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यूपी में किस खेमे में जाएंगे सवर्ण, किसे मिलेंगे दलित-ओबीसी वोट: MOTN सर्वे

इंडिया टुडे, कार्वी इनसाइट्स द्वारा किया गया यह सर्वे 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच हुआ. यह सर्वे 20 लोकसभा क्षेत्रों में 2478 लोगों पर किया गया.

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

चुनाव कोई भी हो, उत्तर प्रदेश की राजनीति के बारे में बात हो तो सबसे पहले जातिगण समीकरण तलाशे जाते हैं. इसकी वजह भी है. अलग-अलग जातियों के वोट पर राजनीतिक दलों की जितनी प्रभावी पकड़ यहां है, उतनी देश के किसी दूसरे प्रदेश में नहीं दिखाई देती. मायावती की राजनीति दलित वोटों के भरोसे चलती है तो अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी का आधार ओबीसी वोट हैं. सामान्य वर्ग या सवर्णों के वोटों पर बीजेपी की तूती बोलती है, तो कांग्रेस हर वर्ग के वोट बैंक का कुछ हिस्सा अपने खाते में करने में सफल रहती है. आजतक के कार्वी इनसाइट्स के सर्वे में यूपी में अलग-अलग जाति वर्गों की फेवरेट पार्टी के बारे में जानने की कोशिश की गई. सर्वे के नतीजे इन जातियों के वोटिंग पैटर्न का काफी हद तक खुलासा कर देते हैं.

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सर्वे के नतीजों के मुताबिक सामान्य वर्ग या सवर्णों के सबसे ज्यादा वोट बीजेपी के खाते में जाते हैं. बीजेपी को मिलने वाले कुल वोटों में सवर्णों के वोटों का हिस्सा 40 फीसदी होने का अनुमान है. देश का मुख्य विपक्षी दल कम से कम यूपी में तो इस वर्ग को लुभाने में ज्यादा कामयाब नहीं रहने वाला. सर्वे के मुताबिक उसे यूपी से मिलने वाले वोटों में से सामान्य वर्ग के वोट महज 26 फीसदी हैं.

अन्य दलों की स्थिति तो और भी बुरी है. यहां ये बात ध्यान देने योग्य है कि इन अन्य दलों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दल भी शामिल हैं जो यूपी में 2017 से पहले एकछत्र राज्य करती रही हैं. यूपी में अन्य दलों को जो वोट मिलते दिख रहे हैं उनमें महज 12 फीसदी ही सवर्णों के हैं. गौरतलब है कि 2019 में सपा-बसपा गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ रहा है. सर्वे के नतीजे साफ हैं कि इस गठबंधन को गैर सवर्ण वोटों से ही जीत की उम्मीद रखनी पड़ेगी.

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अगर दलितों के वोटों की बात करें तो इसमें बीजेपी की स्थिति सबसे खराब नजर आती है. सर्वे के मुताबिक बीजेपी को मिलने वाले कुल वोटों में से 24 फीसदी वोट ही एससी-एसटी समुदाय से होंगे. कांग्रेस की इन वोटों पर इससे बेहतर पकड़ नजर आ रही है. कांग्रेस को मिलने वाले कुल वोटों में से एससी-एसटी वोटों का हिस्सा 36 फीसदी तक हो सकता है. लेकिन दलित वोटों का सबसे ज्यादा हिस्सा अन्य दल खासकर बीएसपी बटोरती नजर आ रही है. अन्य दलों को मिलने वाले कुल वोटों में से 44 फीसदी हिस्सा इन्हीं दलित वोटों का हो सकता है.

अगर पिछड़े वर्ग के वोटों की बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी के खाते में इनके तकरीबन बराबर वोट आने का अनुमान है. बीजेपी को मिलने वाले कुल वोटों में से पिछड़े वर्ग को वोटों का हिस्सा 36 फीसदी हो सकता है जबकि कांग्रेस के मामले में ये आंकड़ा थोड़ा ज्यादा 38 फीसदी है. हालांकि दलित वोटों की तरह ही इस वर्ग के वोटों का असली अधिकार अन्य दलों जिनमें समाजवादी पार्टी जैसे दल शामिल हैं, का है. अन्य दलों को जो वोट मिलने जा रहे हैं उनमें से 44 फीसदी वोट ओबीसी के ही हैं. सर्वे के नतीजे बहुत हद तक ये बात साफ कर देते हैं कि आखिर मोदी सरकार को चुनाव से पहले क्यों सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का फैसला लेना पड़ा और क्यों उसे एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में पलटना पड़ा.

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