Advertisement

SP-BSP गठबंधन: अखिलेश के खाते में वो शहरी सीटें जहां कभी नहीं जीती सपा

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन ने बंटवारे के तहत लोकसभा सीटों की घोषणा कर दी है. सूबे में 38 सीटों पर बसपा और 37 सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी. सीट शेयरिंग में सपा के खाते में ज्यादातर शहरी सीटें आईं है, जहां पार्टी को कभी जीत नहीं मिल सकी है. जबकि बसपा ने वही शहरी सीटें ली हैं, जहां वो पहले जीत चुकी है.

मायावती और अखिलेश यादव (फोटो-Twitter) मायावती और अखिलेश यादव (फोटो-Twitter)
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 22 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी-शाह के विजय रथ को उत्तर प्रदेश में रोकने के लिए अखिलेश यादव और मायावती ने गठबंधन किया. सपा-बसपा ने गुरुवार को 75 सीटों के बंटवारे का ऐलान किया. बसपा 38 तो सपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि तीन सीटें आरएलडी के लिए छोड़ी गई हैं. सीटों के बंटवारे में अखिलेश पर मायावती भारी पड़ी हैं. सपा के खाते में जहां ज्यादातर शहरी सीटें आईं है तो वहीं ग्रामीण इलाकों की सीटें बसपा के खाते में गई है. हालांकि बसपा को जो शहरी सीटें मिली हैं, वहां पार्टी का अपना आधार रहा है.

Advertisement

बता दें कि सपा-बसपा गठबंधन ने ऐलान किया था कि सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर दोनों पार्टियां चुनाव लड़ेंगी. इसके अलावा दो सीटें आरएलडी के लिए छोड़ी थी. जबकि अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया था. ऐसे में अखिलेश यादव ने अपने कोटे से एक अन्य सीट आरएलडी को दी है. इस तरह से आरएलडी के खाते में बागपत, मथुरा और मुजफ्फरनगर सीटें छोड़ दी गई हैं. 

शहरी सीटों पर सपा लड़ेगी चुनाव

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें शहरी इलाके में आती हैं, इनमें से 9 पर सपा और 3 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेंगी. सूबे के लखनऊ, मुरादाबाद, कानपुर, गाजियाबाद, वाराणसी, बरेली, इलाहाबाद, गोरखपुर और झांसी जैसी शहरी सीटें सपा को मिली हैं. जबकि मेरठ, आगरा और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) सीट पर बसपा चुनाव लड़ेगी.

Advertisement
इन शहरी सीटों पर कभी सपा नहीं जीती

दिलचस्प बात ये है कि बरेली, लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद और कानपुर ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां सपा को अभी तक जीत नहीं मिली हैं. वहीं, गोरखपुर सीट पर सपा को पहली बार उपचुनाव में जीत मिली है. इसके अलावा झांसी सीट पर भी सपा को एक ही बार जीत मिल सकी है. इससे सपा के राजनीतिक आधार को समझा जा सकता है.

मुरादाबाद-इलाहाबाद की सीट पर सपा का आधार

हालांकि सपा को जो 9 शहरी सीटें मिली हैं. उनमें से मुरादाबाद और इलाहाबाद महज दो सीटें हैं, जहां का अपना आधार रहा है. मुरादाबाद में सपा के शफीकुर्रहमान बर्क तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं. जबकि इलाहाबाद सीट पर सपा से रेवती रमण सिंह दो बार जीत हासिल कर चुके हैं. लेकिन इन दोनों सीटों पर इन दोनों नेताओं के अलावा सपा का कोई नेता जीत नहीं सका है.

 सपा नेता नाराज

यही वजह है कि सपा के शहरी सीट लेने पर पार्टी के अंदरखाने नेता नाराज चल रहे हैं. हालांकि वो खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं है. सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गठबंधन में सपा को शहरी सीटों को लेने से बचना चाहिए था, क्योंकि पार्टी का आधार ग्रामीण इलाकों वाली सीटों पर है. गठबंधन में सपा से बड़ी चूक हो गई है.

Advertisement
बसपा ने चुनी अपने गढ़ की सीटें

वहीं, मायावती इस बात को बखूबी समझते हुए उन्होंने गठबंधन में ऐसी सीटें ली हैं, जो ग्रामीण इलाके की हैं. बसपा ने वही शहरी सीटें ली हैं, जहां वो पहली चुनाव जीत चुकी है. आगरा, मेरठ और नोएडा तीनों ऐसी सीटें मिली हैं, जहां पहले बसपा के सांसद रह चुके हैं. इससे साफ जाहिर है कि बसपा ने अपनी शर्तों पर ही सपा से गठबंधन करने का फैसला किया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement