निर्वाचित हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस को कुल वोट प्रतिशत का 32.7 फीसदी मिला. जबकि बीजेडी ने 37.2 फीसदी वोट शेयर के साथ 14 सीटें जीतीं. बीजेपी को 16.9 प्रतिशत वोट शेयर मिला, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सकी.
हालांकि, 2004 के चुनाव में पूरे देश में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का शाइनिंग इंडिया नारा फेल होने के बाजवूद बीजेपी को यहां 7 लोकसभा सीटों पर जीत मिलीं. जबकि कांग्रेस सिर्फ 2 ही सीट जीत सकी और बीजेडी के 11 सांसद बने. हालांकि, इससे पहले 1999 के चुनाव में बीजेपी को 9, बीजेडी को 10 और कांग्रेस को 2 लोकसभी सीटें मिली थीं. 1996 में यहां बीजेडी का अस्तित्व नहीं था और कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी बनकर 16 सीटें जीती थीं.
मोदी-शाह का फोकस
यानी ओडिशा में लगातार बेहतर नतीजे पाने वाली कांग्रेस और बीजेपी को 2014 के चुनाव में बीजेडी ने बड़ा झटका दिया. इससे उबरने के लिए पीएम मोदी समेत पूरी बीजेपी वहां लंबे वक्त से डटी नजर आ रही है. पीएम नरेंद्र मोदी हाल के दिनों में वहां तीन रैलियां कर चुके हैं. चर्चा ये भी है कि पीएम मोदी इस बार ओडिशा से भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार ओडिशा की यात्रा कर रहे हैं. जुलाई 2017 में यहां मेरा बूथ सबसे मजबूत कैंपने का आगाज किया था. अब अमित शाह 15 फरवरी को यहां जा रहे हैं, जहां वह चार लोकसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर काम वाले कार्यकर्ताओं से मीटिंग करेंगे. इससे पहले 3 फरवरी भी ओडिशा गए थे. इस साल अब तक उनकी यह तीसरी ओडिशा यात्रा है.
इस बीच अब राहुल गांधी ने भी ओडिशा में चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया है. आज कालाहांडी के भवानीपटना और सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला में उनकी जनसभाएं हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता भक्त दास ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को यहां दो सभाएं संबोधित करने वाले हैं. वह कालाहांडी के भवानीपटना और सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला में जनसभा को संबोधित करेंगे. पिछले 15 दिनों में उनकी यह दूसरी यात्रा है. और अपनी पहली यात्रा में ही वो किसानों की कर्जमाफी का वादा कर चुके हैं. अब देखना होगा कि आगामी चुनाव में कांग्रेस या बीजेपी में कौन यहां बीजेडी को चुनौती देते हुए लीड कर पाता है.