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शीला दीक्षित ने राहुल गांधी को बताए AAP से गठजोड़ न करने के कारण

Sheela Dixit meets Rahul Gandhi दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन ने करने के पीछे अपने तर्क भी दिए.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर शीला दीक्षित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर शीला दीक्षित
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:04 AM IST

शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली कांग्रेस की नई टीम ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक, शीला दीक्षित ने राहुल गांधी से कहा कि दिल्ली में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं करना चाहिए. शीला ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन न करने के तीन अहम कारण राहुल गांधी को बताए.

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पहली वजह बताते हुए शीला ने राहुल को बताया कि चूंकि ये लोकसभा का चुनाव है, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही बीजेपी का मुकाबला कर पाएगी. इसके पीछे शीला दीक्षित ने तर्क दिया कि अगर आम आदमी पार्टी  के साथ कांग्रेस का गठजोड़ होता है तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने राहुल को बताया कि बीजेपी इसका फायदा ले जाएगी. तीसरा तर्क बताते हुए शीला ने राहुल को कहा कि दिल्ली में तालमेल के नाम पर आम आदमी पार्टी पंजाब और हरियाणा में भी सीट मांगेगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीति में ये जायज नहीं है.

इसके अलावा तीन बार दिल्ली की सीएम रह चुकी शीला ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने राजीव गांधी को अपमानित करने का काम AAP ने किया है. इसके बाद तो आप से तालमेल नहीं ही होना चाहिए.

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बता दें कि कि कुछ दिन पहले दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी पर विवादित टिप्पणी की गई थी और उनका 1984 के सिख विरोधी दंगों से जोड़कर देखा गया था.

राहुल गांधी से मिलने पहुंची शीला के साथ दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पीसी चाको और तीन कार्यकारी अध्यक्ष शामिल थे.

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रत्याशियों के चयन पर एक बड़ा बदलाव किया है. राहुल ने टिकट बंटवारे के लिए बनने वाली छानबीन समिति के गठन की नई परिपाटी तय कर दी है. बता दें कि ये समिति ही टिकट बंटवारे में हर सीट से एक या दो नामों को अंतिम रूप देती है, जिसमें से एक उम्मीदवार को केंद्रीय चुनाव समिति फाइनल करती है.

दरअसल, सोनिया गांधी के जमाने में टिकट के दावेदारों में से एक या दो नामों को तय करने की जिम्मेदारी छानबीन समिति यानी स्क्रीनिंग कमेटी की होती थी. इस कमेटी में राज्य केंद्र प्रभारी महासचिव, विधायक दल के नेता, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन और मेंबर होते थे. अब तक राहुल राज में भी यही होता आया था. लेकिन हाल ही में राहुल ने प्रदेश प्रभारियों को नया सर्कुलर जारी कर दिया है.

इसके मुताबिक, अब लोकसभा चुनाव के लिए राज्यवार स्क्रीनिंग कमेटी के लिए अलग चेयरमैन और मेंबर की नियुक्ति नहीं की जाएगी. नए सर्कुलर के मुताबिक, अब राज्यवार स्क्रीनिंग कमेटी में प्रभारी महासचिव, प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता के अलावा राज्य के दो प्रभारी सचिव के साथ पार्टी के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल होंगे.

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इसका मतलब साफ है कि, अशोक गहलोत की जगह पार्टी के संगठन महासचिव बने राहुल के करीबी के.सी. वेणुगोपाल अब हर राज्य की स्क्रीनिंग कमेटी में होंगे. यानी अब हर लोकसभा उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मुहर राहुल के पसंद के नेता ही लगाएंगे.

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