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वेल्लोर लोकसभा सीट: AIADM और DMK में कांटे की टक्कर

वेल्लोर तमिलनाडु का 9वां सबसे बड़ा कॉर्पोरशन है, जिसका उद्घाटन करुणानिधि ने किया था. अगस्त 2009 को वेल्लोर नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा दिया गया.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके नेता ई. पलनिस्वामी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके नेता ई. पलनिस्वामी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

तमिलनाडु राज्य के 39 संसदीय क्षेत्रों में से एक है वेल्लोर निर्वाचन क्षेत्र. इसका गठन 1951 में हुआ. वेल्लोर शहर दक्षिण भारत के प्राचीनतम शहरों में एक है. इस शहर का विस्तार पलार नदी के किनारे और थिरुवन्नमलाई और तिरुपति के बीच फैला है. थिरुवन्नमवाई को मंदिरों के शहर कहा जाता है. वेल्लोर सीट पर फिलहाल एआईएडीएमके का कब्जा है और सांसद बी. सेनगुट्टुवन हैं. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने अपने बड़े नेता दुरै मुरुगन के बेटे कथिर आनंद को इस बार टिकट दिया है. पुथिया निधि काची पार्टी के संस्थापक और एमजीआर एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के एसी शनमुगम भी चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर दूसरे फेज में मतदान है जो 18 अप्रैल को होगा.

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डीएमके को इस सीट पर काफी उम्मीदें हैं और अल्पसंख्यक वोटों पर उसका खास ध्यान है. डीएमके का मानना है कि एनडीए विरोधी सत्ता लहर का उसे फायदा मिलेगा. पार्टी नोटबंदी के बाद छोटे और मंझोले उद्योगों में आई मंदी का मुद्दा जोरशोर से उठा रही है. हालांकि डीएमके के अंदर चल रही वंशवाद की राजनीति के खिलाफ लोगों में नाराजगी है जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है. मुस्लिम वोटर्स में भी नाराजगी है क्योंकि डीएमके ने खुलकर आईयूएमएल उम्मीदवार एम. अब्दुल रहमान का साथ नहीं दिया है.

पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार शनमुगम दूसरे स्थान पर रह गए थे. इस बार उन्हें एआईएडीएमके की पूरी मदद मिलने का भरोसा है. 2009 के चुनाव में डीएमके उम्मीदवार अब्दुल रहमान ने जीत दर्ज की थी. वेल्लोर तमिलनाडु का 9वां सबसे बड़ा कॉर्पोरशन है, जिसका उद्घाटन करुणानिधि ने किया था. अगस्त 2009 को वेल्लोर नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा दिया गया.

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वेल्लोर लोकसभा सीट पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) का दबदबा रहा है. 1971 में परिसीमन के बाद यहां 12 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें चार बार डीएमके को जीत मिली है तो वहीं दो बार पट्टाली मक्कल काची (पीएमके), चार बार कांग्रेस और दो बार ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने जीत हासिल की है. 2014 लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के बी. सेनगुट्टुवन पचास हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर यहां से सांसद बने. 2014 लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके को 39.35 फीसदी, बीजेपी को 33.26 फीसदी, कांग्रेस को 2.22 और नोटा को 0.73 फीसदी वोट मिले थे.

2011 की जनगणना के मुताबिक, वेल्लोर संसदीय क्षेत्र की जनसंख्या 18,15, 889 है. इसमें 50.8 फीसदी आबादी ग्रामीण और 49.2 फीसदी आबादी शहरी इलाके में रहती है. यहां अनुसूचित जाति की आबादी 22.97 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.53 फीसदी है. 2014 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के अनुसार यहां पर 6,52,064 पुरुष और 6,60,187 महिला यानी कुल 13,12,251 मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में 74.22 फीसदी पुरुष मतदाताओं और 74.34 फीसदी महिला मतदाताओं ने वोटिंग की थी.

वेल्लोर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें वेल्लोर, अनाई कट्टू, किलवाईथिनंकुप्पम,  गुडियथम, वानीयंबादी और अंबूर शामिल हैं. इनमें से दो सीटें डीएमके के खाते में हैं. चार सीटों पर एआईएडीएमके का कब्जा है.

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2014 के लोकसभा चुनावों में एआईएडीएमके के बी. सेनगुट्टुवन ने 59,393 वोटों से जीत हासिल की थी. उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार ए. सी. शनमुगा से था. सांसद बी. सेनगुट्टुवन को 13,12,251 वोटों में से 3,83,719 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी और बीजेपी नेता एसी शनमुगम को 3,24,326 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 21,650 और निर्दलीय को 6,056 वोट मिले थे. नोटा के खाते में 7,100 वोट आए थे.

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