
आम चुनाव से ठीक पहले पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन एक बार फिर बीजेपी को गहरी चोट दे रहा है. बीजेपी और एनडीए के लिए पिछले तीन दिन ठीक नहीं गुजरे. किसानों के प्रदर्शन की वजह से बीजेपी को एक तरफ अपना कुनबा बढ़ाने के प्लान पर ब्रेक लगाना पड़ा है तो वहीं पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से चल रही बातचीत भी अधर में लटक गई है. आंदोलन की वजह से पंजाब में नाराजगी है. ऐसे में शिअद ने कदम पीछे खींच लिए हैं और एनडीए अलायंस को लेकर पूरी तरह चुप्पी साध ली है.
इससे पहले कृषि कानून को लेकर किसानों ने सितंबर 2020 में बीजेपी सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. तब पंजाब में किसानों की नाराजगी को भांपते हुए शिअद ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से 24 साल पुराना अलायंस तोड़ दिया था. उसके बाद पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा. जबकि शिअद ने बसपा के साथ अलांयस में चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी और शिअद दोनों को झटका लगा था. कांग्रेस भी सत्ता से बाहर हुई थी और AAP राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. AAP ने पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बनाई थी.
'आखिरी दौर में थी बातचीत और फिर आंदोलन ने बिगाड़ दी बात?'
हाल ही में पंजाब के बदले राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए शिअद और बीजेपी दोनों के लिए आम चुनाव में साथ आना मजबूरी बनता जा रहा था. दोनों ही दलों के सामने अपनी सियासी जमीन बचाने की चुनौती है. कांग्रेस भी नाजुक दौर से गुजर रही है. यही वजह है कि शिअद और बीजेपी के नेतृत्व ने करीब साढ़े तीन साल बाद एक बार फिर अलायंस के फॉर्मूले पर चर्चा आगे बढ़ाई. यह बातचीत आखिरी दौर में थी. इसी बीच, मंगलवार से किसानों के आंदोलन ने एक बार फिर पंजाब का माहौल बदल दिया है.
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'2020 में शिअद ने अलायंस तोड़ दिया था'
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि किसान आंदोलन से पंजाब का माहौल गरम है. लोगों में केंद्र की बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी है. 2020 में कृषि कानून बने और पंजाब में हंगामा और आंदोलन हुआ तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. यह नाराजगी देखकर अकाली दल ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया था. शिअद कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर ने केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. राज्य के लोगों ने भी शिअद के फैसले का स्वागत किया था. शिअद के साथ लोगों की सहानुभूति भी जुड़ी थी.
'पंजाब में नाराजगी, शिअद ने कदम पीछे किए'
हाल में ही साढ़े तीन साल बाद एक बार फिर दोनों दलों के बीच दूरियां कम हुईं और अलायंस को लेकर बातचीत की टेबल पर बैठ गए थे. फॉर्मूले को अंतिम रूप दिया जाना था. इस बीच, नए सिरे से किसान आंदोलन ने पंजाब में नाराजगी बढ़ा दी. किसानों ने राज्य में संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है और बीजेपी सरकार का विरोध किया जा रहा है. इसका असर अकाली दल के कार्यक्रमों पर भी पड़ा है. शिअद को एक तरफ अपनी पंजाब बचाओ यात्रा रोकनी पड़ी, वहीं बीजेपी के साथ अलायंस को लेकर बातचीत पर भी ब्रेक लगाना पड़ा है. यहां तक कि समझौते पर किसी तरह का बयान भी जारी नहीं किया जा रहा है.
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'बसपा ने शिअद से तोड़ लिया अलायंस'
इधर, शिअद की बीजेपी के साथ बढ़ी नजदीकियां देखकर बसपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं और गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. जानकारों का कहना है कि बीजेपी और शिअद के बीच अलायंस पर औपचारिक मुहर लगना बाकी रह गई है. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान में कहा था कि शिअद के साथ अलायंस को लेकर बातचीत चल रही है.
पंजाब में बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी क्यों?
तीन दिन से पंजाब के हजारों की संख्या में किसान शंभू बॉर्डर पर खड़े हैं. ये जगह पंजाब-हरियाणा का बॉर्डर है. हरियाणा की बीजेपी सरकार ने किसानों को आगे जाने से रोकने के लिए बैरिकेड लगा रखे हैं और दिल्ली जाने से रोकने की पुख्ता तैयारी की है. आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं. ड्रोन के जरिए भी किसानों के खदेड़ने की कोशिश की जा रही है. सड़कों पर कीलें लगाई गई हैं. सरकार की इस कार्रवाई से किसानों में रोष है. संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया है. राज्य में किसानों की नाराजगी को शिअद फिर मोल नहीं लेना चाहती है.
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'किसानों से सहमति बनी तो हो जाएगा अलायंस?'
शिअद से जुड़े जानकार बताते हैं कि पार्टी का मानना है कि किसानों के मुद्दों पर सरकार की बातचीत और रुख पर आगे का रुख स्पष्ट हो सकेगा. गुरुवार को कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय समेत केंद्र सरकार के तीन मंत्री चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं और किसानों से तीसरे राउंड की बातचीत करेंगे. कुल 13 मांगों में 10 पर बात बन गई है. सिर्फ तीन मांगों पर सुलह होना बाकी है. इसमें बड़ी मांग सभी फसलों पर एमएसपी को लेकर कानून लाने की है. अगर किसानों से सुलह होती है तो बीजेपी और शिअद के अलायंस पर अंतिम मुहर लगने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
बीजेपी-शिअद में यह पेंच भी फंसने की चर्चाएं....
- AAP और कांग्रेस इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं. हालांकि, पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि वो सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस के नेता भी यही बात दोहराते नजर आ रहे हैं. जानकार कहते हैं कि कांग्रेस-AAP के एक साथ चुनाव ना लड़ने के ऐलान बाद बीजेपी ने भी अपनी रणनीति बदल दी है. सूत्र बताते हैं कि अकाली दल की तरफ से किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई के मामलों को लेकर बीजेपी पर दवाब बनाया जा रहा है. वहीं, पंजाब का बीजेपी नेतृत्व भी गठबंधन के पक्ष में नहीं है.
- बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला दे रही है. जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है. जब अकाली दल एनडीए में शामिल था तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव रही थी. लेकिन इस बार बीजेपी बराबरी का हक मांग रही है.
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- अकाली नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने पंजाब में हमारी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की है. बीजेपी ने हमारे नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया है, ताकि अकाली का वोटबैंक उसे ट्रांसफर हो सके. जालंधर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे इंदर सिंह अटवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था.