
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दो साल का सफर पूरा कर लिया है. मार्च, 2017 में बीजेपी 14 साल के सियासी वनवास के बाद यूपी की सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री पद का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा. 19 मार्च, 2017 को उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी, इस तरह आज उनके दो साल पूरे हो गए हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या सुबह चार बजे से शुरू होती है और रात 11 बजे तक जारी रहती है. इस तरह से वो हर रोज 19 घंटे काम करते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर रोज सुबह 4 बजे सो कर उठ जाते हैं. इसके बाद वो सुबह पांच बजे योग करते हैं. योग करने में उन्हें एक घंटे का समय लगता है. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डेढ़ घंटे पूजा- अर्चना करते हैं. इसके बाद सीएम योगी सुबह आठ बजे अखबार पढ़ते हैं. इसी दौरान अपने कुछ अधिकारियों के साथ- साथ मीटिंग करते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साढ़े आठ बजे नाश्ता करते हैं. इसके बाद करीब 9 बजे से मुलाकात का दौर शुरू हो जाता है. सीएम से मुलाकात करने वालों में ज्यादातर पूर्व नियोजित होती हैं. करीब ढेड़ घंटे की मुलाकात में पहले से तय लोग मिलते हैं. सामाजिक और राजनीति से जुड़े हुए लोगों के अलावा भी लोग मिलते हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ लोगों से मुलाकात के बाद करीब 11 बजे अपने दफ्तर लोक भवन जाते हैं. वो दिनभर लोक भवन में सरकारी कामकाज करते हैं और लोगों से मुलाकातों का दौर भी चलता है. सीएम रात 9:00 बजे तक सचिवालय में काम करते हैं. इस दौरान वो अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बैठक करने के अलावा विकास योजनाओं और प्रोजेक्ट का जायजा लेते हैं.
लोकभवन से योगी आदित्यनाथ रात 9 बजे से वापस मुख्यमंत्री आवास 5, कालिदास मार्ग लौटते हैं. इसके बाद चुनिंदा अपने करीबी अधिकारियों के साथ मीटिंग करके अगले दिन के एजेंडे पर चर्चा करते हैं और प्लान तैयार करते हैं. इसमें करीब उन्हें डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है. इसके बाद करीब 11 बजे सोने के लिए चले जाते हैं.
मुख्यमंत्री आवास 5, कालीदास मार्ग में गोशाला नहीं है. इसीलिए गायों को खिलाने और उनके साथ वक्त गुजराने का कार्यक्रम लखनऊ में नहीं होता. लेकिन योगी जब भी गोरखपुर में होते हैं तो योगी आदित्यनाथ के दिन की शुरुआत गोशाला से होती है. इतना ही नहीं, वो यहां जनता दरबार भी लगाते हैं, जहां वो लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनते हैं.