
राजनीतिक गलियारों से बाहर पीएम नरेंद्र मोदी की नोटबुक में अपनी जगह बनाने के लिए वरुण गांधी हर संभव कोशिश कर रहे हैं. आमतौर 39 वर्षीय बीजेपी उम्मीवार वरुण गांधी अपने चचेरे भाई-बहन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की आलोचना करने से परहेज करते हैं, लेकिन "इंडिया टुडे" से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल का मोदी से कोई मुकाबला नहीं हो सकता, साथ ही कहा कि आने वाले दो दशकों तक राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि राहुल गांधी पीएम उम्मीदवार के योग्य हैं, इस पर उन्होंने कहा कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं, लेकिन मुझे लगता है कि 10-20 सालों तक संभव नहीं है. इसके अलावा जब वरुण से पूछा गया कि उनके चचेरे भाई-बहन प्रधानमंत्री मोदी को टक्कर दे सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि उच्च पद के लिए मतदाता उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार वरुण गांधी हैं. उन्होंने "इंडिया टुडे" से कहा कि देश ने मन बना लिया है और वे मोदीजी को केवल वोट ही नहीं अपना खून तक देने को तैयार हैं. उन्होंने राहुल-प्रियंका के साथ रिश्तों को लेकर कहा कि, हमारा रिश्ता शिष्टाचार का है, लेकिन औपचारिक. साथ ही वरुण ने कहा कि जो भी हमरा उनके साथ रिश्ता है वो मेरी मां की वजह से है, बहुत मुश्किल परिस्थितियों में मेरी मां ने मेरी परवरिश की है, मेरी मां ही मेरा परिवार है.
वरुण के अनुसार, राजनीति, वर्तमान और भविष्य अब दो चीजों पर टिकी हुई है. एक आपकी क्षमता और दूसरी, लोगों के साथ संबंध बनाने की आपकी क्षमता. उन्होंने कहा कि एक कार्यकर्ता के रूप मुझे लगता है कि लोग बीजेपी को को इन्हीं क्लालिटीज को देख वोट देते रहेंगे.
जब उनसे पूछा गया कि कयास लगाए जा रहे थे कि वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल होंगे तो उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी के प्रति निष्ठा की कसम खाई है. अगर मैं बीजेपी को छोड़ता हूं तो वो मेरी राजनीति का आखिरी दिन होगा, साथ ही कहा कि बीजेपी के साथ मैं गहराई से जुड़ा हूं.
बता दें कि 2014 चुनावी अभियान में बीजेपी के पार्टी महासचिव के रूप वरुण गांधी ने कोलकाता में मोदी की रैली को साधारण बताया था और उसी वर्ष उन्होंने अमेठी में विकास कार्यों के लिए अपने चचेरे भाई की प्रशंसा की थी. इसके बाद मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही वरुण गांधी से पार्टी की जिम्मेदारियां छीन ली गईं.
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