
लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में बीजेपी को इस चुनाव में तगड़ा झटका लगता दिख रहा है. शुरुआती रुझानों में बीजेपी महज 31 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है, जबकि समाजवादी पार्टी बड़ा उलटफेर करती दिख रही है. सपा की सीटों का ग्राफ बढ़कर 37 तक जा पहुंचा है, जबकि कांग्रेस 6 सीटों पर आगे चल रही है. पिछले चुनाव में कांग्रेस महज रायबरेली की एक सीट ही जीत सकी थी. जबकि बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ होता दिख रहा है.
अगर पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 62 सीटें जीती थीं. समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसके खाते में सिर्फ 5 सीटें आई थीं, जबकि 2019 के चुनाव में 67 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस सिर्फ रायबरेली की एक सीट बचा पाई थी. जिस बसपा का इस चुनाव में बुरा हाल है, उसने पिछले इलेक्शन में 10 सीटों पर कब्जा किया था. जो आरएलडी इस बार बीजेपी नीत NDA के तहत चुनाव लड़ रही है, वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. बता दें कि पिछला चुनाव बसपा, सपा और आरएलडी ने महागठबंधन के तहत लड़ा था.
यूपी में कांग्रेस इन सीटों पर आगे
यूपी की VVIP वाराणसी सीट से पीएम मोदी चुनावी मैदान में हैं. वह 152513 वोटों से चुनाव जीते हैं. उन्हें 612970 वोट मिले हैं. जबकि दूसरे नंबर कांग्रेस कैंडिडेट अजय राय रहे. उन्हें 460457 वोट मिले हैं. बात पिछले चुनाव की करें पीएम मोदी बंपर वोटों से चुनाव जीते थे और अजय राय को महज 152548 वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर थे. जबकि 2019 के चुनाव में सपा की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर रही थीं, उन्हें 195159 वोट मिले थे.
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कांग्रेस-सपा की जुगलबंदी रही हिट
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ चुनावी रण में कूदे थे. इंडिया ब्लॉक में शामिल इन पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हुआ. राजनीति के जानकारों की मानें तो इस बार अखिलेश यादव ने टिकटों के बंटबारे में जातिगत समीकरण से लेकर जीत के सभी फैक्टर्स का बारीकी से ख्याल रखा. आखिरी समय तक टिकट बदले गए. कार्यकर्ताओं को सख्त हिदायत दी गई कि इस बार अलर्ट रहना है, पार्टी का वोट हर हाल में सपा या कांग्रेस कैंडिडेट को ही मिले.
अखिलेश के PDA फैक्टर ने किया कमाल
लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने PDA का नारा दिया. पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक. अखिलेश अपनी रैलियों में भी अक्सर ये कहते दिखे कि पीडीए एकजुट होकर सपा को वोट देगा और बीजेपी को हराएगा. अखिलेश यादव ने कहा था कि एक सर्वे में ये सामने आया है कि 90 फीसदी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक एकजुट होकर पीडीए को वोट देंगे. इससे बीजेपी का समीकरण और सभी फॉर्मूले फेल हो गए हैं. अखिलेश ने ये भी कहा था कि PDA में भरोसा करने वालों का सर्वे- कुल मिलाकर 90% की बात. 49% पिछड़ों का विश्वास PDA में है. 16% दलितों का विश्वास PDA में है. 21% अल्पसंख्यकों (मुस्लिम+सिख+बौद्ध+ईसाई+जैन व अन्य+आदिवासी) का विश्वास PDA में है. 4% अगड़ों में पिछड़ों का विश्वास PDA में है.
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सपा को मिला मुस्लिम-यादव वोट का साथ!
यूपी में मुस्लिम-यादव वोट को सपा का वोट बैंक माना जाता है. अपने इस वोट बैंक को लेकर अखिलेश यादव काफी आश्वस्त थे. टिकटों के बंटवारे में भी इसका काफी ख्याल रखा गया. हर टिकट सोच समझकर दिया गया. इसके साथ ही सपा को गैर यादव ओबीसी वोटर का भी समर्थन मिलता दिख रहा है. बता दें कि सपा ने इस बार सिर्फ 5 यादव उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जबकि ओबीसी के 27 उम्मीदवार, अगड़ी जाति के 11 कैंडिडेट्स को टिकट दिया. इसमें 4 ब्राह्मण, 2 ठाकुर, 2 वैश्य, 1 खत्री उम्मीदवार शामिल है. इसके अलावा सपा ने 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को भी टिकट दिया था.
बीजेपी के ये बड़े नेता यूपी में पिछड़े
यूपी में बीजेपी के कई बड़े नेता पीछे चल रहे हैं. बात अमेठी की करें तो यहां कांग्रेस के किशोरी लाल 167196 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. उन्हें 539228 वोट मिले हैं. जबकि बीजेपी की स्मृति ईरानी चुनाव हार गई हैं. उन्हें 372032 वोट मिले हैं. उधर, मुजफ्फरनगर में सपा के हरेंद्र सिंह मलिक जीत गए हैं, जबकि संजीव बालियान 24672 वोटों से हार गए हैं. बात खीरी सीट की करें तो यहां से सपा के उत्कर्ष वर्मा जीत गए हैं, जबकि बीजेपी के अजय मिश्रा 34329 वोटों से हार गए हैं.