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17वीं लोकसभा के चुनाव के तहत यूपी की संत कबीरनगर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद ने 467543 वोटों के साथ जीत दर्ज की. वहीं, रुझान में आगे चल रहे बीएसपी के भीष्मा शंकर 431794 वोटों से दूसरे स्थान पर रहे. इस सीट से छठे चरण के तहत मतदान हुआ था. यहां इस बार कुल 55.72 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. 2014 में 53.24 फीसदी वोटिंग हुई थी.
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इस बार उत्तर प्रदेश की संत कबीर नगर लोकसभा सीट से 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. बीजेपी की तरफ से प्रवीण कुमार निषाद, गठबंधन की तरफ से बसपा के भीष्म शंकर, कांग्रेस के भाल चंद्र यादव मैदान में थे. इनके अलावा मौलिक अधिकार पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी के साथ दो निर्दलीय भी थे. बीजेपी ने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर प्रवीण कुमार निषाद पर दांव लगाया था.
2014 का जनादेश
2008 में संसदीय सीट के रूप में अस्तित्व में आने के बाद 2014 में यहां पर दूसरी बार लोकसभा चुनाव कराया गया. तब चुनाव में 25 प्रत्याशी मैदान में थे. 19,04,327 मतदाताओं में से 10,11,649 (53.1%) लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें बीजेपी के शरद त्रिपाठी विजयी रहे. उन्होंने 97,978 (9.7%) मतों के अंतर से बसपा के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को हराया था. शरद त्रिपाठी और कुशल के बाद तीसरे स्थान पर सपा के भालचंद्र यादव थे, जबकि पीस पार्टी के राजाराम चौथे स्थान पर रहे. कांग्रेस यहां पांचवें नंबर पर रही थी.
महान संत और कवि कबीर दास के नाम पर रखा गया संत कबीर नगर 11 साल पहले अस्तित्व में आया. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की ओर से दिए गए सुझाव के बाद 2008 में संत कबीर नगर को संसदीय सीट का दर्जा दे दिया गया. हालांकि यह देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है.
बस्ती मंडल में शामिल संत कबीर नगर जिले का मुख्यालय खलीलाबाद है. यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज, पूर्व में गोरखपुर, दक्षिण में अंबेडकर नगर और पश्चिम में बस्ती जिला से घिरा हुआ है. घाघरा, कुआनो, आमी और राप्ती यहां पर बहने वाली प्रमुख नदियां हैं. 5 सितंबर 1997 को बस्ती से अलग करते हुए संत कबीर नगर प्रदेश के नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1997 से पहले यह बस्ती जिले के अंतर्गत आता था, लेकिन नए जिले के रूप में प्रदेश के नक्शे पर आने के 11 साल बाद इसे संसदीय क्षेत्र का दर्जा भी मिल गया. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इसे लोकसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और इसके एक साल बाद यहां पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा गया. 2009 में क्षेत्र में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के भीष्म शंकर उर्फ कौशल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शरद त्रिपाठी को 29,496 मतों के अंतर से हरा दिया था. उस चुनाव में 24 उम्मीदवार मैदान में थे.
2014 के लोकसभा के हिसाब से देखा जाए तो यहां पर मतदाताओं की संख्या 19,04,327 है जिसमें 10,45,430 पुरुष मतदाता और 8,58,897 महिला मतदाता शामिल हैं. तब 53.1% यानी 10,11,649 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इसके 4,747 (0.2%) वोट नोटा (NOTA)में पड़े थे.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के अनुसार, संसदीय सीट संत कबीर नगर की आबादी 17.2 लाख है जिसमें 8.7 लाख (51%) पुरुषों की और 8.5 लाख (49%) महिलाओं की आबादी है. इसमें 78 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है और 22% आबादी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर देखा जाए तो 76% आबादी हिंदुओं की है जबकि मुस्लिमों की आबादी 24% है. लिंगानुपात के लिहाज से प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाएं हैं. यहां की साक्षरता दर 67% है, जिसमें 78% पुरुष और 55% महिलाओं की आबादी साक्षर है.
संत कबीर नगर के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र (आलापुर, मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघाटा और खजनी) आते हैं. अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व आलापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की अनीता कमल का कब्जा है जिन्होंने सपा की संगीता को 12,513 मतों के अंतर से हराया था.
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