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कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे अखिलेश यादव, कल 12 बजे करेंगे नामांकन... रामगोपाल यादव का ऐलान

सपा ने कन्नौज सीट से कई बार उम्मीदवार बदले हैं, लेकिन अब सामने आया है कि यूपी के सीएम रहे अखिलेश खुद ही इस सीट से सांसदी के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे. सपा महासचिव और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने अखिलेश की उम्मीदवारी का ऐलान किया है. रामगोपाल यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST

इत्र नगरी की लोकसभा सीट से तेज प्रताप की जगह अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं. सपा महासचिव और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने अखिलेश की उम्मीदवारी का ऐलान किया है. रामगोपाल यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. अखिलेश 25 अप्रैल की दोपहर कन्नौज सीट से नामांकन करेंगे. सपा इससे पहले बदायूं, मेरठ, मोरादाबाद, मिश्रिख, गौतमबुद्ध नगर सीट से भी उम्मीदवार बदल चुकी है.

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बता दें कि समाजवादी पार्टी ने कन्नौज लोकसभा सीट से पहले तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि उनका टिकट कट सकता है. चर्चा थी कि सपा मुखिया खुद अपनी पुरानी सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. 

क्या बोले थे अखिलेश यादव?
पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज से जुड़ी संभावनाओं पर बात करते हुए कहा था कि कन्नौज की जनता जो कहेगी, वो मैं करूंगा. सूत्रों का कहना था कि कन्नौज में सपा कार्यकर्ता तेज प्रताप के नाम को स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रहे थे. अखिलेश यादव ने वादे के मुताबिक कन्नौज से तेज प्रताप के नाम का ऐलान कर दिया था, लेकिन इसकी चर्चा जोरों पर थी कि, अखिलेश ही कन्नौज से लड़ेंगे. इस बाबत पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा था कि, 'नामांकन के वक्त पता चल जाएगा'.

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इन चर्चाओं और अटकलों के बीच बुधवार को सपा महासचिव और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कन्नौज से अखिलेश की उम्मीदवारी का ऐलान किया. आज तक से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि, 'पार्टी में कोई कंफ्यूजन नहीं है अब साफ है कि अखिलेश यादव चुनाव लड़ने जा रहे हैं.'

48 घंटे में ही क्यों बदलना पड़ गया उम्मीदवार?

अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सपा को इत्र नगरी पर अपना उम्मीदवार क्यों बदलना पड़ा. दरअसल, तेज प्रताप की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद से ही सपा की लोकल यूनिट इस फैसले के विरोध में उतर आई. कन्नौज के सपा नेताओं का एक डेलिगेशन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गया. सपा नेताओं के डेलिगेशन ने अखिलेश को कार्यकर्ताओं की नाखुशी की जानकारी दी और यह मांग दोहराई कि इस बार के चुनाव में वह खुद उतरें.  
लोकल लेवल पर सपा के कार्यकर्ता तेज प्रताप की उम्मीदवारी को लेकर यह भी तर्क दे रहे थे बड़ी आबादी ने तेज का नाम तक नहीं सुना है. लोकल नेता किसी भी सूरत में पार्टी की स्थिति कन्नौज से कमजोर होने देने का मौका नहीं चाहते.

लोहिया की विरासत, मुलायम का गढ़, परिवार की सीट है कन्नौज
समाजवादी पार्टी का गढ़ रहे कन्नौज से पहले सांसद डॉक्टर राममनोहर लोहिया थे. डॉक्टर लोहिया 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर कन्नौज सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. इस सीट का मुलायम परिवार से भी पुराना नाता है. 1998 में सपा के टिकट पर प्रदीप यादव जीते थे और 1999 में यहां से मुलायम सिंह यादव को जीत मिली.

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मुलायम के यह सीट छोड़ने के बाद उपचुनाव में अखिलेश जीते और तब से 2019 में डिंपल की हार तक यह सीट मुलायम परिवार के पास ही रही. 1998 से 2019 तक सपा के कब्जे में रही इस सीट को फिर से वापस पाने के लिए अखिलेश यादव से बेहतर विकल्प पार्टी के पास नहीं था. इस सीट से मुलायम और अखिलेश के साथ ही डिंपल भी सांसद रही हैं लेकिन कहा जा रहा है कि जनता से उनका कनेक्ट भी वैसा नहीं रहा जैसा दोनों पूर्व सीएम का था.

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