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फाइनली साथ आ रहे 'यूपी के लड़के'... गठबंधन हुआ तय, कांग्रेस को 17 सीटें देगी सपा, अखिलेश बोले- अंत भला तो सब भला

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन फाइनल हो गया है. सपा और कांग्रेस मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. दोनों पार्टियों के बीच आज शाम तक सीट शेयरिंग का ऐलान हो जाएगा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी पुष्टि की है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन पर मुहर लगाई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन पर मुहर लगाई है.

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में बात बन गई है. दोनों पार्टियों में गठबंधन के फॉर्मूले पर लगभग सहमति बन गई है. आज शाम तक सीट शेयरिंग का ऐलान हो जाएगा. इस संबंध में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे बीच कोई विवाद नहीं है. गठबंधन होगा. जल्द ही सारी चीजें साफ हो जाएंगी. बाकी चीजें तो पुरानी हो गई हैं. अंत भला तो सब भला.

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अखिलेश ने कहा, समाजवादी पार्टी की कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए. समय आने पर लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी. माना जा रहा है कि आज शाम को ही सीट बंटवारे का ऐलान हो सकता है. शाम 5 बजे संयुक्त प्रेस वार्ता होगी. इसमें दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे.

'अलायंस में कांग्रेस को 17 सीटें मिलेंगी'

दोनों दलों की राज्य इकाइयों ने गठबंधन की घोषणा कर दी है. यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. दोनों ही पार्टियों के बीच तीन सीटों पर दावेदारी को लेकर पेच फंस गया था. सूत्रों के मुताबिक, दो-तीन सीटों पर अभी बातचीत चल रही है. सपा ने कांग्रेस को सीतापुर समेत 17 सीटों का ऑफर दिया था, इस पर कांग्रेस राजी हो गई है. समाजवादी पार्टी अमरोहा की सीट कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ सकती है.

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सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने 17 सीटों में सीतापुर सीट को भी जोड़ दिया है. कांग्रेस अब हाथरस की बजाय सीतापुर सीट ले रही है.

कांग्रेस को कौन-कौन सी सीटें दी गई हैं?

अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, सहारनपुर और मथुरा का नाम शामिल है.

'इन तीन सीटों पर फंसा था पेच'

एक दिन पहले ही खबर आई थी कि सपा और कांग्रेस में अलायंस को लेकर पेच फंसा है. स्थानीय स्तर पर सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है. सूत्रों का कहना था कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस को मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया सीट पर दांव लगाना चाहती है. वहीं, बलिया को सपा का गढ़ माना जाता है. 

'अखिलेश ने कहा था, सीट शेयरिंग के बाद न्याय यात्रा में जाएंगे'

सूत्रों का यह भी कहना था कि चूंकि सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है, इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लिया है.  इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि जब तक कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक वे यात्रा में हिस्सा नहीं लेंगे. एक बार सीटों का बंटवारा तय हो जाए तो समाजवादी पार्टी कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी.

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बताते चलें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद सीट पर जीत हासिल की थी. मुरादाबाद में मेयर के चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी और मामूली अंतर से हार गई थी. 

यूपी में सपा अब तक कुल तीन लिस्ट में 32 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. पहली सूची 30 जनवरी को आई थी. इसमें 16 उम्मीदवारों का ऐलान किया था. दूसरी सूची में 11 और उम्मीदवारों की घोषणा की थी, इस लिस्ट में डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी का नाम भी शामिल है. तीसरी सूची में 5 उम्मीदवारों के नाम थे. बदायूं से शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है.

कैसे पटरी पर आई बातचीत?

सूत्रों का कहना है कि अलायंस में जब सीट शेयरिंग पर बात बिगड़ते दिखी तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला. उन्होंने बातचीत की शुरुआत की. राहुल से बात करने के बाद अखिलेश यादव से बात की. उसके बाद कांग्रेस ने मुरादाबाद सीट की मांग छोड़ दी. कांग्रेस ने 2 बदलावों की मांग की. हाथरस में समाजवादी की वापसी के बजाय सीतापुर की सीट मांगी. श्रावस्ती को लेकर बुलंदशहर या मथुरा छोड़ने पर सहमति बनी. वाराणसी पर हालांकि सपा ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. कांग्रेस ने सपा से उम्मीदवार वापस लेने का अनुरोध किया है.

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फिर अलायंस में आए सपा-कांग्रेस

बताते चलें कि 2017 में जब चुनाव हुए, तब यूपी की सत्ता में सपा थी और चुनाव के वक्त सपा-कांग्रेस में अलायंस हुआ था. उस समय चुनाव प्रचार में गठबंधन ने नारा दिया था- 'यूपी को ये साथ पसंद है.' तब दोनों ही दलों के नेता 'यूपी के दो लड़के' साथ आने का संदेश देते नजर आए थे. एक बार फिर दोनों ही पार्टियों के बीच अलायंस फाइनल हो गया है.

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