
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले अलग-अलग पार्टियां अपनी सियासी जमीन पर तैयारियां कर रही हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने आज तक के सहयोगी लल्लनटॉप से बातचीत में कहा, 'चंद्रशेखर आजाद भारत का एक जिम्मेदार नागरिक है, जो अपने देश से बहुत प्यार करता है और देश की समस्याओं से चिंतित है. जो हर गरीब, मजदूर, किसान, नौजवान और बहन-बेटियों के सम्मान के लिए संघर्ष कर रहा है.'
उन्होंने आगे कहा कि चंद्रशेखर आजाद वो है, जो बिना बुलाए सभी के आंदोलन में जाता है, जो हर व्यक्ति की मुसीबत को अपनी मुसीबत मानता है, हर गरीब को अपना परिवार मानता है. जो हथकड़ी को अपना गहना और जेलों को अपना घर मानता है, वो चंद्रशेखर आजाद है.
ASP कार्यकर्ताओं में किस बात को लेकर गुस्सा?
नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के फैसले पर बात करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि ये मेरा नहीं बल्कि पार्टी का फैसला है. क्षेत्र में हमारे सात-आठ जिला पंचायत कैंडिडेट्स तब जीते थे, जब बैनर पर सिर्फ मेरी फोटो लगी हुई थी, इसी विश्वास के साथ कि अगर ये आदमी मजबूत होगा, तो गरीबों की आवाज मजबूत होगी. जनता के द्वारा दी गई इन जीतों के बाद मेरे मन में ये पीड़ा रही कि जिला पंचायत अध्यक्ष विरोधी पार्टियों के लोग बन गए, जिससे आज भी हमारे जिला पंचायत सदस्य चाहकर भी कुछ काम नहीं करवा पा रहा हैं. ऐसे में जनता हमें कहती है कि आपको वोट तो दिया था लेकिन काम नहीं करवा पा रहे हो. इसके बाद ये तय हुआ कि जिला पंचायत से भी बड़ी ताकत यहां पर बनाई जाए.
उन्होंने आगे कहा कि भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर गुस्सा है कि वो देश के हर वर्ग की लड़ाई लड़ते हैं लेकिन जब उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गोली चलती है, जुल्म होता है, तो कोई उनकी आवाज नहीं उठाता.
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'हम उनसे पॉवर क्यों ना छीन लें...'
चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा कि आज मैं चाहता हूं कि जो नौजवान बेरोजगार हैं, मैं उनको नौकरी दूं लेकिन मेरे पास वो पॉवर नहीं है. जो गरीब हैं, सुख-सुविधाएं नहीं हैं, जहां स्कूल और अस्पताल नहीं हैं. इसके अलावा मूलभूत जरूरतों के साथ-साथ जिस क्षेत्र को अवसर मिलना चाहिए, मैं उनके लिए काम करना चाहता हूं. जिन लोगों ने मुझ पर गोली चलाई, उनके साथ बहुत से लोग बाहर घूम रहे हैं लेकिन कभी सरकार और पुलिस ने उनकी पहचान करने की कोशिश नहीं की कि चंद्रशेखर आजाद पर हमला करवाने वाले कौन हैं.
उन्होंने आगे कहा कि जिस पॉवर के दम पर पुलिस, सरकारी मशीनरी, इंटेलिजेंस और एडमिनिस्ट्रेशन का दुरुपयोग कर रहे हैं, वो पॉवर हम क्यों ना छीन लें.
'कमजोर और ताकतवार से समझौता नहीं होता...'
अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी से बात नहीं बनने वाले सवाल पर चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि लोकतंत्र है, उनका मन नहीं था. समझौते जबरदस्ती नहीं होते. मेरा मानना है कि कमजोर और ताकतवर से समझौता नहीं होता, हम कमजोर हैं इसलिए उन्होंने समझौता नहीं किया. इसके बाद हमने भी तय किया कि पहले हम ताकतवर बनेंगे, जिससे बराबरी के समझौते हों.
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'एक नेता की हठधर्मिता...'
मुझे इस बात की खुशी है कि कांग्रेस के बहुत सारे लोगों ने मेरे लिए कोशिशें की. मैं गठबंधन के कई लोगों से मिला, उन्होंने प्रयास किया लेकिन एक नेता की हठधर्मिता की वजह से समझौता नहीं हो पाया. कोई बात नहीं, हमने एक नया अलाएंस बनाया है- जनता अलाएंस.
Y+ सेक्योरिटी और जयंत चौधरी पर बात करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि क्या मैं पहला आदमी हूं, जिसको सुरक्षा मिली है. मेरी सेक्योरिटी पर्मानेंट नहीं, बल्कि इलेक्शन की वजह से कंडीशनल है. बीजेपी ने खुश होकर तो मुझे सुरक्षा नहीं दी होगी, उनको शायद एहसास हो कि जिस तरह से हत्या के प्रयास हो रहे हैं, अगर ये आदमी चुनाव के बीच मर गया, तो सारा दलित वोट विरोधी दलों के हिस्से में चला जाएगा और बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान हो.
उन्होंने आगे कहा कि मैं आजाद भारत में वो व्यक्ति हूं, जिस पर गोली चली और बाल-बाल बचा. मुझे जेल में जहर दिया गया, एनआरसी के आंदोलन में पीटा तो भी मैं बच गया और अभी भी जिंदा हूंं. मुझे अगर सुरक्षा मिली, तो इससे विपक्ष को दुख नहीं होना चाहिए. मुझसे पहले तो बहन जी के भतीजे को सुरक्षा मिली. और मुझे तो लगता है कि विपक्ष के कुछ नेता सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगा रहे हैं, वो ये चाहते हैं कि अखिलेश मर जाए, तो अच्छा है.
चंद्रशेखर ने आगे कहा कि जयंत चौधरी के साथ मेरे अच्छे रिश्ते हैं. राजनीतिक रिश्ते अपनी जगह और व्यावहारिक रिश्ते अपनी जगह हैं. बहन जी और अखिलेश यादव से भी मेरे अच्छे रिश्ते हैं, उनको कभी मेरी जरूरत पड़ेगी, तो जरूर मदद करूंगा.
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आरक्षण पर क्या बोले चंद्रशेखर?
ASP अध्यक्ष ने आगे कहा कि 14 अगस्त 1947 को ये देश अंग्रेजों के अधीन था, 15 को हम आजाद हुए और 16 अगस्त को भारत में आजादी का परचम लहर गया था. सवाल ये है कि संविधान से पहले जो कानून थे, उनके आधार पर जिन लोगों को अधिकारों से वंचित किया गया था, उनके पास धन,धरती और राज-पाट का से आएगा. सरकारें इसीलिए बनी हैं कि हाशिए के लोगों को ऊपर उठा सके. जिनके बैंक अकाउंट में आजादी से पहले 100 रुपए थे, 16 अगस्त 1947 को भी 100 ही रुपए रहे, हमें क्या मिला?
इस देश में दो फीसदी सरकारी नौकरियां हैं, जिसमें टोटल 59.30 फीसदी रिजर्वेशन है लेकिन आज भी अगर किसी को हमारी काबिलियत पर सवाल उठाना होता है, तो वो आरक्षण के नाम पर गाली दे सकता है. आरक्षण तो हिस्सेदारी है.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती के द्वारा दिए गए 'दलितों को गुमराह करने' वाले बयान पर ASP अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने मेरा नाम ही नहीं लिया, अगर उन्होंने नाम लिया होता, तो कुछ कहता. वो बड़ी हैं और मैं बड़ो के सामने बोलता नही हूं.
उन्होंने आगे कहा कि सवाल ये है कि इस देश में दलित की खाल कब तक खीची जाती रहेगी. एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक महिलाओं के साथ रेप-हत्या होती है. उन महिलाओं और बेटियों को सम्मान की जिंदगी मिलनी चाहिए, इसके लिए सरकार के पास क्या योजना है. सरकार के पास महिलाओं को सशक्त करने का एजेंडा क्या है. भारत में महिलाएं ना तो स्वतंत्र हैं और ना ही सुरक्षित हैं.
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'बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या...'
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि देश में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है. उसके बाद मंहगाई बड़ी समस्या है. नगीना में बाढ़ बड़ी समस्या है. गुलदार ने यहां 25 हजार लोगों की जान ले ली. यहां सड़कों, बिजली और पानी की समस्याएं हैं. यहां पर अच्छे स्कूल और कॉलेज नही हैं. गांव में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन अवसर नहीं मिल रहा है. गरीबों की तरफ कोई देख नहीं रहा है. यहां पर स्पोर्ट्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी बननी जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि यह एक बड़ी लड़ाई है, जो आसानी से नहीं जीती जा सकती. हम राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की लड़ाई कर रहे हैं.