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Nawada Lok Sabha: नवादा की जनता को क्या पसंद हैं बाहरी प्रत्याशी? जानिए इस लोकसभा सीट का इतिहास

बिहार की नवादा लोकसभा सीट पर इस बार कुल 8 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होना है. इस सीट का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. 1951 से अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 14 बार नवादा से बाहरी प्रत्याशी ही निर्वाचित हुए हैं और तीन बार स्थानीय नेताओं ने अपनी जीत दर्ज की है.

नवादा लोकसभा सीट नवादा लोकसभा सीट
प्रतीक भान
  • पटना,
  • 06 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

आगामी लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार (Bihar) की चार सीटों पर चुनाव होना है. इसमें जमुई, गया, औरंगाबाद और नवादा शामिल है. इन सभी सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. मंगलवार को नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट आ चुकी है. नवादा में कुल आठ 8 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होना है, जिसमें राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को नवादा में बीजेपी की तरफ से उतारा गया है. वहीं आरजेडी से सरवन कुशवाहा मैदान में है. 

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बागी नेता और पूर्व विधायक राजबल्लव प्रसाद के भाई विनोद यादव और भोजपुरी एक्टर गुंजन सिंह निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में है. बीएसपी से रंजीत कुमार, भारत जन जागरण दल से आनंद कुमार वर्मा, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया से गनौरी पंडित और भागीदारी पार्टी ऑफ पी से गौतम चुनावी मैदान में है.

14 बार चुने गए बाहरी प्रत्याशी

नवादा लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसका अतीत काफी गौरवशाली रहा है. स्वामी सहजानंद सरस्वती और जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि और डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह की जन्मस्थली से भी नवादा को पहचाना जाता है. अगर चुनावी नजरिए से नवादा को देखा जाए तो इस इलाके में 1951 से अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 14 बार नवादा से बाहरी प्रत्याशी ही निर्वाचित हुए हैं और तीन बार स्थानीय नेता अपनी जीत दर्ज कर चुके हैं.

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इस सीट से चुने जा चुके स्थानीय प्रत्याशियों की बात की जाए, तो जिले के हिसुआ के मंझवे निवासी सत्यभामा देवी, नवादा के बुधौल के महंत सूर्य प्रकाश नारायण पुरी और तीसरी बार नवादा कलेक्ट्रेट के कर्मचारी प्रेमचंद राम निर्वाचित हुए हैं. प्रेमचंद अपनी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़े थे. महंत सूर्य प्रकाश पुरी की बात करें, तो उन्होंने 1967 में जब कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे और जीत भी हासिल की थी.

नवादा लोकसभा सीट को अगर दल के आधार पर देखा जाए, तो 17 चुनावो में से 6 बार कांग्रेस और चार बार बीजेपी, दो बार आरजेडी और माकपा जबकि एक-एक बार एलजेपी, बीएलडी और निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं.

इस सीट से दोर बार महिला उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है. पहली बार 1957 में कांग्रेस की सत्यभामा देवी और दूसरी बार 1998 में आरजेडी की मालती देवी. सत्यभामा देवी को मगध की पहली महिला सांसद होने का गौरव मिला था.

यह भी पढ़ें: शिवहर या औरंगाबाद पर अड़ी JDU, एलजेपी से नवादा चाहती है BJP, जानें सीट शेयरिंग पर NDA में कहां फंसा है पेच

नवादा के लोगों की खासियत 

इस इलाके के लोगों की खासियत यह है कि जितनी सहजता से यहां के लोग बाहरी प्रत्याशी को स्वीकार करते हैं, उतनी ही बेरुखी से बाहर का रास्ता भी दिखाते हैं. यही वजह रही है कि यहां से कुंवर राम को छोड़कर दोबारा कोई भी प्रत्याशी सांसद नहीं बना. वो भी दोबारा तभी सांसद बन पाए, जब इंदिरा गांधी के प्रति लोगों की सहानुभूति थी.

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नवादा से अब तक के जीत चुके नेता
1951: बृजेश्वर प्रसाद
1957: सत्यभामा देवी
1962: रामधनी दास 
1967: एमएसपीएन पूरी
1971: सुखदेव प्रसाद वर्मा 
1977: नथुनी राम 
1980: कुंवर राम 
1984: कुंवर राम 
1989: प्रेम प्रदीप 
1991: प्रेमचंद राम 
1996: कामेश्वर पासवान
1998: मालती देवी 
1999: डॉ संजय पासवान 
2004: वीर चंद पासवान 
2009: भोला सिंह 
2014: गिरिराज सिंह 
2019: चंदन सिंह
 

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