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बदायूं में बढ़ेंगी सपा की मुश्किलें, बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी ने बताया जीत का समीकरण  

आज बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी पांचवी लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें उन्होंने पूर्व बसपा विधायक मुस्लिम खां को प्रत्याशी बनाया है. मुस्लिम खां बदायूं के कस्बा ककराला के निवासी हैं, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. इसके चलते समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यहां सपा से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव मैदान में हैं.

बसपा प्रत्याशी मुस्लिम खां. बसपा प्रत्याशी मुस्लिम खां.
अंकुर चतुर्वेदी
  • बदायूं,
  • 16 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

उत्तर प्रदेश के बदायूं में तीसरे चरण में 7 मई को लोकसभा चुनाव की के लिए वोट डाले जाएंगे. नामांकन प्रक्रिया चालू है, भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य और समाजवादी प्रत्याशी आदित्य यादव ने अपना-अपना नामांकन कर दिया. आज बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी पांचवी लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें उन्होंने पूर्व बसपा विधायक मुस्लिम खां को प्रत्याशी बनाया है.

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मुस्लिम खां बदायूं के कस्बा ककराला के निवासी हैं, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. साल 2007 में पहली बार मुस्लिम का बसपा की टिकट से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे और विधायक बने. उस चुनाव में मायावती की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, तो मुस्लिम खां ने दबंगई से अपना कार्यकाल पूरा किया, जिसके चलते मायावती ने साल 2012 में उनको टिकट नहीं दिया. 

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मगर, मुस्लिम खां ने पीस पार्टी से चुनाव लड़ा. साल 2012 में परिसीमन के बाद उसहैत विधानसभा को खत्म कर दिया गया और एक नई विधानसभा का सृजन किया गया, जिसका नाम शेखुपुर विधानसभा रखा गया. तब मुस्लिम खां ने शेखुपुर विधानसभा से पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह बहुत बुरी तरीके से चुनाव हारे और उनकी जमानत भी जब्त हो गई. 

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मुस्लिम खां फिर साल 2017 में बसपा से टिकट नहीं ले पाए और चुनाव नहीं लड़ा. साल 2022 में फिर से बसपा की टिकट पर शेखुपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन वह बहुत ज्यादा असर नहीं डाल पाए और 34,922 वोट लेकर तीसरे पायदान पर रहे. वहीं, विजयी सपा प्रत्याशी को एक लाख पांच हजार 531 वोट मिले. 

मुस्लिम खां की मुस्लिम वोटों पर अच्छी पकड़ है, लेकिन शेखुपुर विधानसभा बदायूं लोकसभा में शामिल नहीं है. शेखुपुर विधानसभा आंवला लोकसभा का हिस्सा है. मुस्लिम खां ने कभी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है और उनके सामने खड़े बीजेपी और सपा के प्रत्याशियों का तो ये पहला ही चुनाव है. 

इन स्थिति से मुस्लिम खां स्वयं बीजेपी के दुर्विजय सिंह शाक्य और सपा में आदित्य यादव से ज्यादा अनुभवी नेता दिखते हैं. मगर, बसपा के मुकाबले जमीन पर बीजेपी और सपा ज्यादा सक्रिय और मजबूत है. बसपा की अपने कैडर पर मजबूत पकड़ है. साथ ही मुस्लिम प्रत्याशी होने के नाते मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर मुस्लिम मतों को हासिल कर बसपा अपना मजबूत दावा पेश कर सकती है.

मुस्लिम खां भी इस चुनाव में अपनी जीत को लेकर बहुत आशान्वित लग रहे हैं. उन्होंने अपनी जीत के समीकरण भी बता दिए हैं. उनका कहना है कि यहां 5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं और 3.5 लाख SC मतदाता हैं. मुस्लिम मतदात सपा की तरफ क्यों जाएगा, जबकि मुरादाबाद टिकट काट दिया था और आजाम खान जेल में हैं. 

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सलीम शेरवानी ने राज्यसभा के लिए 4 साल चप्पलें घिसीं, लेकिन उन्हें राज्यसभा नहीं मिली. अब अपने बेटे को MLC के लिए रुके हुए हैं. उन्होंने कहा कि सपा के धोखे में हम भी फंस गए थे. हमसे कहा था कि शेखुपुर से चुनाव लड़ाएंगे. मेरा समाज अब कुर्सियां उठाने, दरी बिछाने का काम नहीं करेगा. मैं 5 लाख वोटों पर चुनाव लड़ रहा हूं. अब जनता फिर से अपने मुस्लिम भाई को सांसद बनाएगी. 

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