
पश्चिम बंगाल सुर्खियों में है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी के प्रति बेहद आक्रामक रवैया अख्तियार किया हुआ है. वहीं पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार पश्चिम बंगाल में डटे हुए हैं, लगातार रैलियां कर रहे हैं. 42 सीटों वाले इस राज्य में अब तक पांचों चरणों में हिंसा हुई है. इसी लड़ाई-झगड़े में पांच चरण और 25 सीटों का चुनाव निकल चुका है. बची हैं 17 सीटें, लिहाजा किसी को चैन नहीं है. राज्य में चुनावी घमासान आखिरकार हिंदू-मुसलमान तक आ पहुंचा है. बीजेपी को यहां बैठे-बिठाए जयश्रीराम का नया और ‘कारगर’ मुद्दा मिल गया है.
यूपी नहीं, अब पश्चिम बंगाल से उम्मीदें
पश्चिम बंगाल दरअसल 2014 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की विस्मयकारी सफलता की दहशत से निकला एक सियासी खिलौना है. समाजवादी पार्टी और बीएसपी के तालमेल के बाद भारतीय जनता पार्टी गलती से भी उत्तर प्रदेश के भरोसे नहीं रहना चाहती. बीजेपी यूपी की संभावित नुकसान की भरपाई के लिए बहुत हद तक बंगाल पर निर्भर हो गई है. ममता इसे बचाने के लिए अखाड़े में ताल ठोककर उतर गई हैं. इसमें बीजेपी के लिए जो परेशानी की बात है वो ये कि बंगाल की जादूगरनी ममता हैं, मोदी नहीं.
नेताओं की तल्खी का असर कार्यकर्ताओं पर
बंगाल में न तो 2014 में मोदी का जादू चला, न ही 2016 में. एक प्रधानमंत्री और एक मुख्यमंत्री दोनों ने आपसी सम्मान को बंगाल की खाड़ी में तिरोहित कर दिया है. न मोदी ममता को देखना चाहते हैं और न ममता मोदी को. दोनों के इस वाक युद्ध में कार्यकर्ता एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे हैं.
बंगाल में सदाचार के उड़ रहे चीथड़े
जय श्री राम, मां दुर्गा के पश्चिम बंगाल में राजनीति की नई विभाजक रेखा है जिसका अविष्कार 2019 के चुनाव में बीजेपी ने किया है. नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक ने जय श्री राम का नारा लगाकर चुनाव को हिंदू बनाम मुसलमान बनाने में जान लगा दी है. मंगलवार को मेदिनीपुर में अमित शाह ने खुलेआम चुनौती दे दी कि ममता दीदी अब आपसे जो बन पड़ता है उखाड़ लो, जो धारा लगानी है लगा दो. ऐसे में अब बंगाल में ये तो पूछना ही बेकार है कि कौन भाषा के कितने गहरे पाताल में गिर रहा है और कौन सदाचार के कितने चीथड़े उड़ा रहा है.
नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा
दरअसल मोदी को लगता है कि बंगाल इस बार काबू में नहीं आया तो आगे नहीं आएगा और ममता को लगता है कि बंगाल इस बार हाथ से निकल गया तो निकल ही जाएगा. इसीलिए किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है किसी को नीचा दिखाने में, बंगाल को हिंदू-मुसलमान बनाने में.
विधानसभा की 295 सीटें, किसके पास कितनी
बंगला को हिंदू मुसलमान बनाने पर क्यों आमादा है बीजेपी. और क्यों तृणमूल इस विमर्श पर अपनी गोटियां खेल रही हैं. इसे ऐसे समझिए-
पश्चिम बंगाल में कुल विधानसभा सीटें 295 हैं. इसमें तृणमूल कांग्रेस के पास 213, कांग्रेस 42, सीपीएम 26 और बीजेपी के पास 3 सीटें हैं. अब यहां से बीजेपी सपना देख रही है कि वो ममता बनर्जी को उखाड़ फेंकेगी और इस सपने की इकलौती जमीन यही हो सकती है कि खेल को हिंदू बनाम मुसलमान कर दिया जाए. क्यों? इसे जरा ऐसे समझिए.
मुस्लिम नेताओं का कितना प्रतिनिधित्व
बंगाल में कुल 59 मुस्लिम विधायक हैं. 7 मुस्लिम मंत्री और 8 मुस्लिम सांसद. मुस्लिम आबादी यहां 27% है. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि किसी भी तरह से अगर मामला हिंदू बनाम मुसलमान बन जाए तो बंगाल में बात बन जाए. लेकिन ममता बंगाल की राजनीति की जादूगरनी हैं. इसे समझने के लिए इन आंकड़ों पर गौर करना होगा.
विधानसभा चुनावों में ममता का जादू
2011 का विधानसभा चुनाव ममता कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ीं. इसमें टीएमसी को 184 और कांग्रेस को 42 सीटें मिलीं. इसके बाद 2016 का विधानसभा चुनाव ममता अकेले दम पर लड़ीं. इसमें टीएमसी 211, कांग्रेस 42 और बीजेपी को 3 सीटें मिलीं.
मोदी लहर से बेअसर बंगाल
अब एक नजर डालते हैं बंगाल में मोदी लहर की हालत की. 2014 में देश में मोदी लहर चल रही थी. सब बचने का उपाय खोज रहे थे. मोदी की उस लहर में भी ममता ने अकेले दम पर मोदी के खिलाफ खम ठोका. मोदी लहर में भी ममता 34 सीटें लेकर आईं. वहीं कांग्रेस को 4 और बीजेपी को महज 2 सीटें मिलीं. यही वो आंकड़े हैं जिसने पीएम मोदी और अमित शाह की नींद उड़ा रखी है. वो आंकड़े हैं जिन्हें बचाने के लिए ममता ने आक्रामक हो गई है.