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सुशील कुमार शिंदे: सब इंस्पेक्टर से गृहमंत्री तक का किया सफर, सोलापुर से फिर मैदान में

पांच साल तक खाकी वर्दी पहनने के बाद शिंदे सफेद कुर्ता पायजामा पहन पूरी तरह राजनीति के मैदान में आ डटे. शरद पवार उनकी प्रतिभा पहचानते हुए उन्हें 1971 में राजनीति के मैदान में ले आए.

सुशील कुमार शिंदे के सामने सोलापुर सीट पर फिर से जीत दर्ज करने की चुनौती होगी. सुशील कुमार शिंदे के सामने सोलापुर सीट पर फिर से जीत दर्ज करने की चुनौती होगी.
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST

महाराष्ट्र में एक सब इंस्पेक्टर से देश के गृहमंत्री तक का सफर करने वाले कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे एक बार फिर सोलापुर से चुनावी मैदान में हैं. सोनिया गांधी के करीबियों में शुमार किए जाने वाले शिंदे यूपीए शासनकाल में कई अहम पदों पर रह चुके हैं. 2014 में मोदी लहर के चलते शिंदे को अपने गृहक्षेत्र और कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले सोलापुर से हार का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन इस बार शिंदे इस सीट से अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त हैं.  

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शरद पवार राजनीति में लाए

1941 में एक दलित परिवार में जन्मे सुशील कुमार शिंदे ने कानून की डिग्री लेकर 1965 तक सोलापुर की अदालत में ही वकालत में हाथ आजमाया. बाद में पुलिस महकमे में उनकी भर्ती हो गई. पांच साल तक खाकी वर्दी पहनने के बाद शिंदे सफेद कुर्ता पायजामा पहन पूरी तरह राजनीति के मैदान में आ डटे. शरद पवार ने उनकी प्रतिभा पहचानते हुए उन्हें 1971 में राजनीति के मैदान में ले आए.

ऐसा है सियासी सफर

अपनी सियासी पारी में शिंदे अब तक देश के गृहमंत्री समेत कई अहम पदों पर रह चुके हैं. पांच बार शिंदे विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. 18 जनवरी 2003 से 4 नवंबर 2004 तक शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. 2004 में उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया. मनमोहन सरकार में शिंदे 2009 से 2012 तक देश के ऊर्जा मंत्री भी रहे. इसके बाद 31 जुलाई 2012 से 26 मई 2014 तक शिंदे देश के गृहमंत्री रहे. शिंदे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

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उपराष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ चुके

1992 में शिंदे को कांग्रेस ने राज्यसभा भेज दिया. कार्यकाल खत्म होने के बाद शिंदे 1999 का लोकसभा चुनाव जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचे. 2002 में परिस्थितियां ऐसी बनीं कि शिंदे यूपीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गए. हालांकि एनडीए के प्रत्याशी भैरों सिंह शेखावत से शिंदे हार गए.

इस बार सुशील कुमार शिंदे के गृहक्षेत्र सोलापुर सीट से चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें 6 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. सोलापुर सीट पर दूसरे चरण में यानी 18 अप्रैल को वोटिंग होगी. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर कुल 4 चरणों में मतदान होगा.

बीजेपी प्रत्याशी जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य से टक्कर

सुशील कुमार शिंदे की टक्कर इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य से है. धार्मिक गुरु शिवाचार्य को चुनावी मैदान में उतारकर बीजेपी लिंगायत समुदाय को लुभाने की कोशिश में है. दरअसल,  सोलापुर सीट पर लिंगायत और दलितों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में जय सिद्धेश्वर शिवाचार्य के सहारे बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

2009 में शरद बनसोडे को दी थी मात

2009 के चुनाव में सुशील कुमार शिंदे को 3,87,591 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और बीजेपी उम्मीदवार शरद बनसोडे को 2,87,959 वोट मिले थे. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के शरद बंसोड ने 5,17,879 वोट हासिल करके शिंदे को हराया था.

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सोलापुर में कुल 6 विधानसभा सीटें

सोलापुर लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा आती हैं. सोलापुर की विधानसभाओं का मिजाज कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के पक्ष में है. विधानसभा सीट मोहोल से एनसीपी के हिस्से में है, जबकि सोलापुर शहर मध्य, अक्कलकोट और पंढरपुर से कांग्रेस, सोलापुर शहर उत्तर और सोलापुर दक्षिण से बीजेपी के विधायक हैं.  

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