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लोकसभा चुनावों में किसकी किस्मत का ताला खोलेगी शिवपाल यादव की 'चाबी'?

Shivpal Yadav Political inning सपा-बसपा गठबंधन बनने और चुनाव आयोग से  शिवपाल यादव की पार्टी को चुनाव चिह्न 'चाबी' दिए जाने के बाद अब सबकी नजरें उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश में सियासी पारी को लेकर टिकी हुईं हैं.

शिवपाल यादव (File Photo: PTI) शिवपाल यादव (File Photo: PTI)
राहुल झारिया
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:33 AM IST

समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल यादव की पार्टी को चुनाव आयोग ने 'चाबी' चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. अलग पार्टी बनाने के बाद शिवपाल यादव ने चुनाव आयोग में इसका रजिस्ट्रेशन कराया था और चुनाव चिन्ह की मांग की थी.

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी(सपा) सरकार के दौरान मंत्री रहते हुए ही शिवपाल यादव और उनके भतीजे सीएम अखिलेश यादव के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक वे पार्टी में बने रहे या बनाए रखे गए.

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इसके बाद उन्होंने दावा किया कि वही असली समाजवादी हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया था. उन्होंने पार्टी के स्थापना समारोह में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह को भी आमंत्रित किया था और उनसे अपनी पार्टी की कमान हाथ में लेने की अपील भी की थी. मुलायम सिंह ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया था और 'समाजवादी एक हैं', इस तरह के बयान देकर वापस आ गए थे.

पार्टी बनाने के बाद भी कयास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है दोनों दल एक हो जाएं, लेकिन बात नहीं बनी. शिवपाल अपनी राह पर चलते रहे और पार्टी को मजबूत करने के लिए पूरे प्रदेश में दौरा कर रहे हैं.

कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि बीजेपी ने उन्हें इसलिए खड़ा किया है ताकि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के वोट काटे जा सकें, लेकिन शिवपाल के तेवर देखते हुए लगता नहीं है कि वह किसी खेमे में इतनी आसानी से जाने वाले हैं.

सपा-बसपा का जिस दिन गठबंधन हो रहा था, उस दिन मायावती ने भी उनका नाम लेते हुए आरोप लगाया था कि बीजेपी ऐसे लोगों के साथ मिलकर बहुजन समाज के साथ साजिश कर रही है. वहीं, शिवपाल यादव ने इसका भी पुरजोर खंडन किया था.

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शिवपाल यादव ने इशारों-इशारों में यह भी बता दिया है कि वह कांग्रेस के साथ जा सकते हैं और पूरे जोर-शोर से लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेंगे. हालांकि, मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव ने कहा था कि अगर न्योता मिला तो शिवपाल सपा-बसपा गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं.

हालांकि, बाद में इन अटकलों पर विराम लग गया. देखना यह होगा कि शिवपाल यादव किस सीट के किन चेहरों को चुनाव मैदान में उतारते हैं और उनका चुनाव निशान चाबी उत्तर प्रदेश में किस गठबंधन या दल की किस्मत का ताला खोलने का काम करता है.

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