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त्रिपुरा राज्य की त्रिपुरा ईस्ट सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है. पार्टी की यहां से प्रत्याशी रेबती त्रिपुरा ने कांग्रेस की उम्मीदवार महाराज कुमारी प्रज्ञा देब बर्मन को धूल चटाई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक रेबती त्रिपुरा ने महाराज कुमारी प्रज्ञा को 2 लाख 04 हजार 290 वोट के अंतर से हरा दिया.
कब और कितनी हुई वोटिंग
इस सीट पर वोटिंग तीसरे चरण में 23 अप्रैल को हुई थी जिसमें क्षेत्र के कुल 12,50,777 वोटरों में 10,40,576 यानी 83.19 फीसदी लोगों ने अपने वोड डाले.
कौन-कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार
जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित त्रिपुरा पूर्व संसदीय बीजेपी ने इस बार रेबती त्रिपुरा को मैदान में उतारा है. सीपीएम ने यहां से मौजूदा सांसद जितेंद्र चौधरी को ही टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने महाराज कुमारी प्रज्ञा देबबर्मन को टिकट दिया है. बीजेपी की सहयोगी रही इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा ने इस सीट से नरेंद्र चंद्र देबबर्मा को टिकट दिया है. इस सीट पर निर्दलीय समेत 10 उम्मीदवार मैदान में हैं.
2014 का चुनाव
पिछले चुनाव में इस सीट पर 83.41 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2014 लोकसभा चुनाव में त्रिपुरा ईस्ट सीट से सीपीएम के जितेंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को 4 लाख 84 हजार 358 वोटों से शिकस्त दी थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जितेंद्र चौधरी को 6 लाख 23 हजार 771 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सचित्र देवबर्मन को एक लाख 39 हजार 413 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है. इस राज्य की सीमाएं असम, मिजोरम और बांग्लादेश से लगती हैं. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है. यहां पर बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) बोली जाती हैं. त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने किया था. उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया था. त्रिपुरा साल 1956 में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ था. इसके बाद साल 1972 में त्रिपुरा को राज्य का दर्जा दे दिया गया था.
सीट का इतिहास
त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट पर अब तक 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने 11 बार जीत दर्ज की है. इस सीट पर सीपीएम के बाजू बन रियान सबसे ज्यादा 7 बार सांसद रह चुके हैं. इस सीट पर साल 1996 से लेकर अब तक सीपीएम का कब्जा है. इससे पहले कांग्रेस ने यहां से लगातार दो बार जीत दर्ज की थी, जबकि सीपीआई ने दो बार जीत हासिल की थी.
त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा है, जिनमें से 30 विधानसभा सीटें त्रिपुरा ईस्ट संसदीय क्षेत्र में आती हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 25 साल से सत्ता में काबिज सीपीएम को उखाड़ फेंका था. इस चुनाव में बीजेपी ने 35 सीटों और उसकी सहयोगी पार्टी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने 8 सीटों और सीपीएम ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी ने IPFT के साथ मिलकर सूबे में सरकार बना ली.
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