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क्या मोदी सरकार ने ममता बनर्जी को दे दिया केंद्र में आने का सुनहरा मौका?

लोकसभा चुनाव 2019 का नया दंगल बनता जा रहा है. बीजेपी बंगाल में नजर गढ़ाए हुए है तो ममता बनर्जी अपने अपने मजबूत किले में किसी भी सूरत में बीजेपी को सेंध लगाने का मौका नहीं देना चाहती हैं. इसीलिए जब रविवार के केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर छापा मारने पहुंची तो ममता खुद ही धरने पर बैठ गईं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो-PTI) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो-PTI)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST

लोकसभा चुनाव 2019  से पहले पश्चिम बंगाल सियासत का नया अखाड़ा बन गया है. बीजेपी बंगाल में नजर गढ़ाए हुए है तो ममता बनर्जी अपने अपने मजबूत किले में किसी भी सूरत में बीजेपी को सेंध लगाने का मौका नहीं देना चाहती हैं. इसीलिए जब रविवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर छापा मारने पहुंची तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद ही बचाव में उतर पड़ीं और रातभर धरने पर बैठी रहीं. इतना ही नहीं विपक्ष के तमाम दल के नेता भी उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

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बता दें कि करीब एक दशक पहले ममता बनर्जी तात्कालीन लेफ्ट सरकार के खिलाफ नंदीग्राम और सिंगूर को लेकर धरने में बैठकर पश्चिम बंगाल के लोगों को दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही थीं. इसी का नतीजा था कि ममता ने लेफ्ट को 30 साल के शासन के बाद राज्य से बेदखल कर दिया था और सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुई थीं. अब दस साल के बाद एक बार फिर ममता बनर्जी पुराने तेवर में हैं और इस बार निशाने पर केंद्र की मोदी सरकार है.

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीतने का टारगेट रखा है. इसके लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुटी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक के बाद एक रैलियां कर रहे हैं. दरअसल हाल ही के दिनों में जिस तरह से बीजेपी का ग्राफ राज्य में बढ़ा है और लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है.

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वहीं, ममता अपने मजबूत गढ़ पश्चिम बंगाल में बीजेपी को किसी भी हाल में जगह नहीं बनाने देना चाहती हैं, क्योंकि टीएमसी की राजनीति का आधार पूरी तरह से सूबे में टिका हुआ है. यही नहीं, विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद की प्रमुख दावेदारों में से ममता बनर्जी भी एक हैं. ऐसे में ममता इस बात को बाखूबी समझती हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव उनकी राजनीति का सबसे अहम चुनाव है. ऐसे में वो राज्य में अच्छी खासी सीटें जीतने में कामयाब रहती हैं तो पीएम पद पर उनकी दावेदारी मजबूत हो जाएगी.

विपक्ष की ओर से मोदी विरोध के रूप में ममता बड़ा चेहरा बनती जा रही हैं. इस कड़ी में पहले ममता ने देश के विपक्षी दलों के नेताओं को कोलकाता की रैली में एकजुट किया. यही नहीं, उन्होंने राज्य में बीजेपी की रथ यात्रा को निकलने नहीं दिया. इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बंगाल में हेलीकाप्टर को उतरने की इजाजत न देकर ये साबित करने की कोशिश की है कि वो बीजेपी की धुर विरोधी हैं.

बहुचर्चित शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई टीम रविवार शाम को ममता के भरोसेमंद और कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंची तो राज्य की पुलिस ने सीबीआई के कुछ अधिकारियों को हिरासत में ले लिया. सीबीआई की इस कार्रवाई को लेकर ममता बनर्जी सड़क पर उतर आईं और मोदी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गईं.

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ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार हर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है, जहां विपक्षी पार्टियां सत्ता में हैं. उन्होंने कहा, 'मैं यकीन दिला सकती हूं...मैं मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन मैं मोदी सरकार के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं हूं. हम आपातकाल लागू नहीं करने देंगे. कृपया भारत को बचाएं, लोकतंत्र बचाएं, संविधान बचाएं.'

मोदी के खिलाफ ममता के इस तेवर के साथ विपक्ष एकजुट हो गया है. सीबीआई टीम की कार्रवाई के खिलाफ कोलकाता में ममता आंदोलन पर बैठी हैं और आज उनके समर्थन में विपक्ष के कई नेता पश्चिम बंगाल पहुंच रहे हैं. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत विपक्ष के कई नेताओं ने ममता बनर्जी से फोन पर बात कर उनका समर्थन किया है. इससे सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार ने ममता को एक बार फिर से सियासत में उभरने का मौका दे दिया है.अगर ऐसा हुआ तो इस बार ममता केंद्र की राजनीति में और भी ताकतवर बनकर उभर सकती हैं.

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