
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की कवायद के बीच कांग्रेस ने गुरुवार को 11 उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी और रायबरेली से सोनिया गांधी के नामों के अलावा जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे कई दिग्गजों के नाम शामिल हैं. कांग्रेस ने सूबे में ऐसे नामों का ऐलान किया है, जिन पर उसे जीत का ज्यादा भरोसा नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि इनमें वो सीटें भी शामिल हैं, जिन्हें कांग्रेस अखिलेश-मायावती के सामने मांग रही है.
कांग्रेस के उम्मीदवार
कांग्रेस उम्मीवारों की जारी लिस्ट में रायबरेली से सोनिया गांधी, अमेठी से राहुल गांधी, फैजाबाद से निर्मल खत्री, कुशीनगर से आरपीएन सिंह, फरुर्खाबाद से सलमान खुर्शीद, सहारनपुर से इमरान मसूद, उन्नाव से अनु टंडन, धौरहरा से जितिन प्रसाद, बदायूं से सलीम शेरवानी, अकबरपुर से राजाराम पाल और जालौन से ब्रजलाल खबरी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.
चुनावी समीकरण
कांग्रेस ने जिन 11 नामों की घोषणा की है. मौजूदा समय में इनमें से दो सीटें कांग्रेस के पास है. जबकि कुशीनगर और सहारनपुर सीट ऐसी हैं जहां पर पार्टी दूसरे नंबर पर और बाकी बची 7 सीटों पर कांग्रेस तीसरे और चौथे नंबर रही थी. हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बदायूं, जालौन और सहारनपुर सीट छोड़कर बाकी सीटों पर जीत दर्ज की थी.2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन के सामने रायबरेली और अमेठी के अलावा जिन 13 सीटों की डिमांड रखी थी. माना जाता है कि उनमें से कुशीनगर, धौरहरा, सहारनपुर, उन्नाव, अकबरपुर और फरुर्खाबाद सीट शामिल थीं. इनमें से छह सीटों में से तीन सीटें बसपा के खाते में हैं और तीन ही सीट सपा के खाते में हैं.
कांग्रेस का फोकस
दरअसल प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने के बाद कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से करीब दो दर्जन सीटों पर खास फोकस कर रही है. इनमें से गुरुवार को कांग्रेस द्वारा जारी लिस्ट में से 9 सीटें शामिल हैं. यहां कांग्रेस पूरी प्लानिंग के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है.राजनीतिक विश्वलेषणों की मानें तो रायबरेली और अमेठी के अलावा कांग्रेस जहां सबसे मजबूत मानी जा रही है. उनमें कुशीनगर, धौरहरा, उन्नाव और सहारनपुर सीट प्रमुख है. हालांकि सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस का सियासी समीकरण कई सीटों पर गड़बड़ा भी रहा है.
बसपा बनी चुनौती
बसपा ने पहले ही सहारनपुर सीट से हाजी फजलुर्रहमान को उतारकर कांग्रेस के इमरान मसूद का सियासी समीकरण को बिगाड़ दिया है. फजलुर्रहमान सहारनपुर के मेयर के चुनाव में महज 9 सौ मतों से बीजेपी उम्मीदवार से हार गए थे. बसपा उम्मीदवार की इस हार के लिए सहारनपुर के लोग इमरान मसूद को जिम्मेदार मानते हैं. यही वजह है कि इमरान मसूद जगह-जगह अपनी जनसभाओं में सफाई दे रहे हैं.
सहारनपुर के ही रहने वाले गुलजार अहमद कहते हैं कि इमरान मसूद के चलते ही सहारनपुर सीट से ही मुस्लिम उम्मीदवार की हार हुई है. इसके अलावा अब हम लोग नहीं चाहते हैं कि हमारा सांसद हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत पैदा करने वाला हो. सपा-बसपा गठबंधन के बाद सहारनपुर का बड़ा तबका बसपा के साथ खड़ा है.
आरपीएन और जितिन से उम्मीदें
पिछले चुनाव में कुशीनगर लोकसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रहे आरपीएन सिंह पर पार्टी ने फिर दांव लगाया है. प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की कमान सौंपे जाने के बाद माना जा रहा है कि आरपीएन बीजेपी को कड़ी टक्कर देंगे. जबकि धौरहरा सीट से कांग्रेस ने जितिन प्रसाद पर एक बार फिर भरोसा जताया है. माना जा रहा है कि जितिन पिछले चुनाव में भले ही मोदी लहर में अपनी सीट नहीं बचा सके थे, लेकिन इस बार वो काफी कड़ी टक्कर दे सकते हैं. हालांकि कांग्रेस की मजबूत सीटों में उन्नाव सीट भी मानी जा रही है, जहां से पार्टी ने अन्नू टंडन को उतारा है. वो 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी हैं.