
लोकसभा चुनाव में अब कुछ सप्ताह का समय बचा है. भारत का निर्वाचन आयोग इस महीने किसी भी वक्त चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर सकता है. उससे पहले एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके पद छोड़ने के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग में चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार अकेले बचे हैं. तीन सदस्यीय इस आयोग में निर्वाचन आयुक्तों के दोनों पद खाली हो गए हैं. अरुण गोयल के अलावा, दूसरे निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय इस साल फरवरी में सेवानिवृत्त हुए थे. तबसे उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. अब सवाल यह है कि क्या मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार अकेले आगामी लोकसभा चुनावों को संपन्न कराएंगे?
पिछले चार साल में अशोक लवासा के बाद ये दूसरे निर्वाचन आयुक्त हैं, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि, अशोक लवासा के पद पर रहते मुख्य निर्वाचन आयुक्त और साथी निर्वाचन आयुक्त के साथ उनके मतभेदों के किस्से सार्वजनिक थे. अगस्त 2020 में लवासा ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें एशियन डेवलपमेंट बैंक के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया. अरुण गोयल 1985 बैच, पंजाब कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहे हैं. उन्होंने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था, जिस पर विवाद छिड़ गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था.
शीर्ष अदालत ने अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल तलब की थी और सरकार से पूछा था कि उनकी नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई. अरुण गोयल 37 वर्षों से अधिक की सेवा के बाद भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए. वह 7 दिसंबर 1962 को पटियाला में जन्मे थे. वह मैथ्स से एम.एससी. हैं. उन्हें पंजाबी विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाओं में फर्स्ट क्लास फर्स्ट और रिकॉर्ड ब्रेकर होने के लिए चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था. वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के चर्चिल कॉलेज से डेवलपमेंटल इकोनॉमी में डिस्टिंक्शन के साथ पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उनकी ट्रेनिंग हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से हुई है.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून में हुआ संशोधन
बता दें कि सरकार ने हाल ही में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नया कानून 'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम 2023' बनाया है. नए कानून में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाली चयन समिति से भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) को बाहर रखा गया है. नई चयन समिति में प्रधानमंत्री, उनके द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल हैं. नए कानून ने 'चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम, 1991' को रिप्लेस किया है. पुराने कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाले सेलेक्शन पैनल में सीजेआई शामिल थे.
भारत का निर्वाचन आयोग तीन सदस्यों से मिलकर बना है
भारत का निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों (ECs) से मिलकर बनता है. राष्ट्रपति सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर करते/करती हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग 1950 में गठित हुआ था. तब से लेकर 15 अक्टूबर, 1989 तक आयोग सिर्फ मुख्य निर्वाचन आयुक्त वाला एकल-सदस्यीय निकाय होता था.
फिर 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह तीन-सदस्यीय निकाय रहा. इस दौरान आरवीएस शास्त्री मुख्य निर्वाचन आयुक्त, एसएस धनोवा और वीएस सहगल निर्वाचन आयुक्त के रूप में आयोग के तीन सदस्य रहे. 2 जनवरी, 1990 से 30 सितंबर, 1993 तक यह फिर एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और एक बार फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया. तबसे भारत के निर्वाचन आयोग में सीईसी और 2 ईसी सहित तीन सदस्य होते हैं.
6 वर्ष के लिए होता है CEC और अन्य ECs का कार्यकाल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है. सीईसी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है. चुनाव आयुक्त का पद और वेतनमान भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है. या फिर वह स्वयं अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. भारत के निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी होती है.