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सूरत में आम आदमी पार्टी को झटका लगा है. गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद नेता बनकर उभरे हार्दिक पटेल के कभी साथ ही रहे सूरत के अल्पेश कथीरिया और धार्मिक मालवीया ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले धार्मिक मालवीया सूरत की ओलपाड और अल्पेश कथीरिया सूरत की वराछा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं.
गुजरात के रहने वाले पाटीदार समाज को आरक्षण दिलाने के लिए पाटीदार समाज के युवाओं ने साल 2015 में आंदोलन शुरू किया था. पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नाम से आरक्षण दिलाने के लिए संगठन बना था. इस संगठन की अगुवाई हार्दिक पटेल कर रहे थे. गुजरात के पाटीदार समाज को आरक्षण तो नहीं मिला, लेकिन इस आंदोलन ने कई नेताओं को जन्म जरूर दे दिया. इसमें से हार्दिक पटेल भी शामिल हैं.
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कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे हार्दिक
हार्दिक पटेल कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी रहे हैं और कई राज्यों में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का माहौल बनाने की कोशिश भी की थी. मगर, वह सफल नहीं हो पाए थे. इसके बाद हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया था और वर्तमान में वह गुजरात की वीरमगाम सीट से भाजपा विधायक हैं.
अल्पेश और धार्मिक हार गए थे चुनाव
उन्हीं हार्दिक पटेल के साथी रहे अल्पेश कथीरिया और धार्मिक मालवीया भी आंदोलनकारी से निकलकर राजनेता बनने चले थे. राजनेता बनने के लिए दोनों नेताओं ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा था. पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने चुनाव भी लड़ा था, लेकिन मतदाताओं ने उन्हें वोट नहीं दिया था, जिसकी वजह से चुनाव में दोंनों को करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी.
अल्पेश कथीरिया सूरत की वराछा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के कुमार भाई कानानी के सामने चुनाव हार गए थे. वहीं, धार्मिक मालविया सूरत की ओलपॉड विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के मुकेश भाई पटेल से चुनाव हार गए थे. विधानसभा चुनाव हारने के बाद दोनों ही नेता खुले तौर पर आम आदमी पार्टी के मंच पर कहीं भी नजर नहीं आ रहे थे.
पार्टी को समय न दे पाने का बताया कारण
इन दोनों नेताओं को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे थे. ऐसे में 18 अप्रैल को दोनों नेताओं ने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद इन दोनों नेताओं से आजतक की टीम ने बातचीत की थी और सवाल पूछा था कि आखिर उन्होंने किस कारण से आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया है?
दोनों नेताओं ने यही कहा कि वह आम आदमी पार्टी को सामाजिक जवाबदारी और व्यक्तिगत कारण की वजह से समय नहीं दे पा रहे थे. लिहाजा, उन्होंने इस्तीफा दे दिए है. इन नेताओं से यह भी पूछा गया कि वह भाजपा में कब शामिल होने वाले हैं, तो उन्होंने साफ तौर पर स्पष्ट किया कि फिलहाल भाजपा में जुड़ने की कोई बातचीत नहीं है. यदि भविष्य में वो भाजपा में शामिल होंगे, तो इस बात की जानकारी देंगे.
गुजरात में टूटता जा रहा है आप का जनाधार
दोनों नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि वह आम आदमी पार्टी में रहकर पार्टी को समय नहीं दे पा रहे थे. लिहाजा, पार्टी में शामिल अन्य लोगों को उनकी जगह पर स्थान मिले, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है. इसके बाद दिल्ली समेत गुजरात में आम आदमी पार्टी का जिस तरह से जनाधार टूटता नजर आ रहा है.
इसके कारण कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं के मनोबल पर भी असर पड़ा है और कार्यकर्ताओं पर भी असर पड़ा है. गुजरात में भी आम आदमी पार्टी की हालत बहुत ठीक नहीं है.