
मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकार बनाने के 5 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव के मैदान में कांग्रेस की करारी हार हुई है. मध्य प्रदेश में कुल 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर जहां बीजेपी निर्णायक बढ़त बना चुकी है. वहीं एक केवल एक सीट पर कांग्रेस आगे है. यह सीट छिंदवाड़ा है, जहां से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव मैदान में हैं.वहीं राजस्थान में सभी 25 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है.
सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस राजस्थान में एक सीट को भी तरस गई. इस प्रकार राजस्थान में बीजेपी 2014 की तरह फिर से क्लीन स्वीप करने जा रही. इसी के साथ अब अटकलें लगने लगीं हैं कि क्या सत्ता में आने के कुछ ही महीनों में पार्टी की इस दुर्गति पर कांग्रेस दोनों मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, या फिर खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए दोनों नेता सीएम पद से इस्तीफा देंगे.हालांकि कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी पहले नतीजों को लेकर आत्ममंथन करेगी. इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
अंदरखाने की लड़ाई से चित हुई कांग्रेस?
दिसंबर 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजे आने पर जब कांग्रेस की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ तो मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान मची. राजस्थान में जहां अशोक गहलोत और युवा चेहरे सचिन पायलट आमने-सामने हुए तो मध्य प्रदेश में भी अनुभवी कमलनाथ बनाम युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दावेदारी देखने को मिली.दोनों नेताओं के समर्थक राज्यों में अपने नेताओं के पक्ष में लामबंदी करते दिखे. आखिरकार पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने मैराथन मीटिंग के बाद युवा जोश पर अनुभव को तवज्जो देते हुए एमपी में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया.
मगर सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व के फैसले के बाद भी दोनों राज्यों में सीएम की कुर्सी को लेकर अंदरखाने लड़ाई जारी रही. राजस्थान में जहां गहलोत और पायलट गुट तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया गुट में लोकसभा चुनाव के दौरान समन्वय की कमी दिखी. हर गुट अपने भरोसेमंद नेताओं को टिकट दिलाने के लिए पहले लड़ा, फिर मनमुताबिक टिकट वितरण न होने पर जमीन पर कैंपेनिंग में भी कोताही बरती गई. जिसका अब कांग्रेस को खामियाजा भुगताना पड़ा है.
बेटे को भी नहीं जिता पाए गहलोत
मध्य प्रदेश में यूं तो मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी परंपरागत सीट छिंदवाड़ा से बेटे नकुलनाथ का बेड़ा पार करा ले गए हैं. नकुलनाथ को फिलहाल निर्णायक बढ़त मिली हुई है. उन पर आरोप भी लगते रहे कि सीएम होने के कारण सभी सीटों पर बराबर मेहनत की जगह अपने बेटे को जिताने पर ज्यादा जोर दिए. मगर राज्य की एक छोड़ बाकी सभी सीटे गंवा बैठे हैं. उधर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो अपने राज्य में एक भी सीट जिताने की स्थिति में नहीं दिखे. यहां तक कि जोधपुर से अपने बेटे वैभव गहलोत को भी नहीं जिता पाए हैं. उनके बेटे वैभव, बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत की तुलना में वैभव काफी पीछे चल रहे हैं.
2014 का परिणाम
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 27 पर जीत मिली थी.वहीं कांग्रेस महज दो सीटों पर ही सिमट गई थी.उस वक्त मोदी लहरके बावजूद गुना और छिंदवाडा सीट कांग्रेस जीतने में सफल रही थी. मगर इस बार छिंदवाड़ा छोड़कर अन्य सीट कांग्रेस जीतने की स्थिति में नहीं दिखी.जबकि राजस्थान में सभी 25 सीटें बीजेपी ने जीतीं थीं.
ये रहे थे एग्जिट पोल
आजतक- एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल (Exit Poll) में एमपी में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की भविष्यवाणी हुई थी. जो सच साबित हुई. मध्य प्रदेश की 29 सीटों में बीजेपी को 26 से 28 सीटें मिलने का अनुमान था. वहीं कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा एक से तीन के बीच रहने की बात कही गई थी. वहीं एग्जिट पोल में राजस्थान की कुल 25 सीटों में से बीजेपी को 23 से 25 सीटें आने के अनुमान लगाए थे, जबकि कांग्रेस को 0 से 3 सीटें मिलने की बात कही गई थी.