
मेघालय की तुरा लोकसभा सीट पर अगाथा संगमा ने जीत दर्ज की है. अगाथा संगमा नेशनल पीपल्ट पार्टी से हैं. अगाथा ने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. मुकुल संगमा को 64030 वोटों से हराया. 2014 में इस सीट पर नेशनल पीपल्स पार्टी उम्मीदवार पुर्नो अगितोक संगमा की जीत हुई थी. उन्होंने 39716 वोटों से जीत हासिल की थी. अगाथा संगमा 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं.
कब और कितनी हुई वोटिंग
मेघालय की तुरा लोकसभा सीट पर वोटिंग पहले चरण में 23 अप्रैल को हुई थी जिसमें क्षेत्र के कुल 7,15,723 वोटरों में से 5,80,337 यानी 81.08 फीसदी लोगों ने वोट डाले.
कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार
अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित तुरा लोकसभा चुनाव के लिए इस बार मैदान में कुल 3 उम्मीदवार थे. इस सीट पर मुख्य लड़ाई कांग्रेस, एनसीपी और दिवंगत नेता पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के बीच ही रहती है. तुरा लोकसभा सीट से नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कॉनरॉड के. संगमा सांसद हैं. कॉनरॉड के. संगमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी की ओर से अगाथा के संगमा मैदान में थे, जबकि कांग्रेस की ओर से डॉक्टर मुकुल संगमा और भारतीय जनता पार्टी की ओर से रिकमैन गैरी मोमीन अपनी किस्मत आजमा रहे थे.
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2014 का चुनाव
पिछले चुनाव में इस सीट पर 78.10 फीसदी वोटिंग हुई थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में तुरा सीट से पीए संगमा ने जीत दर्ज की थी. संगमा लोकसभा के स्पीकर भी रहे थे. बतौर एनपीपी प्रत्याशी उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डैरिल विलियम चेरान मोमिन को करीब 39 हजार 716 वोटों से हराया था. पीए संगमा को साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 लाख 39 हजार 301 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार डेरिल विलियम चेरान मोमिन को एक लाख 99 हजार 585 मत हासिल हुए थे. इस चुनाव में 19 हजार 185 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया था. तुरा लोकसभा क्षेत्र में 24 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है.
सामाजिक ताना-बाना
तुरा इलाका पश्चिम गारो हिल्स जिले का पर्वतीय शहर है. यह पहाड़ियों की तलहटी में बसा है. माना जाता है कि यहां दुरामा देवता इन पर्वतों में वास करते हैं. यह गारो हिल्स जिले का मुख्यालय भी कहा जाता है. इसके अलावा क्षेत्र गारो जनजाति के लोगों का सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र है. यहां बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान, नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान है.
सीट का इतिहास
तुरा लोकसभा सीट पर 2019 से पहले तक कुल 15 बार चुनाव और उपचुनाव हो चुके हैं. इस सीट को पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. इस सीट पर कांग्रेस ने आठ बार जीत दर्ज की. हालांकि, साल 1999 के बाद से इस सीट पर एनसीपी, एनपीपी और तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. साल 2014 और 2009 के लोकसभा चुनाव में एनपीपी ने जीत दर्ज की थी.
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