
बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अब टिकट बंटवारे के बाद अदंरुनी कलह से जूझ रही है.दरअसल बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर INDIA ब्लॉक के तहत चुनाव लड़ रहा है जिसमें लालू यादव की आरजेडी के हिस्से में सबसे अधिक 23 सीट आई हैं. वहीं कांग्रेस (Congress) 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि लेफ्ट के हिस्से में पांच सीट और मुकेश सहनी की वीआईपी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
अपने खाते में आई 9 सीटों के टिकटों का कांग्रेस ने जैसे ही बंटवारा किया तो पार्टी के अंदर ही सवाल उठने लगे. देखा जाए तो 9 में से चार सीटें ऐसी हैं जहां नेता पुत्र टिकट ले उड़े, वहीं 3 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने कभी ना कभी पाला जरूर बदला है और फिर वो कांग्रेस में आए हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो पार्टी कैडर के केवल 2 नेताओं को ही टिकट मिला है. प्रदेश नेताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी जाहिर की है और आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाई है.
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इन नेता पुत्रों को मिला टिकट
अंशुल अविजित- अंशुल अविजित पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के बेटे हैं जिन्हें पार्टी ने पटना साहिब से अपना उम्मीदवार बनाया है. मीराकुमार 2004 और 2009 में खुद सासाराम से लोकसभा सांसद रहे हैं. अब सासाराम एससी के लिए आरक्षित हैं, ऐसे में कोईरी जाति से ताल्लुक रखने वाले अशुल वहां से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, इसलिए उन्हें पटना साहिब से चुनाव लड़ाया जा रहा है.
सन्नी हजारी- सन्नी हजारी का मामला तो और दिलस्प है जिन्हें कांग्रेस ने समस्तीपुर से टिकट दिया है. सन्नी के पिता माहेश्वर हजारी नीतीश कुमार की सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री हैं और खुद भी कल्याणपुर से विधायक हैं. यानि पिता जेडीयू में हैं तो बेटे को कांग्रेस से टिकट दिलवा दिया. सन्नी को टिकट देने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध करते हुए कहा है कि जेडीयू के मंत्री के बेटे को टिकट देने से हमारा मजाक उड़ रहा है इसलिए टिकट पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.
अजय निषाद- अजय निषाद चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे और पार्टी ने उन्हें मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. उनके पिता दिवंगत कैप्टन जयनारायण निषाद केंद्र में मत्री रहे थे. अजय निषाद मुजफ्फरपुर से दो बार सांसद रह चुके हैं.
आकाश प्रसाद सिंह- आकाश प्रसाद सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे हैं. आकाश सिंह को महाराजगंज से उम्मीदवार बनाया है. आकाश ने 2019 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा उम्मीदवार के तौर पर मोतिहारी से चुनाव लड़ा था लेकिन जीत नसीब नहीं हो सकी थी.
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दूसरे दलों से आए नेताओं को भी टिकट
मनोज कुमार- वहीं सासाराम से जिस मनोज कुमार को कांग्रेस ने टिकट दिया है वह मायावती की बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए हैं. पिछली बार उन्होंने सासाराम से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसके अलावा मनोज कुमार मुकेश सहनी का पार्टी वीआईपी में रह चुके हैं.
अजीत शर्मा- भागलपुर से अजीत शर्मा को टिकट दिया है जो बसपा के टिकट पर 2009 में चुनाव लड़ा था. बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. फिलहाल वह भागलपुर से विधायक हैं.
तारिक अनवर- तारिक अनवर की बात करें तो उन्होंने ही शरद पवार के साथ मिलकर एनसीपी बनाई थी और वह कटिहार से एनसीपी सांसद रह चुके हैं.
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दो उम्मीदवार ही पार्टी कैडर से!
देखा जाए तो डॉ.मोहम्मद जावेद और मनोज मोहन तिवारी ही ऐसे उम्मीदवार है जो पार्टी कैडर से शुरूआत से ही जुड़े रहे यानि इनकी जड़ें कांग्रेस से ही जुड़ी रही हैं. पश्चिमी चंपारण से मनोज मोहन तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है जिनके सामने बीजेपी के संजय जायसवाल हैं. कांग्रेस ने उन्होंने 2015 में उन्हें बेतिया मझौलिया से विधायकी का टिकट दिया और उन्होंने बिहार सरकारी की मंत्री रही रेणु देवी को हरा दिया था.
किशनगंज से कांग्रेस ने डॉ.मोहम्मद जावेद को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 2019 में जेडीयू के सैयद महमूद अशरफ को शिकस्त दी थी. शुरुआत से ही कांग्रेस कैडर से जुड़े रहे डॉ.मोहम्मद जावेद चार बार किशनगंज से विधायक रह चुके हैं.