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खालिस्तानी अमृतपाल सिंह की याचिका HC ने की खारिज, नामांकन के लिए मांगी थी 7 दिन की रिहाई

खालिस्तानी समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट का रूख किया था. कोर्ट ने अमृतपाल की याचिका को खारिज कर दिया है. अमृतपाल पंजाब के श्री खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ रहा है.

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह
अमन भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा है. अमृतपाल सिंह ने अपना नामांकन दाखिल करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रूख किया और नामांकन दाखिल करने के लिए 7 दिनों की अस्थायी रिहाई की मांग की थी.  अब इस पर कोर्ट का फैसला आ गया है जिसने अमृतपाल सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है.

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अमृतपाल सिंह पंजाब के श्री खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ रहा है. इस मामले पर आज पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस विनोद एस भारद्वाज सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

अपनी याचिका के माध्यम से, अमृतपाल ने पंजाब सरकार, भारत निर्वचान आयोग, डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक और पंजाब राज्य चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी और कहा था कि कोर्ट  चुनाव एजेंटों की नियुक्ति के माध्यम से उसके नामांकन दाखिल करने की व्यवस्था करें. अमृतपाल ने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करना आवश्यक है.

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खडूर साहिब से चुनाव मैदान में है अमृतपाल

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अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने दावा किया है कि उनका बेटा अपने समर्थकों के अनुरोध पर चुनाव लड़ रहा है. अमृतपाल को सिमरनजीत सिंह मान और परमजीत कौर खालड़ा का समर्थन मिल रहा है. बता दें कि खालड़ा को 2019 के लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब लोकसभा सीट पर दो लाख से अधिक वोट मिले थे. सिमरनजीत सिंह मान ने अमृतपाल का समर्थन किया है और खडूर साहिब से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है. दिवंगत दीप सिद्धू के भाई संदीप सिद्धू भी अमृतपाल के लिए प्रचार कर रहा है.

अमृतपाल ने खडूर साहिब सीट को ही चुना क्योंकि उसका पैतृक गांव इस निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है और तरन-तारन बेल्ट में सैकड़ों खालिस्तानी समर्थक हैं. एक समय अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र रहा तरन-तारन बेल्ट भारत-पाक सीमा पर स्थित है. शिरोमणि अकाली दल ने अमृतपाल के खिलाफ पार्टी के वरिष्ठ नेता विरसा सिंह वल्टोहा को मैदान में उतारा है. पूर्व खालिस्तानी विचारक विरसा सिंह वल्टोहा अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को याद दिला रहे हैं कि पंजाब में इंसर्जेंसी के दौरान उन्होंने क्या भूमिका निभाई थी.

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अमृतपाल किस मामले में जेल में है?

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पिछले साल 23 फरवरी को अमृतपाल और उसके संगठन 'वारिस पंजाब दे' से जुड़े लोगों ने अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया था. अमृतपाल और उसके समर्थकों के हाथ में तलवार, लाठी-डंडे थे. ये पूरा बवाल आठ घंटे तक चला था. ये बवाल अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान की रिहाई की मांग को लेकर हुआ था.लवप्रीत तूफान को पुलिस ने बरिंदर सिंह नाम के शख्स को अगवा और मारपीट करने के आरोप में हिरासत में लिया था. हालांकि, बवाल के बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया था. 

इस घटना के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. इसके बाद अमृतपाल के कई साथी पकड़े गए लेकिन वो कई दिनों तक फरार रहा.बाद में पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए भी लगा दिया था. इस घटना के लगभग दो महीने बाद अमृतपाल गिरफ्तार हुआ था. तभी से वो असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. अमृतपाल पर कई केस दर्ज हैं.

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