
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि AIMIM औरंगाबाद, किशन गंज और हैदराबाद से चुनाव लड़ेगी. बिहार के किशनगंज में पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद ने बाजी मारी थी. इतना ही नहीं, 2019 में बिहार में कांग्रेस सिर्फ इसी सीट पर चुनाव जीती थी. इस सीट से AIMIM ने अपना कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया है.
इसके अलावा महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट से AIMIM नेता इम्तियाज जलील सांसद हैं. इस सीट से पार्टी दोबारा ताल ठोकेगी. इसके साथ ही हैदराबाद सीट से असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं. AIMIM प्रमुख ने अभी सिर्फ ये ऐलान किया है कि पार्टी इन तीनों सीटों से सांसद उतारेगी, लेकिन केंडिडेट्स के नामों का ऐलान नहीं किया गया है.
बिहार की किशनगंज लोकसभा सीट देश की एक ऐसी चुनिंदी सीट है जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं जबकि मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है. किशनगंज लोकसभा सीट 1957 में बना और 1967 में इस सीट पर एक और मात्र एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से हिंदू उम्मीदवार एलएल कपूर ने जीत हासिल की थी. किशनगंज में 68 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है, जबकि 32 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है. ऐसे में इस सीट पर पार्टी कोई भी हो उम्मीदवार मुस्लिम ही होता है.
कांग्रेस का गढ़ रही है किशनगंज सीट
किशनगंज लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, कांग्रेस के इस अभेद्य किले में सेंध लगाना किसी भी पार्टी के लिए आसान काम नहीं है. पिछले तीन लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस के कैंडिडेट ही जीतते आए हैं. साल 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता असरारुल हक कासमी ने चुनाव जीता था. असरारुल हक के निधन के बाद इस सीट पर किशनगंज विधायक मोहम्मद जावेद काबिज हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में मोहम्मद जावेद ने किशनगंज से चुनाव जीता और इस गढ़ को बरकरार रखा.
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में चमकी थी AIMIM
हाल ही में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए थे. 119 विधानसभा सीटों वाले राज्य में ओवैसी ने हैदराबाद के आसपास की सिर्फ 9 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे. इन नौ सीटों में सात हैदराबाद से आती हैं. एमआईएम ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां, राजेंदर नगर और जुबली हिल्स पर कैंडिडेट खड़े किए थे. AIMIM ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां यानी 7 सीटों पर जीत हासिल की.
ये है AIMIM का इतिहास
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को मजलिस के नाम से भी जाना जाता है. इसकी शुरुआत हैदराबाद में सामाजिक-धार्मिक संस्था के रूप में हुई थी. नवाब महमूद नवाज खान ने साल 1928 में मजलिस की स्थापना की थी. 1948 तक वह इस संगठन को चलाते रहे. आजादी के बाद जब 1948 में हैदराबाद का भारत में विलय हुआ, तब भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया और तत्कालीन अध्यक्ष कासिम राजवी को गिरफ्तार कर लिया गया था. जेल से छूटने के बाद राजवी पाकिस्तान चले गए. उन्होंने इस संगठन की जिम्मेदारी उस समय के मशहूर वकील अब्दुल वहाद ओवैसी को दे दी थी. अब्दुल वहाद ओवैसी पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दादा थे. 1957 में अब्दुल वहाद ओवैसी ने मजलिस को राजनीतिक पार्टी बनाई और इसके नाम में 'ऑल इंडिया' जोड़ दिया. 1976 में पार्टी की जिम्मेदारी अब्दुल वहाद ओवैसी के बेटे सलाहुद्दीन ओवैसी को दी गई. वह 2004 तक लगातार 6 बार हैदराबाद के सांसद चुने गए. अब सलाहुद्दीन ओवैसी के बेटे असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद हैं.