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भोपाल में साध्वी प्रज्ञा को चुनौती देंगे हेमंत करकरे के जूनियर रियाजुद्दीन देशमुख

भोपाल संसदीय सीट पर साध्वी प्रज्ञा के बयान से नाराज होकर शहीद हेमंत करकरे के एक पूर्व सहयोगी भी चुनाव लड़ रहे हैं.  महाराष्ट्र पुलिस के रिटायर्ड एसीपी रियाजुद्दीन देशमुख ने भोपाल संसदीय क्षेत्र के लिए बतौर निर्दलीय पर्चा भर दिया है. पर्चा जमा करने के बाद रियाजुद्दीन देशमुख ने आजतक से हुई खास बातचीत में बताया कि वे मूल रूप से महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले हैं.

फाइल फोटो- रियाज देशमुख फाइल फोटो- रियाज देशमुख
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 26 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 6:22 AM IST

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकसभा चुनाव के दौरान शहीद हेमंत करकरे का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. हालांकि इस बार वजह थोड़ी अलग है. दरअसल बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह के शहीद हेमंत करकरे पर दिए गए विवादित बयान से आहत होकर, अकोला में उनके जूनियर रहे एक रिटायर्ड पुकिसकर्मी ने भोपाल में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपना नामांकन भरा है.

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महाराष्ट्र पुलिस के रिटायर्ड एसीपी रियाजुद्दीन देशमुख ने भोपाल संसदीय क्षेत्र के लिए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पर्चा भर दिया है. पर्चा जमा करने के बाद रियाजुद्दीन देशमुख ने आजतक से हुई खास बातचीत में बताया कि वे मूल रूप से महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले हैं.

भोपाल से नामांकन जमा करने के बाद देशमुख वापस औरंगाबाद के लिए निकल गए हैं. रियाजुद्दीन देशमुख ने बताया कि वे हेमंत करकरे को अपना आदर्श और गुरु मानते थे. रियाजुद्दीन देशमुख के मुताबिक जब हेमंत करकरे महाराष्ट्र के अकोला में एसपी थे, तब रियाज उनके ही अंडर में एक सब-इंस्पेक्टर थे.

हेमंत करकरे की बहादुरी को याद करते हुए रियाजुद्दीन ने बताया कि कैसे हेमंत करकरे बड़े से बड़े अपराध की जांच को बेहद ही शांत लेकिन सटीक तरीके से पूरा करते थे. शहीद हेमंत करकरे ने कई मामलों को सुलझाने में उनकी मदद भी की थी.

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रियाजुद्दीन देशमुख ने बताया कि जब उन्होंने मीडिया में शहीद हेमंत करकरे पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान देखा तो काफी आहत हुए और तय किया कि वे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के सामने चुनावी मैदान में उतरेंगे. इसलिए ही उन्होंने भोपाल से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन जमा किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. भोपाल में 12 मई को मतदान होना है, जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी किस्मत जनता तय करेगी.

बता दें साध्वी प्रज्ञा ने बयान दिया था कि मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया और हमले में मारे जाने पर उन्हें अपने किए की सजा मिली. एक सभा में साध्वी प्रज्ञा ने कहा,  वो जांच अधिकारी सुरक्षा आयोग का सदस्य था, उन्होंने हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि साध्वी को छोड़ दो. लेकिन हेमंत करकरे ने कहा कि मैं कुछ भी करूंगा लेकिन सबूत लाऊंगा और साध्वी को नहीं छोड़ूंगा.

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