
सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव की शिकायत पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि तेज बहादुर की शिकायत के हर बिंदू पर गौर किया जाए और कल तक कोर्ट में जवाब दिया जाए. चुनाव आयोग ने यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से तेज बहादुर यादव के नामांकन को रद्द कर दिया था, जिसके शिकायत लेकर तेज बहादुर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हुई. तेज बहादुर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके नामांकन को रद्द करने का आदेश रद्द कर चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह कल (गुरुवार) तक तेज बहादुर यादव की शिकायत के समुचित बिंदुओं पर गौर करें और उसका जवाब दें. अब इस मामले में कल (9 अप्रैल) फिर सुनवाई होगी. जिसके बाद यह तस्वीर होगी कि तेज बहादुर वाराणसी से चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं.
बीएसएफ में कांस्टेबल रहे तेज बहादुर खाने की क्वालिटी पर सवाल उठाने के बाद चर्चा में आए थे. उन्हें बाद में बीएसएफ से बर्खास्त भी कर दिया गया था. तेज बहादुर ने वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. पहले तेज बहादुर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया था, लेकिन बाद में सपा ने उन्हें टिकट दे दिया. लेकिन हलफनामे में जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर का नामांकन कर दिया.
सपा ने दिया था तेज बहादुर को टिकट
समाजवादी पार्टी ने शुरू में मोदी के खिलाफ शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन बाद में उसने प्रत्याशी बदल कर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया. चुनाव आयोग ने एक मई को यादव का नामांकन रद्द कर दिया था. वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी (आरओ) ने यादव के जरिए दाखिल नामांकन के दो सेटों में विसंगति को लेकर नोटिस जारी किया था.
दरअसल, यादव ने 24 अप्रैल को दाखिल दस्तावेजों में कहा था कि उसे सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया है. हालांकि, 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी उम्मीदवार के तौर पर दाखिल दूसरे सेट में इस सूचना का जिक्र नहीं किया गया था. इसके साथ ही यादव को सीमा सुरक्षा बल से अनापत्ति प्रमाण (एनओसी) भी जमा करना था, जिसमें बर्खास्तगी के कारण बताए जाने थे.
वहीं निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यादव प्रमाण पत्र पेश करने में विफल रहे क्योंकि जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना आवश्यक था कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है. यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए और शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता को हाई प्रोफाइल वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति दे. जहां 19 मई को मतदान होना है.
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